विधायिका के कार्यदिवस को बढाया जा सकता है। - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शुक्रवार, 30 नवंबर 2012

विधायिका के कार्यदिवस को बढाया जा सकता है।


संसद और राज्य की विधानसभाओं में हंगामे की वजह से बार-बार बाधा उत्पन्न होने से नाराज राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने शुक्रवार को कहा कि विधायिका बैठक के कार्यदिवसों को बढ़ा सकती है जिससे विधायी कार्य समय पर संपन्न हो सकें। मुखर्जी यहां तमिलनाडु विधानसभा के हीरक जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र का मूल सिद्धांत है कि बहुमत शासन करेगा और अल्पमत विरोध और प्रकट करेगा। 

विधायिका द्वारा बजट और योजनागत प्रस्तावों पर चर्चा के लिए पर्याप्त समय नहीं देने पर मुखर्जी ने कहा कि कोई भी संसद अथवा विधानसभा को साल में छह महीने कार्य करने से नहीं रोकता। उन्होंने कहा कि भारत के पहले बजट का आकार 293 करोड़ रुपये था लेकिन जब वह वित्त मंत्री थे तब उन्होंने 10 खरब रुपये का बजट पेश किया था। मुखर्जी ने कहा कि बजट पर चर्चा का समय लगातार घटता जा रहा है। 

कोई टिप्पणी नहीं: