कुछ को मिली मलाई, कुछ को मिली खुरचन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 1 अप्रैल 2012

कुछ को मिली मलाई, कुछ को मिली खुरचन


मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने मंत्रिमण्डल में विभागों के बंटवारें में जहां अपने पास मलाईदार विभाग रखे हैं, वहीं खुरचन मंत्रियों में बांट दी है। हालांकि अभी एक मंत्री की अभी ताजपोशी होनी है। इसलिए यह समझा जा रहा है कि मुख्यमंत्री अपनी मलाई में से कुछ हिस्सा उसको भी दे सकते हैं, लेकिन विभागों के इस बंटवारें में मंत्रियों की इच्छा का कितना ध्यान रखा गया है। यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन खुरचन से कुछ मंत्री संतुष्ट नहीं बताए जा रहे हैं।

वैसे तो मंत्रिमण्डल में विभागों के बंटवारें में मुख्यमंत्री की इच्छा पर निर्भर होता है कि वह किस मंत्री को कौन सा विभाग दे, लेकिन परंपरांओं के अनुसार मुख्यमंत्री विभाग बंटवारें से पहले जहां मंत्रियों की विभाग अभिरूचि, अनुभव तो तरजीह देते हैं, वहीं राष्ट्रीय दलों में आलाकमान की हरी झण्डी के बाद ही मंत्रियों को विभागों का आवंटन किया जाता है। ऐसा उत्तराखण्ड में भी हुआ है 13 मार्च को शपथ लेने के बाद से लेकर शनिवार तक मुख्यमंत्री और प्रदेश प्रभारी सहित कांग्रेस के तमाम आलानेता सिर जोड़कर मंत्रियों के विभागों की अंतिम रूप देने पर लगे थे, लेकिन मंत्रियों के बयान से लगता है कि वे अब भी इससे खुश नहीं है। खुली जबान से तो कोई यह बोलने को तैयार नहीं है कि उसके साथ नाइंसाफी हुई है, लेकिन दबी जुबान से यह बात जरूर स्वीकार कर रहे हैं कि उनके अनुभवों को और उनकी इच्छा का ध्यान नहीं रखा गया। यही कारण है कि बीते दिन से विजय बहुगुणा मंत्रिमण्डल में शामिल यशपाल आर्य भूमिगत हो गए हैं। मुख्यमंत्री ने अपने पास 18 विभाग रखे हैं, जिनमें आबकारी, ऊर्जा, लोक निर्माण, राज्य संपत्ति, सूचना, वन, वन्य जंतु एवं पर्यावरण, उच्च शिक्षा, चिकित्सा शिक्षा, तकनीकि शिक्षा, औद्योगिक विकास जैसे मलाईदार विभाग शामिल है। इनमें से कई विभागों पर मंत्रिमण्डल में शामिल मंत्रियों की निगाह थी।

 यही कारण हैं कि वे कुछ नाराज बताए जा रहे हैं। बसपा कोटे से सुरेन्द्र राकेश जहां आबकारी और गन्ना विकास विभाग को लेकर पेशबंदी में जुटे थे, वहीं उनको उनके पसंद का समाज कल्याण विभाग ही मिल पाया है। जबकि परिवहन विभाग को लेकर वे ज्यादा उत्साहित नहीं बताए गए हैं। ठीक इसी तरह दिनेश अग्रवाल वन विभाग को लेकर उत्साहित थे, लेकिन उन्हें चार विभाग देकर शांत करा दिया गया। मुख्यमंत्री के बाद सुरेन्द्र सिंह नेगी को अच्छे मलाईदार विभाग मिलें है, जबकि यशपाल आर्य को भी थोड़ी मलाई मिली है। वहीं प्रीतम सिंह तो मलाईदार विभाग के सर्वे-सर्वा बन गए हैं। वहीं मंत्री प्रसाद नैथानी को उनकी अभिरूचि के विभाग मिलने से थोड़ी राहत जरूर है। तबकि उक्रांद कोटे से प्रीतम सिंह पंवार को राज्यसभा चुनाव के दौरान देर से मत देने का लाभ मिला है। वहीं निर्दलीय हरीश चंद्र दुर्गापाल को मलाई तो नहीं मिली लेकिन दुग्ध विकास विभाग जरूर मिल गया। जबकि बहुगुणा मंत्रिमण्डल में दूसरे दर्जे की मंत्री इंदिरा हृदयेश पाठक को वित्त विभाग मिला है, वे कंेद्र सरकार में प्रणव मुखर्जी के नक्शे कदम पर चलते हुए अपने को कितना स्थापित कर पाती हैं, यह अब उनके अनुभव पर निर्भर करता है। 

वहीँ मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने अपने आवास में पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड विधानसभा के निर्वाचित सदस्य न होने तक वे उत्तराखण्ड सरकार से अपने पद के लिए किसी प्रकार के भत्ते या वेतन आदि नहीं लेंगे। उन्होंने कहा कि वे नये मुख्यमंत्री आवास परिसर में मुख्यमंत्री कार्यालय में आम जनता की समस्याओं को प्रातः 9.30 बजे से 11 बजे तक सुनेंगे। इसके बाद वे सचिवालय में 11.30 से 1.30 बजे तक अधिकारियों के साथ बैठक एवं अन्य शासकीय कार्य निपटायेंगे। एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा, कि मंत्रिमण्डल के सभी सदस्य उन्हें दी गई जिम्मेदारी को कुशलतापूर्वक निभायेंगे। उन्होंने कहा कि प्रदेशवासियों की समस्याओं को समस्त मंत्रिमण्डल के सदस्य सामूहिक जिम्मेदारी से निपटायेंगे।

(राजेन्द्र जोशी) 

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