सब्सिडी वाले सिलिंडर की संख्या 9 हो सकती है। - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 30 नवंबर 2012

सब्सिडी वाले सिलिंडर की संख्या 9 हो सकती है।


 पेट्रोलियम मंत्रालय और वित्त मंत्रालय के बीच सब्सिडी वाले सस्ते गैस सिलिंडरों की संख्या बढ़ाने पर बात चल रही है। पेट्रोलियम मंत्रालय का कहना है कि अगर वित्त मंत्रालय तेल कंपनियों को चालू वित्त वर्ष के दौरान और 3,000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराता है तो सस्ते सिलिंडरों की संख्या 6 से बढ़ाकर 9 की जा सकती है। पेट्रोलियम मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने गुरुवार को इस मुद्दे पर पहले वित्त मंत्री पी. चिदंबरम से मुलाकात की और फिर तीनों तेल कंपनियों के प्रमुखों के साथ दो घंटे तक बातचीत की। पेट्रोलियम मंत्रालय के एक बड़े अधिकारी ने कहा कि तेल कंपनियों को पहले ही डीजल और गैस की वास्तविक लागत से कम दाम पर बिक्री से रोजाना 400 करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है। ऐसे में सिलिंडरों पर और सब्सिडी देना उनके लिए मुमकिन नहीं है। उन्होंने कहा, 'अगर वित्त मंत्रालय और धन देने पर सहमत हो जाता है तो हम सब्सिडी वाले सिलिंडरों की संख्या बढ़ाकर नौ कर सकते हैं। चालू वित्त वर्ष के बाकी समय में इसके लिए 3,000 करोड़ रुपये और सालाना आधार पर 9,000 करोड़ रुपये और राशि उपलब्ध करानी होगी।'

केंद्र सरकार ने 13 सितंबर को एक फैसले के तहत 14.2 किलोग्राम के सब्सिडी वाले एलपीजी सिलिंडर की सप्लाई हर परिवार पर एक साल में 6 सिलिंडर पर सीमित कर दी थी। इससे ज्यादा सिलिंडर बाजार मूल्य पर खरीदने होंगे। बाजार मूल्य के सिलिंडर का दाम दिल्ली में सब्सिडी पर मिलने वाले सिलिंडर की तुलना में दोगुने तक है। सब्सिडी वाले सिलिंडर दिल्ली में 410.50 रुपए पर उपलब्ध हैं। दिल्ली में 44 फीसदी उपभोक्ता ही साल में 6 सिलिंडर का उपयोग करते हैं। बाकी उपभोक्ताओं को 3 से लेकर 6 सिलिंडर बाजार मूल्य पर 895.50 रुपए प्रति सिलिंडर के दाम पर खरीदने होंगे। इस वजह से सब्सिडी वाले सिलिंडर की संख्या बढ़ाने की मांग उठ रही है। पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली ने पिछले हफ्ते ही संसद में कहा था कि सिलिंडरों की संख्या बढ़ाने की मांग पर गौर किया जा रहा है।

अधिकारी ने कहा कि अब तक वित्त मंत्रालय ने और सब्सिडी देने के बारे में कोई आश्वासन नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि 6 सस्ते सिलिंडर हर परिवार को दिए जाने के बावजूद तेल कंपनियों को चालू वित्त वर्ष के दौरान 1,63,000 करोड़ रुपए की कमाई का नुकसान होने का अनुमान है। इसकी भरपाई के लिए वित्त मंत्रालय को 1,05,525 करोड़ रुपये की नकद सहायता देनी होगी। सरकार की राजकोषीय स्थिति को देखते हुए मंत्रालय के लिए इस राशि को पूरा करना भी मुश्किल दिख रहा है। सस्ते सिलिंडरों की संख्या बढ़ाने पर इसमें 3,000 करोड़ रुपये की राशि और बढ़ जाएगी। बाकी जो भी नुकसान होगा, उसकी भरपाई तेल कंपनियां करेंगी। तेल कंपनियों को इस समय एक लीटर डीजल की बिक्री पर 10.19 रुपये, राशन में बिकने वाले मिट्टी तेल पर 32.87 रुपये और घरेलू गैस सिलिंडर पर 478.50 रुपये प्रति सिलिंडर का नुकसान हो रहा है।

पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने कंपनियों को 83,500 करोड़ रुपये की नकद सब्सिडी उपलब्ध कराई थी। वित्त मंत्रालय को कंपनियों को चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में हुए 55,000 करोड़ रुपए के नुकसान की भरपाई के लिए 30,000 करोड़ रुपये की नकद सब्सिडी देने की मांग भी उठाई गई।

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