
सरकार ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों(आईआईटी) में दाखिले की परीक्षा में व्यापक बदलाव लाने का फैसला किया है ताकि कोचिंग के जरिए प्रवेश पाने वाले छात्रों की जगह वास्तविक रूप से प्रतिभाशाली और गरीब छात्रों को दाखिला मिल सके। सरकार ने आईआईटी की वर्तमान फीस प्रवेश के समय न बढा़ने का फैसला किया है। लेकिन काकोडकर समिति की सिफारिशों के आधार पर 25 प्रतिशत छात्रों को नौकरी मिलने पर बढी़ हुई फीस की बकाया राशि वसूलने का प्रस्ताव है। इसके अलावा 2013 में एक अखिल भारतीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा शुरू की जाएगी जिससे सभी आईआईटी ट्रिपल आईआईटी एवं आईटी समेत सभी केन्द्रीय शिक्षण संस्थाओं में छात्रों को प्रवेश मिल सके। इस प्रवेश परीक्षा में राज्यों के इंजीनियरिंग कॉलेजों को भी शामिल करने का प्रयास किया जाएगा।
आईआईटी को विश्व स्तरीय बनाने तथा आम आदमी की जरुरतों के लिये शोध को बढा़वा देने के लिए 40 हजार पीएचडी का लक्ष्य रखा गया है तथा 2020 तक 16 हजार शिक्षकों की भर्ती करने का भी लक्ष्य रखा गया है। मानव संसाधन विकासमंत्री कपिल सिब्बल ने आईआईटी में व्यापक सुधार के लिए गठित काकोदकर समिति की पेश की गई अंतिम रिपोर्ट की जानकारी देते हुए पत्रकारों को बताया कि आईआईटी कॉन्सिल ने अपनी बैठक में इन सिफारिशों को स्वीकार किया है। उन्होने कहा कि विश्व में विज्ञान के क्षेत्र में भारत को नम्बर एक बनाने के लिए और चीन को पीछे छोड़ने के लिए हमने आईआईटी के 2020 तक 40 हजार पीएचडी का लक्ष्य रखा है ताकि आईआईटी को जनता से जोडा़ जा सके और उनकी जरुरतों के हिसाब से शोध हो। इसके अलावा 2020 तक शिक्षकों की संख्या चार हजार से बढा़कर चार गुणा अधिक करने का निर्णय लिया गया है।
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