गुजरात के ओड दंगा मामले में 47 आरोपियों में से अदालत ने 23 को दोषी पाया है जबकि 23 को निर्दोष मानते हुए रिहा कर दिया है। एक आरोपी की सुनवाई के दौरान ही मौत हो गई थी। इस मामले में आज ही सजा सुनाई जा सकती है।
विशेष लोक अभियोजक पी एन परमार ने बताया कि कुल 22 लोग दोषी पाए गए हैं। इनमें से 18 आरोपियों को 302 यानी मर्डर के केस में गुनहगार पाया गया है जबकि 4 को 307 यानी हत्या की कोशिश के तहत दोषी पाया गया है। जिन लोगों को हत्या का दोषी पाया गया है उनमें वेनू पटेल, विजय पटेल, दिलीप पटेल, हरीश पटेल, जयेंद्र पटेल, सुरेश पटेल, दिलीप पटेल, परेश पटेल, अरविंद पटेल, हेमंत पटेल, सनतभाई पटेल, मनु पटेल, दिलीप भाई पटेल, पूनम भाई पटेल, धर्मेश कुमार पटेल, वेनू भाई पटेल, नाथू भाई पटेल और प्रवीण भाई पटेल शामिल हैं।
साल 2002 में आणंद के ओड में 23 लोगों को जिंदा जला दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बनी विशेष जांच एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट 2011 में ही कोर्ट को सौंप दी थी, लेकिन फैसला सुनाने से पहले ही जज ने रिटायरमेंट ले लिया। बाद में नए सिरे से इस केस की सुनवाई हुई। आज आणंद कोर्ट ने इस मामले में अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है। पीड़ित पक्ष के वकील के मुताबिक कोर्ट ने 18 लोगों को 302 के तहत, 4 को 307 और अन्य धाराओं में कसूरवार पाया।
बीजेपी नेता बलवीर पुंज ने बताया कि कोर्ट का ये निर्णय उन तमाम लोगों के मुंह पर तमाचा है जो कहते थे कि गुजरात में न्याय नहीं मिलेगा। दिल्ली के सिख दंगे में आज तक किसी को सजा नहीं मिली है। लेकिन गुजरात दंगे के आज के फैसले से साफ हो गया है कि वहां न्यायिक प्रक्रिया पूरी रफ्तार से चल रही है।
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