विधानसभा अध्यक्ष पद पर नामांकन 26 को
दिल्ली की परिक्रमा करने के बाद उत्तराखण्ड पहुंचने के बाद भी मंत्रियों को विभागों का बंटवारा फिलहाल टल गया है। इसके पीछे सरकार का विधानसभा के भीतर बहुमत साबित करने का पंेच सामने आ खड़ा हुआ है। हाईकमान भी चाहता कि सरकार बहुमत साबित करने के बाद मंत्रियों को विभागों का बंटवारा करें। उत्तराखण्ड में कांग्रेस दबाव की राजनीति क तहत कुछ भी नहीं कर पा रही है। जबकि प्रदेश के मुख्यमंत्री ने 13 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की थी। जिसके बाद कई दिनों तक राजनैतिक घमासान मचने के बाद बीती 19 मार्च को 10 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई जा सकी। जिसके बाद अभी तक कई दिन बीत जाने के बाद भी मंत्रियों को विभागों का बंटवारा नहीं किया जा सका है। कांग्रेस के सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार मंत्रियों को विभागों का बंटवारा 26 मार्च को किया जा सकता है। जबकि पूष्ट सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार बहुमत साबित करने के बाद मंत्रियों को विभागों का बंटवारा किया जाना तय माना जा रहा है।
वहीं उत्तराखण्ड में विधानसभा अध्यक्ष के पद को लेकर 26 मार्च को नामांकन किया जाना है। इस पद पर कांग्रेस की तरफ से गोविंद सिंह कुंज्वाल को लाया जा सकता है। एक जानकारी के अनुसार इस पद पर भाजपा भी नामांकन कराने की तैयारी में है और यदि इस पद पर भाजपा ने नामांकन दाखिल किया तो यह प्रदेश में पहला अवसर होगा जब विधानसभा अध्यक्ष के लिए उत्तराखण्ड में चुनाव संपन्न किया जाएगा। अब तक इस पद पर सत्तारूढ़ दल के विधायक को ही विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया है, लेकिन उत्तराखण्ड में वर्तमान राजनैतिक हालात बेहद भिन्न हो गए हैं और भाजपा व कांग्रेस एक दूसरे से दो-दो हाथ करने की जुगत में लगी हुई है। मुख्यमंत्री के दिल्ली जाने के बाद यह संभावनाएं वयक्त की जा रही थी कि दिल्ली वापसी के बाद मंत्रियों को विभागों का बंटवारा कर दिया जाएगा, लेकिन भाजपा की तरफ से विधानसभा अध्यक्ष के पद को लेकर नामांकन किए जाने की बातें सामने आने के बाद मंत्रियों को विभागों का बंटवारा फिलहाल टाल दिया गया है। आगामी 26 मार्च को कांग्रेस विधानसभा के भीतर अध्यक्ष पद के लिए अपना नामांकन पत्र दाखिल करेगी और इस दौरान कंेद्रीय राज्यमंत्री हरीश रावत के साथ-साथ कई दिग्गज भी मौजूद रहेंगे। फिलहाल विभागों के बंटवारें को लेकर यदि बहुमत साबित करने के बाद किया जाता है। तो यह भी पहला अवसर होगा, जब प्रदेश में विधानसभा सत्र के दौरान मंत्री सदन में मौजूद तो रहेंगे, लेकिन उनके पास कोई विभाग नहीं होगा। अगर ऐसा हुआ तो भाजपा इस मुद्दे को बड़ा रूप भी दे सकती है।
(राजेन्द्र जोशी)
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