जयपुर साहित्य सम्मेलन में विवादित लेखक सलमान रुश्दी आएंगे या नहीं, इसे लेकर अभी भी संदेह बना हुआ है। इस बीच कांग्रेस की स्थिति विचित्र हो गई है। उससे रुश्दी की यात्रा न तो उगलते बन रही है और न ही निगलते। वह पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर मुस्लिमों को नाराज नहीं करना चाहती है। समस्या यह है कि रूश्दी के भारतीय मूल (पीआईओ) के होने की वजह से उन्हें वीजा की भी जरूरत नहीं है। इसलिए उन्हें आने से रोका भी नहीं जा सकता है। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए इस सिलसिले में राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत मंगलवार को गृहमंत्री पी. चिदंबरम से मिलने दिल्ली पहुंचे।
सम्मेलन के सरकार समर्थक कुछ आयोजकों का दावा है कि उन्होंने सलमान रुश्दी को भारत नहीं आने के लिए मना लिया है, जबकि कुछ आयोजकों का कहना है कि सलमान रुश्दी आ रहे हैं। इन तमाम अटकलों के बीच गहलोत ने चिदंबरम से मुलाकात कर कहा है कि रुश्दी के भारत आने से कानून व्यवस्था बिगड़ने का खतरा है।
इस मुद्दे पर सवालों का जवाब देते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा कि रुश्दी भारतीय मूल के हैं और सरकार न तो उन्हें यहां आने से रोक सकती है और न ही ऑर्गनाइजर्स को कोई सलाह दे सकती है। इसके साथ ही गहलोत ने यह भी कहा कि लोगों की भावनाओं का भी ध्यान रखना पड़ता है। उन्होंने कहा कि यह सम्मेलन काफी लोकप्रिय है और पूरी दुनिया में जाना जाता है। आयोजक भी नहीं चाहेंगे कि कानून-व्यवस्था को लेकर कोई समस्या हो। इससे पूरा आयोजन बेकार हो जाएगा।
फेस्टिवल के प्रड्यूसर संजय के रॉय ने कहा कि हम रुश्दी को भेजे गए न्योते पर अभी भी अडिग हैं। हालांकि, उन्होंने कहा कि अब बदले हुए शेड्यूल के मुताबिक रुश्दी 20 जनवरी को भारत नहीं आ रहे हैं। पहले रुश्दी 20 को ही सम्मेलन में बोलने वाले थे। गौरतलब है कि सलमान रुश्दी द्वारा 22 साल पहले लिखी गई किताब सैटेनिक वर्सेस को लेकर विवाद हुआ था। इस किताब को लेकर पूरी दुनिया में उनका विरोध हुआ था। उनके खिलाफ फतवे भी जारी किए गए थे। भारत में भी इस किताब पर बैन है। लेकिन, उनके भारत आने पर कभी रोक नहीं लगी। रुश्दी की इस यात्रा से सिर्फ राजस्थान की कांग्रेस सरकार ही मुश्किल में नहीं है, बल्कि इसे 5 राज्यों में होने वाले चुनावों से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। गौरतलब है कि देवबंद ने भी रुश्दी की इस यात्रा का विरोध किया है।

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