पौने दो लाख करोड़ रुपए के 2जी घोटाले में नाम आने के बाद से लगातार चुप्पी साधे हुए केंद्रीय गृह मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है कि वह प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अमेरिका से लौटने के बाद इस मामले में अपना पक्ष सार्वजनिक करेंगे। सरकार पर इस मामले को लेकर कितना दबाव है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री ने अमेरिका से फोन पर चिदंबरम से बात की।
दोनों आजकल अमेरिका के दौरे पर हैं। इन दोनों के साथ हुई बातचीत की जानकारी स्वयं केंद्रीय गृह मंत्री ने दी है। उन्होंने कहा कि अमेरिका गए प्रधानमंत्री ने फ्रैंकफुर्त से और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष सहित अन्य आर्थिक संस्थान की बैठक में शामिल होने गए वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने भी वाशिंगटन उनसे फोन पर बात की है।
चिदंबरम का इस घोटाले में नाम वित्त मंत्रालय की ओर से लिखी और प्रणब मुखर्जी की ओर से प्रधानमंत्री को अनुमोदित एक चिट्ठी की वजह से ही आया है। 11 पन्ने की चिट्ठी के सार्वजनिक होने के बाद से सरकार से लेकर पार्टी के अंदर घमासान मचा हुआ है। गृह मंत्री चिदंबरम लगातार चुप्पी बनाए हुए हैं। लेकिन विपक्षी दलों के लगातार हमले की पीड़ा को वह छुपा नहीं पाए और इजहार किया कि इस मामले में उनकी बात प्रधानमंत्री व वित्त मंत्री से हुई है। वह इसलिए जवाब नहीं दे रहे हैं क्योंकि उन्होंने प्रधानमंत्री को आश्वस्त किया है कि वह उनके स्वदेश वापसी के बाद ही कुछ बोलेंगे।
प्रधानमंत्री अगले सप्ताह लौट रहे हैं। वित्त मंत्रालय की ओर से 25 मार्च 2011 को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे एक पत्र के खुलासे से 2-जी घोटला की आंच चिदंबरम तक आ गई है। चिट्ठी के मुताबिक उन्होंने 30 जनवरी 2008 को तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा से मुलाकात में उन्हें पुरानी दरों पर ही स्पेक्ट्रम बेचने की इजाजत दी। उन्होंने कहा, मैं अब एंट्री फीस या रेवन्यू शेयरिंग की वर्तमान दरों की समीक्षा नहीं करना चाहता। चिट्ठी में कहा गया है कि अगर चिदंबरम चाहते तो स्पेक्ट्रम की पहले आओ-पहले पाओ की जगह उचित कीमत पर नीलामी की जा सकती थी। विवेक गर्ग ने सूचना का अधिकार के तहत यह चिट्ठी हासिल की है जिसे जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने सुप्रीम कोर्ट में दस्तावेज के तौर पर पेश किया है।
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