मौजूदा कारोबारी साल की दूसरी तिमाही में आर्थिक विकास दर 5.3 फीसदी रही। पिछले साल की समान तिमाही में यह 6.7 फीसदी थी। जुलाई-सितम्बर तिमाही की विकास दर 30 जून को समाप्त हुई तिमाही में दर्ज की गई विकास दर 5.5 फीसदी से भी कम है। दूसरी तिमाही के सुस्त विकास के लिए निर्माण क्षेत्र में धीमी 0.2 फीसदी प्रगति को जिम्मेदार माना जा रहा है। पिछले साल की समान तिमाही में इसमें 3.4 फीसदी की दर से विकास हुआ था।
कृषि क्षेत्र में भी विकास दर 3.1 फीसदी से घटकर 1.2 फीसदी पर आ गई। केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा शुक्रवार को जारी आंकड़े के मुताबिक आलोच्य अवधि में बिजली क्षेत्र में भी विकास दर 10.5 फीसदी (2011-12 की समान तिमाही) से घटकर 2.8 फीसदी रही।
खनन क्षेत्र में हालांकि सकारात्मक 1.9 फीसदी विकास देखा गया, जबकि पिछले साल की समान तिमाही में इसमें 5.4 फीसदी गिरावट रही थी। निर्माण क्षेत्र में भी 6.3 फीसदी की तुलना में 6.7 फीसदी विकास दर देखी गई। देश की आर्थिक विकास दर 2011-12 में 6.5 फीसदी रही थी, जो 2008-09 के वैश्विक आर्थिक संकट के समय दर्ज विकास दर 6.7 फीसदी से भी कम है। वर्ष 2010-11 में विकास दर 8.4 फीसदी रही थी।
ताजा आंकड़े में कहा गया कि आधार मूल्य के आधार पर देश का सकल घरेलू उत्पादन (2004-05) स्थायी मूल्य पर 2012-13 की दूसरी तिमाही में 12,93,922 करोड़ रुपये दर्ज की गई, जो पिछले साल की समान तिमाही में 12,28,982 करोड़ रुपये थी, इस तरह विकास दर 5.3 फीसदी रही।
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