यह सुनकर अच्छा लगता है कि बिहार बदल रहा है। काफी कुछ बदला भी है। पर इस बदलाव को तेज करने के लिए काफी कुछ किया जाना चाहिए। उद्योग लगाने की यहां जरूरत है। इसके बिना प्रगति नहीं होगी। काम धंधे बढ़ेंगे तो पलायन रुकेगा।
ड्रीम गर्ल की छवि से इतर उन्होंने बिहार सहित कुछ दूसरे मसलों पर भी अपनी राय रखी। उन्होंने कहा कि जब दूसरे राज्य अपना बालू और पानी बेचकर इतना समृद्ध हो सकते हैं तो बिहार क्यों नहीं? यहां का अतीत सुनहरा है। इतिहास गौरवान्वित करने वाला है। पर्यटन स्थलों की भरमार है। उन्हें विकसित किया जाय तो बिहार और तेजी से बदलेगा। वह इतना बढ़ेगा कि दूसरे राज्यों से काफी आगे निकल जाएगा।
हेमा मालिनी ने कहा कि चुनाव के समय ही बिहार के गांवों और वहां के लोगों को करीब से देखने का मौका मिल पाता है। उन्होंने कहा कि राजनीति में गिरावट आयी है। इसके लिए किसी एक या दो को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। पर इस गिरावट को दूर करने का बड़ा काम राजनीतिक दल ही कर सकते हैं। जो जन प्रतिनिधि गलत काम करते हैं, पार्टियों को चाहिए कि वे उन्हें निकाल-बाहर करें। सवाल था कि किस भूमिका में अपने आपको किसके करीब पाती हैं, पर उनका जवाब था कि स्थायी कुछ भी नहीं होता। वह खुद को पहले एक आर्टिस्ट मानती हैं।
हेमा मालिनी ने कहा-औरत जन्म से प्रतिभा से भरी होती है। एक महिला पूरी जिंदगी अलग-अलग भूमिका में जीती है। यही उसकी ताकत भी है। उन्होंने याद दिलाया कि डांस उनकी प्राथमिकता थी। उनकी मां भी चाहती थीं कि वे डांसर ही बनें। पर संयोग से फिल्मों में आ गई। वह कहती हैं कि लोग भले मुझे शोले की बसंती से याद करते हों, पर मुझे व्यक्तिगत तौर पर फिल्म मीरा और लाल पत्थर में अपनी भूमिकाएं बेहद पसंद हैं। सपनों के सौदागर से टेल मी ओ खुदा तक के दौर में हिन्दी फिल्मों में आये बदलाव को वह किस रूप में देखती हैं? हेमा मालिनी ने कहा-पहले ऑरिजनल का जमाना था। अब रीमेक का जमाना है। ऐसा लगता है कि फिल्मकारों का स्टॉक खाली हो गया है। वैसे तकनीकी तौर पर आज की फिल्में समृद्ध हुई हैं। नये लोगों में प्रतिभा है। वह दिखती भी है। कैटरीना कैफ, करीना तथा विद्या बालन काफी प्रतिभाशाली हैं।
हेमा मालिनी ने महिला सशक्तीकरण की वकालत करते हुए कहा कि सबसे पहले भ्रूण हत्या को रोका जाना चाहिए। यह बुराई समाज में कायम है। इसके खिलाफ लोगों को सोचना होगा। लड़कियों को खुद अपने बारे में सोचना चाहिए। उनके सपनों को साकार करने में परिवार को भी आगे आना चाहिए।
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