जागृति पांड्या |
उन्होंने कहा, "पिछले 10 सालों से मैं न्यायिक लड़ाई लड़ रही हूं लेकिन मुझे सफलता नहीं मिली। मैंने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से भी मदद मांगी, जो हरेन का दूसरा परिवार हुआ करती थी। मुझे न सिर्फ मदद देने से इंकार कर दिया गया बल्कि मेरा विरोध तक किया गया।" जागृति ने कहा, "चुनाव लड़कर मैं इस मामले को हरेन के विधानसभा क्षेत्र में ले जाना चाहती हूं। उन्हें ही फैसला करने दीजिए।"
ज्ञात हो कि हरेन पांड्या केशुभाई पटेल की सरकार में 1998 से लेकर 2001 तक गृह राज्य मंत्री थे। नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्हें अपनी मंत्रिपरिषद से बाहर कर दिया। इसके बाद 2003 में उनकी हत्या कर दी गई। एलिसब्रीज से पांड्या तीन बार विधायक चुने गए थे। जीपीपी के टिकट पर चुनाव लड़ने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, "मेरे पति केशुभाई के नेतृत्व वाली भाजपा का हिस्सा थे। इस पार्टी का नेतृत्व भी वही कर रहे हैं। इसलिए मैंने इस पार्टी से जुड़ने का निर्णय किया।"
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