कर्नाटक की भाजपा सरकार खतरे में - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 23 जनवरी 2013

कर्नाटक की भाजपा सरकार खतरे में


राज्य मंत्रिमंडल से बुधवार को इस्तीफा दे चुके दो मंत्रियों सहित भाजपा के 13 विद्रोही विधायक विधानसभा से इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं। ऐसे में चार वर्षो के दौरान अपनी तीसरी सरकार को बचाने के लिए सत्ताधारी भाजपा को भारी मशक्कत करनी पड़ सकती है। लोक निर्माण मंत्री सी.एम. उदासी और ऊर्जा मंत्री करांदलाजे ने बुधवार को मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया। लेकिन उदासी, करांदलाजे और 11 अन्य भाजपा विधायक बुधवार को विधानसभा अध्यक्ष को इस्तीफा नहीं सौंप पाए, क्योंकि के. जी. बोपैया देश से बाहर हैं।

विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष में एक घंटे से भी ज्यादा समय तक इंतजार किया और फिर उन्होंने राज्यपाल एच. आर. भारद्वाज से मिलकर यह बताने का फैसला किया कि वे शेट्टार सरकार को अब उनका समर्थन नहीं है। विधायकों के इस कदम से 225 सदस्यों वाली कर्नाटक विधानसभा में भाजपा की सदस्य संख्या घटकर 105 रह जाएगी। इस संख्या में विधानसभा अध्यक्ष भी शामिल हैं। भाजपा को एक निर्दलीय विधायक का समर्थन हासिल है, जो सरकार में कबीना स्तर के मंत्री हैं। इसे मिलाकर सरकार के पास विधायकों की संख्या 106 होती है।

विधानसभा में विपक्ष की कुल संख्या 97 है, जिसमें कांग्रेस के 71, और जनता दल (सेक्युलर) के 26 विधायक शामिल हैं। इसके अलावा छह स्वतंत्र और एक नामित सदस्य हैं, जबकि दो स्थान रिक्त हैं। उदासी ने दावा किया है कि चार से पांच और विधायक इस्तीफा देने के लिए तैयार हैं। यदि 20 से ज्यादा विधायकों ने विधानसभा से इस्तीफा दे दिया तो उस स्थिति में जगदीश शेट्टार मंत्रिमंडल को सत्ताधारी दल के निर्दलीय विधायकों को 'पटाने' की क्षमता पर निर्भर रहना पड़ेगा।

भाजपा विधायकों को यह भी भरोसा है कि विश्वास मत के दौरान विपक्षी विधायक विधानसभा से बहिष्कार कर जाएंगे। यह तय लग रहा है कि राज्यपाल एच. आर. भारद्वाज शेट्टार को सदन में बहुमत साबित करने के लिए कहेंगे। प्रदेश भाजपा की कमान सौंपने की केंद्रीय नेतृत्व की वादाखिलाफी से नाराज पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा ने 30 नवंबर को विधानसभा की सदस्यता और पार्टी दोनों से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफे के इस नए दौर का सूत्रधार उन्हें ही माना जा रहा है।

खनन रिश्वत के आरोपों से घिरने के बाद येदियुरप्पा को जुलाई 2011 में मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था और अब वह पार्टी में विद्रोह को हवा देने में जुटे हैं। वह मौजूदा शेट्टार सरकार को विधानसभा में 2013-14 का बजट पेश करने से रोकने में जुटे हैं। क्योंकि सत्ताधारी पार्टी को इसका लाभ मई में होने वाले राज्य विधानसभा चुनाव में मिल सकता है।

पिछले साल जुलाई में मुख्यमंत्री बने शेट्टार के पास वित्त विभाग भी है। उन्होंने बजट पेश करने के लिए आठ फरवरी की तारीख मुकर्रर की है। विधानसभा का बजट सत्र चार फरवरी से शुरू होगा और 13 फरवरी को समाप्त हो जाएगा। कांग्रेस और जद (एस) शेट्टार के बजट पेश करने का इस आधार पर विरोध कर रहे हैं कि वे विधानसभा में प्रभावी बहुमत खो चुके हैं और ऐसे में उन्हें बजट पेश करना तो दूर सत्ता में बने रहने का भी नैतिक अधिकार नहीं है।

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