मध्यप्रदेश में बेटी के जन्म पर पौधों का रोपण. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

गुरुवार, 22 सितंबर 2011

मध्यप्रदेश में बेटी के जन्म पर पौधों का रोपण.

मध्य प्रदेश में बेटियों के जन्म को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार तमाम योजनाएं चला रही है, तो दूसरी ओर प्रशासनिक मशीनरी भी अपने स्तर पर कोशिशें कर रही है। इन कोशिशों में से एक है 'बेटी के जन्म पर पांच पौधों का रोपण'।

देश के अन्य हिस्सों की तरह मध्य प्रदेश में शिशु लिंगानुपात की स्थिति चिंताजनक है। वर्ष 2001 में राज्य में जहां 1000 लड़कों पर 932 लड़कियां थी वह वर्ष 2011 में घटकर 1000 लड़कों पर 912 लड़कियां ही रह गई है। इस तरह बीते 10 वर्षों में राज्य में शिशु लिंगानुपात में 20 अंक की गिरावट आई है। राज्य में सबसे बुरा हाल डकैतों के कारण पूरी दुनिया में पहचाने जाने वाले ग्वालियर चम्बल संभाग में है। मुरैना में 1000 लड़कों पर 825 तो भिण्ड में 835 लड़कियां हैं।

राज्य सरकार बालिका जन्म को प्रोत्साहित करने के लिए लाडली लक्ष्मी, मुख्यमंत्री कन्यादान जैसी अनेक योजनाएं चला रही है। वहीं चम्बल इलाके में बालिका जन्म को यादगार बनाने के लिए नई मुहिम छेड़ी गई है। इस मुहिम का मकसद बालिका जन्म के साथ पर्यावरण को दुरुस्त करना भी है। यहां बालिका जन्म पर पांच पौधे रोपे जा रहे है। महिला बाल विकास के संयुक्त संचालक सुरेश तोमर ने चर्चा करते हुए कहा कि एक बेटी पांच पौधे लगाने के अभियान के पीछे उद्देश्य भावनात्मक तौर पर लोगों का बेटी और पौधों के प्रति जुड़ाव पैदा करना है। इस अभियान में बेटी की मां, दादी, दादा, बुआ व पिता से पौधे लगवाए जाते हैं।

भिण्ड जिले के सिंघवारी गांव में मीना बाई के घर बेटी का जन्म होने पर पांच पौधे रोपे गए। रोपे गए पांचों पौधे अलग-अलग किस्म के हैं। महिला बाल विकास अधिकारी आर.के. तिवारी बताते हैं कि एक बेटी पांच पेड़ योजना मे पौधे सम्बंधित परिवार के घर के करीब ही रोपे जाते हैं ताकि वे आसानी से उनकी देखरेख कर सकें।
यहां बता दें कि चम्बल इलाके में वर्षों से बेटियों को जन्म के साथ ही मार देने की परम्परा रही है। जन्म के साथ ही बेटी को मारने की कोशिशें शुरू हो जाती थी। पहले तम्बाकू खिलाकर मारने की कोशिश होती थी, जब सफलता नहीं मिलती तो गला दबा दिया जाता था। जहां बेटियों को अभिशाप मानने की परम्परा रही है, वहां बेटी के जन्म पर पांच पेड़ लगाने की मुहिम अंधेरे में रोशनी दिखाने का काम कर रही है।

कोई टिप्पणी नहीं: