
विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने भगवद् गीता पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने वाली एक याचिका पर साईबेरिया में अदालती सुनवाई के संवेदनशील मुद्दे को लेकर देश की चिंता से मंगलवार को रूसी राजदूत एलेक्जेंडर कडाकिन को अवगत कराया।
अदालत में बुधवार को होने वाली सुनवाई से पहले कृष्णा ने काडकिन से बातचीत में उनसे कहा कि रूसी सरकार को इस मुद्दे के हल के लिए सभी संभव मदद प्रदान करना चाहिए। सूत्रों ने कहा कि इस मुद्दे को प्रखरता से उठाते हुए कृष्णा ने इसकी संवेदनशीला से उन्हें अवगत कराया। गीता पर प्रतिबंध की मांग के खिलाफ भारत में भारी जनाक्रोश है।
हैदराबाद हाउस में भेंट के दौरान कडाकिन ने कृष्णा को आश्वासन दिया कि रूसी सरकार अपने अधिकार क्षेत्र के तहत जो कुछ कर सकती है, करेगी। विदेश मंत्री ने इस मुद्दे पर भारत की संसद और जनता की चिंता से अवगत कराया। रूसी पक्ष कहता आ रहा है कि यह एक न्यायिक प्रक्रिया है और अपने अधिकारक्षेत्र में वह जो कुछ भी कर सकती है, करेगी।
साईबेरिया में तोमस्क की एक अदालत क्रिश्चन आर्थोडोक्स चर्च से जुड़े एक संगठन की इस याचिका पर बुधवार को सुनवाई करेगी कि गीता को कट्टरपंथी साहित्य घोषित कर दिया जाए अथवा नहीं। चार दिन में दूसरी बार रूसी राजूदत को विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे पर देश की चिंता से रूबरू करने के लिए बुलाया है। विदेश सचिव रंजन मथाई पिछले ही सप्ताह इस संबंध में कडाकिन से भेंट की थी।
मंगलवार की की भेंट के बाद रूसी राजदूत ने कहा कि रूस की सरकार अपने अधिकार क्षेत्र के तहत जो कुछ कर सकती है करेगी। उन्होंने कहा कि आपको मालूम है कि यह अदालती मामला है लेकिन रूस सरकार एक बात कर सकती है। वह अपनी जनता से गीता के प्रति प्रेम और प्रशंसा प्रदर्शित करने के लिए कह सकती है। उन्होंने कहा कि उन्होंने स्वयं भी भी गीता पढ़ी है और किसी भी मानव का इस साहित्य के बारे में केवल एक ही विचार हो सकता है कि गीता एक महान साहित्य है और यह दुनिया का साहित्य है। राजदूत ने कहा, मेरा यह मत है कि कोई भी धार्मिक साहित्य अदालत में नहीं घसीटा जाना चाहिए।
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