पेट में रोग और पेटी में स्मार्ट कार्ड रह गया - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 28 फ़रवरी 2013

पेट में रोग और पेटी में स्मार्ट कार्ड रह गया


राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत महेश्वरी देवी को स्मार्ट कार्ड बना था। गरीबी रेखा के नीचे रहने वाली महेश्वरी ने 30 रू0 देकर स्मार्ट कार्ड  बनवाई थीं। ऐन वक्त पर उक्त कार्ड को इस्तेमाल नहीं कर सकीं। इसका नतीजा यह निकला कि पेट में रोग और पेटी में स्मार्ट कार्ड पड़ा ही रह गया। 
  
आज भी स्मार्ट कार्ड के बारे में ग्रामीणों को विशेष जानकारी नहीं है। अन्य कार्डों की तरह ही स्मार्ट कार्ड को जत्तन से रख देते हैं। विडम्बना है कि इसे सिर्फ अस्पताल में भर्ती होते वक्त ही व्यवहार में लाया जाता है। इसके कारण ग्रामीण स्मार्ट कार्ड को ठीक तरह से पेटी में बंद करके रख देते हैं। जरूरत है इस कार्ड को ओ.पी.डी.बाहरी द्वार से चिकित्सा करवाते समय भी महत्व दिया जाए और स्मार्ट कार्ड की राशि से दवा-दारू किया जाए। 

खैर, महेश्वरी देवी को किसी तरह की बीमारी नहीं होने कार्ड को जत्तन से पेटी में कर दी थीं। हां, उसको यह भी नामालूम था कि इस स्मार्ट कार्ड का किस तरह से  उपयोग किया जाता है। वह पिछले 2 सालों से आंतरिक षारीरिक दर्द से बेहाल रहती थीं। उसे बच्चादानी का ऑपरेशन करवाना था। 30 रू0 में देकर 30 हजार रू0 के चिकित्सकीय सहयोग देने वाले स्मार्ट कार्ड की मियाद सालभर की होती है। इसके आलोक में महेश्वरी देवी के स्मार्ट कार्ड ‘यूसलेस’हो गया। एक साल के अंदर रिचार्ज नहीं करने के कारण अब महेश्वरी देवी को फिर से स्मार्ट कार्ड बनवाना पड़ेगा। इसका मतलब स्मार्ट कार्ड का नवीकरण करवाना होगा। वह पुनः कार्ड बनवाने के चक्कर में चकरा रह गयी हैं। 
   
भोजपुर जिले में सहार प्रखंड है। इस प्रखंड के गुलजारपुर पंचायत के इनरूखी की स्थायी निवासी हैं। इस गांव से प्रखंड की दूरी 8 किलोमीटर की है। जिला मुख्यालय की दूरी 32 किलोमीटर है। इस गांव में कुल 263 घर है। गांव में दलित और पिछड़ी जाति के लोग रहते हैं। बीमार पड़ने पर लोग 5 किलोमीटर की दूरी तय करके नारायणपुर बाजार में निजी क्लिनिक में जाते हैं। यहां के कुछ लोग 8 किलोमीटर की दूरी तय करके प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, सहार की ओर रूख करते हैं। इस गांव में 150 की संख्या राष्ट्रीय स्वास्थ्य जीवन बीमा के तहत कार्ड बना है। इस विधवा महेश्वरी देवी को स्मार्ट कार्ड बना। स्मार्ट कार्ड की संख्या 0004.5711.10290.391-7 है। विडम्बना है कि महेश्वरी देवी ने जरूर ही 30 रू0 देकर स्मार्ट कार्ड निमार्ण कराया है। वह स्मार्ट कार्ड बनवाकर पेटी में रख दी। उसने स्मार्ट कार्ड से मिलने वाली बीमित राशि का उपयोग नहीं कर सकी। वह पेटी में स्मार्ट और शरीर में रोग लेकर घुमती रहीं। 

किसी अज्ञात बीमारी के कारण 10 साल पहले नन्दजी राम की मौत हो गयी। आजतक गुलजारपुर पंचायत के किसी मुखिया ने इस अबला के प्रति सहानुभूति प्रकट कर लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन से लाभान्वित नहीं कराये। इस समय पंचायत के मुखिया दलित हैं। फिर भी इस दलित की सुधि नहीं ले रहे हैं। अब सारी उम्मीद विधवा को अपने पुत्र के ऊपर टिकाके रखी हैं। जो अभी अन्य राज्य में जाकर काम करते हैं। 
 अबला नारी तेरी यही कहानी के रूप में प्रचारित महेश्वरी देवी के तीन संतान हैं। दो लड़की और एक लड़का है। किसी तरह से दो लड़कियों की शादी कर दी गयी। उसका लड़का स्कूल के द्वार तक नहीं  पहुंच पाया।  वह अपनी मां के आंखों का तारा है। वह हरेक तरह के कार्य में मां के साथ-साथ हैं। अपने घर में खेती योग्य जमीन नहीं रहने के कारण मनी (बटईया) खेती करके जीवन बसर करते हैं। 
   
सुखद बात है कि इस पंचायत की मुखिया दलित ही है। इनका नाम नन्दु पासवान है। सिचाई के साधन नहर होने के कारण धान और गेहूं की फसल अच्छी होती है। दलित खेती बारी से निपटने के बाद काफी संख्या में पलायन करके दूसरे राज्य की ओर मुखातिर हो जाते हैं। कारण कि उनके पास कृषि योग्य जमीन नहीं है। दलित आहर के किनारे रहते हैं। 
  
महेश्वरी देवी कहती हैं कि परिवार के साथ फोटो खिचाईल हल, स्मार्ट कार्ड को बक्सा में रखले बानी। उस समय कोई बीमारी नहीं थीं। इसके बाद पेट में दर्द होने लगा। एक चिकित्सक ने कहा कि बच्चादानी निकालना पडे़गा। ऑपरेशन के रूप में 12 हजार रू0 की मांग की गयी। पैसे के अभाव में बच्चादानी का ऑपरेशन नहीं हो सका। स्मार्ट कार्ड का नवीकरण नहीं होने के कारण स्मार्ट कार्ड ‘यूजलेस’ हो गया है। 
  
निर्धनतम क्षेत्र नागरिक समाज के स्टेट मैंनेजर राजपाल, परियोजना पदाधिकारी आरती वर्मा और प्रगति ग्रामीण विकास समिति के जिला समन्वयक सिंधु सिन्हा ने व्यापक जन जागरण पैदा किये। इससे गांव के लोगों को पर्याप्त जानकारी मिल पायी है। गा्रमीणों ने अब स्मार्ट का बेहतर इस्तेमाल करने और प्रत्येक साल नवीकरण करने को तैयार हो गये। हैं। यह कहावत चरितार्थ कर रहे हैं सबेरे का भूला शाम को लौट आया। अब महेश्वरी देवी फिर से कार्ड बनाने को राजी हो गयी है। अब अबला बच्चादानी का ऑपरेशन करा पाएंगी।


---अलोक कुमार---
पटना 


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