राज के साथ उद्धव के सुलह के संकेत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 30 जनवरी 2013

राज के साथ उद्धव के सुलह के संकेत


शिव सेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने बुधवार को संकेत दिया कि उनकी पार्टी उनके चचेरे भाई राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) से हाथ मिला सकती है। उद्धव की ओर से यह स्पष्ट संकेत पार्टी मुखपत्र सामना में एक साक्षात्कार में सामने आया है। तत्कालीन शिवसेना प्रमुख बालासाहेब ठाकरे के निधन के बाद उद्धव का यह पहला साक्षात्कार है। बालासाहेब का पिछले 17 नवम्बर को निधन हो गया था और उसके बाद 17 जनवरी को पार्टी की कमान उद्धव ने सम्भाली।

यह पूछे जाने पर कि क्या दोनों चचेरे भाई एकजुट हो सकते हैं, ठाकरे ने कहा, "आप एक हाथ से ताली नहीं बजा सकते। मुझे बताइए, क्या आप ऐसा कर सकते हैं?" इसके बाद सामना के कार्यकारी सम्पादक और पार्टी सांसद संजय राउत ने पूछा कि क्या इसका अर्थ यह है कि दोनों दल हाथ मिला सकते हैं? ठाकरे ने राज के साथ दूरियों को पाटने की सम्भावना का संकेत देते हुए कहा, "आप यह प्रश्न केवल मुझसे क्यों पूछ रहे हैं? मैं जवाब देने के लिए तैयार हूं। लेकिन इसके लिए हम दोनों को एक साथ बैठना होगा, एक-दूसरे के अगल-बगल में। उसके बाद आप हम दोनों से यह सवाल पूछ सकते हैं। यह दोनों पक्षों पर निर्भर करता है।"

ठाकरे ने राऊत से कहा, "एकजुट होने से ज्यादा महत्वपूर्ण इस बात का विश्लेषण करना है कि आखिर हम दोनों अलग क्यों हुए.. यदि हम फिर से एकजुट होते हैं, तो उसका उद्देश्य क्या होगा? आपका मुख्य राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी कौन है? आप किसे राजनीतिक रूप से खत्म करना चाहते हैं? और इसे हासिल करने के लिए किस दिशा में आगे बढ़ना चाहिए?" जब बात स्पष्ट करने के लिए कहा गया, तो ठाकरे ने कहा कि दिवंगत बाल ठाकरे ने चार दशक पहले मराठियों के अधिकारों की लड़ाई के लिए और धरती पुत्रों को न्याय दिलाने के लिए शिव सेना की स्थापना की थी। 

ठाकरे ने आगे कहा, "इसके बाद जब उन्होंने महसूस किया कि इस्लामिक संगठन देश के लिए खतरा पैदा कर रहे हैं, तो उन्होंने कहा कि इस चुनौती से केवल मराठी नहीं निपट सकेंगे। इसलिए उन्होंने यह नीति अपनाई कि महाराष्ट्र में वह मराठियों के लिए लड़ेंगे। पूरे देश के लिए वह हिंदू होंगे।" उद्धव ने कहा कि मराठी लोग धर्म और जाति के आधार पर बंटे हुए थे और बाल ठाकरे ने उन्हें हिंदू झंडे के नीचे एकजुट किया। लेकिन चुनाव के दौरान वापस वही स्थिति बन गई।

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