भारत और जापान ने 2014 तक आपसी व्यापार 25 अरब डॉलर तक पहुंचाने और निवेश तथा आर्थिक सहयोग बढ़ाने का लक्ष्य तय किया.
भारत की आधिकारिक यात्रा पर आए जापान के प्रधानमंत्री योशिहिको नोडा ने कहा कि भारत और जापान के बीच अच्छे कूटनीतिक सम्बंध हैं और दोनों देशों को व्यावसायिक और आर्थिक सहयोग का विस्तार करना चाहिए.
नोडा ने एक व्यापारिक बैठक को भी सम्बोधित किया. भारत और जापान विभिन्न क्षेत्रों में आपसी सहयोग बढ़ा रहे हैं. इसमें परमाणु सहयोग और आर्थिक साझेदारी शामिल हैं. बैठक को सम्बोधित करते हुए केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री आनंद शर्मा ने कहा कि दोनों देशों ने आपसी व्यापार 2014 तक बढ़ाकर 25 अरब डॉलर करने का लक्ष्य तय किया है, जो पिछले कारोबारी साल में 14 अरब डॉलर था.
नोडा दो दिनों की भारत यात्रा पर आए हैं उनके साथ सरकार के कई वरिष्ठ अधिकारी और बड़ी कम्पनियों के प्रमुख भी आए हैं. शर्मा ने जापानी कारोबारियों से कहा कि वे संयुक्त उपक्रम और साझेदारी के माध्यम से भारत में कारोबारी गतिविधियां बढ़ाएं. शर्मा ने कहा कि भारतीय औषधि कम्पनियां जापान के स्वास्थ्य रक्षा कार्यक्रम में बड़ी भूमिका निभा सकती हैं और उन्होंने जापानी अधिकारियों से भारतीय कम्पनियों को जापानी बाजार के बड़े हिस्से में पहुंचने की सुविधा देने का अनुरोध किया.
मंत्री ने प्रस्तावित दिल्ली-मुम्बई औद्योगिक गलियारे में जापानी सहयोग की प्रशंसा की और कहा कि इस पर कम से कम 100 अरब डॉलर खर्च होने की सम्भावना है. उन्होंने कहा कि जापानी कम्पनियों ने इस परियोजना पर 4.5 अरब डॉलर खर्च करने का संकल्प जताया है जबकि भारत सरकार ने चार अरब डॉलर खर्च करने का वादा किया है.
भारत के साथ असैन्य परमाणु वार्ता में प्रगति का स्वागत करते हुए जापान के प्रधानमंत्री योशिहिको नोडा ने कहा कि उन्हें 'पारस्परिक रूप से स्वीकार्य परिणामों' को हासिल किए जाने की उम्मीद है. साथ ही नोडा ने उल्लेख किया कि नई दिल्ली को परमाणु निरस्त्रीकरण पर जापान की भावनाओं की कद्र और परमाणु परीक्षण की अपनी अस्थायी रोक पर कायम रहना चाहिए.
21वीं सदी में दोनों देशों के रिश्तों पर एक व्याख्यान देने के बाद भारत की अपनी पहली यात्रा पर आए नोडा ने कहा, ‘कामकाज के स्तर पर बातचीत में प्रगति हुई है. मैं इसका स्वागत करता हूं.’भारत के साथ असैन्य परमाणु वार्ता की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर नोडा ने कहा, ‘मुझे काफी उम्मीद है कि पारस्परिक रूप से स्वीकार्य परिणाम हासिल कर लिए जाएंगे.’व्याख्यान की अध्यक्षता विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने की और इसका आयोजन वैश्विक मामलों की भारतीय परिषद ने किया था.
भारत और जापान पहले ही असैन्य परमाणु वार्ता पर तीन दौर की बातचीत कर चुके हैं लेकिन 11 मार्च को हुए फुकुशिमा विकिरण घटना के बाद बातचीत की यह प्रक्रिया रुक गई थी. नोडा ने कहा, ‘परमाणु हमले का शिकार होने वाला जापान दुनिया का अकेला देश है. निरस्त्रीकरण एवं परमाणु अप्रसार देश के सिद्धांत हैं और यह सिद्धांत राष्ट्रीय भावना से जुड़ा है.’ नोडा ने कहा कि भारत के साथ कोई परमाणु करार करते समय परमाणु अप्रसार दायित्वों को ध्यान में रखा जाएगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत अपने परमाणु परीक्षण के अस्थायी रोक पर कायम रहेगा. उल्लेखनीय है कि अपने पूर्ववर्ती समकक्षों की तरह नोडा ने भारत से व्यापक परमाणु परीक्षण प्रतिबंध संधि पर हस्ताक्षर करने के लिए नहीं कहा.
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