विज्ञान के प्रति आम समझ होना जरूरी. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

गुरुवार, 3 जनवरी 2013

विज्ञान के प्रति आम समझ होना जरूरी.


राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने गुरुवार को वैज्ञानिक समुदाय से कहा कि वे आधुनिक साधनों के माध्यम से संवाद स्थापित करें ताकि आम लोग इसे समझ सकें और देश में वैज्ञानिक संस्कृति का निर्माण हो सके। भारतीय विज्ञान कांग्रेस के शताब्दी समारोह का यहां उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, "विज्ञान के प्रति आम और राजनीतिक समझ होना जरूरी है। इसलिए मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि आधुनिक प्रचलित साधनों का उपयोग संवाद स्थापित करने में करें, ताकि इसे आम आदमी समझ सके।" उन्होंने कहा, "इससे भारतीय समाज में वैज्ञानिक संस्कृति का विकास होगा।"

पांच दिवसीय समारोह में छह नोबेल पुरस्कार विजेता, विदेश से 60 वैज्ञानिक, 15 हजार प्रतिभागी तथा छात्र हिस्सा लेंगे।  राष्ट्रपति ने एक शताब्दी पहले के वैज्ञानिकों का जिक्र करते हुए कहा कि वे साधारण भाषा में व्याख्यान दिया करते थे, जिससे एक पूरी पीढ़ी में वैज्ञानिक लगाव पैदा हुआ।

मुखर्जी ने कहा, "दुनिया के प्रमुख वैज्ञानिकों को हमेशा यह चिंता रही है कि कैसे प्राकृतिक घटनाक्रमों को लेकर उनकी समझ का उपयोग भविष्य की सामाजिक समस्याओं को सुलझाने में किया जा सके।" उन्होंने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और इन्नोवेशन नीति जारी की, जिसमें भारत को 2020 तक दुनिया की पांच सबसे बड़ी वैज्ञानिक शक्तियों में शामिल करने का लक्ष्य रखा गया है।

राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें समारोह में शामिल होने की इसलिए भी खुशी है कि कलकत्ता विश्वविद्यालय इसका सह-आयोजक है, जहां उन्होंने पढ़ाई की है और वे विज्ञान को आगे बढ़ाने में कॉलेज की भूमिका के बारे में जानते हैं। 

कोई टिप्पणी नहीं: