विश्व हिंदू परिषद ने सलमान रुश्दी मामले में प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत कोई मुस्लिम राष्ट्र नहीं है, कट्टरपंथी मुस्लिमों की बात को नजरंदाज करें.
भारतीय मूल के मशहूर ब्रितानी साहित्यकार सलमान रुश्दी की आगामी जयपुर यात्रा पर इस्लामी मदरसे दारुल-उलूम देवबंद के विरोध के बीच विश्व हिंदू परिषद ने शुक्रवार को अपना रुख स्पष्ट कर दिया.
विहिप ने कहा कि विवादास्पद लेखक के मसले में मुस्लिम कट्टरपंथियों की बात नहीं सुनी जानी चाहिये, क्योंकि वे इस्लाम को लेकर ‘चुनिंदा तरीके से’ आवाज उठाते हैं. विहिप के अंतरराष्ट्रीय कार्याध्यक्ष प्रवीण तोगड़िया ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘मेरा रुश्दी के भारत आने या न आने से कोई लेना.देना नहीं है. लेकिन मुझे इतना ही कहना है कि इस मामले में मुस्लिम कट्टरपंथियों की बात नहीं सुनी जानी चाहिये, क्योंकि वे इस्लाम के नाम पर चुनिंदा तरीके से विरोध जताते हैं. वैसे भी भारत कोई इस्लामी राष्ट्र नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘मुस्लिम कट्टरपंथियों को हज के लिये सब्सिडी और मजहब व जाति आधारित आरक्षण का फायदा लेना मंजूर है. लेकिन उन्हें रुश्दी पर आपत्ति है.’
बटला हाउस मुठभेड़ की असलियत पर गृह मंत्री पी. चिदंबरम और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह के रुख में ताजा विरोधाभास पर विहिप के शीर्ष नेता ने कहा, ‘इस मामले में चिदंबरम और दिग्विजय की मिलीभगत है.’ उन्होंने पिछड़े वर्ग के 27 प्रतिशत आरक्षण में 4.5 प्रतिशत कोटा धार्मिक अल्पसंख्यकों को देने के केंद्र सरकार के फैसले की तीखी निंदा की. तोगड़िया ने कहा कि इस तरह की मजहब आधारित आरक्षण की व्यवस्था संविधान की हत्या और संविधान निर्माता डॉ. भीमराव अम्बेडकर के अपमान के समान है.
तोगडिया ने एक सवाल पर कहा, ‘हम देश में आर्थिक आधार पर आरक्षण देने को लेकर बाद में विचार करेंगे. फिलहाल मजहब आधारित आरक्षण देकर मुस्लिम तुष्टिकरण पर हमारा विरोध जारी है. हम मांग करते हैं कि सरकार इस फैसले को फौरन वापस ले.’ तोगड़िया ने कहा कि विहिप इस मुद्दे को उत्तरप्रदेश में खासतौर पर उठायेगी और प्रदेश के विधानसभा चुनाव के दौरान सियासी दलों के नेताओं और जनता का समर्थन हासिल करेगी. उन्होंने बताया कि मजहब आधारित आरक्षण के खिलाफ युवाओं को लामबंद करने के लिये विहिप फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों का भी सहारा लेगी.

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