सूचना ही सब कुछ हैं और हरपल, हर क्षण हम और आप इसी से रूबरू होते रहते हैं चाहे आॅफिस में बैठा कंप्युटर आॅपरेटर हो चाहे उद्योगपति सूचनाएं इंसान की जरूरत का अहम हिस्सा हैं और नित नई जानकारियां जुटाने की जद्दोजहद चलती रहती हैं और इसी जद्दोजहद में सहयोगी साबित हो रही है वेबसाइट्स। इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारियों एवं सूचनाओं को समग्र रूप में किसी एक वेबसाइट के जरिये उपलब्ध करवाया जाता है, जिसे कहीं भी इंटरनेट की उपलब्धता होेने पर आसानी से देखा जा सकता है, और वेबसाइट में उपलब्ध करवाई गई जानकारियां कई मायनों में महत्वपूर्ण होती हैं जिसमें प्रचार-प्रसार और सूचना तथा तकनीक से सभी को रूबरू करवाया जा सकता है, कार्यों में तेजी लाने और पारदर्षिता बरतने के लिए सरकारी कार्यालयों में भी अब वेबसाइटों का सहारा लिया जाने लगा है जिनमें महत्वपूर्ण जानकारियों और सूचनाओं का उल्लेख किया जाता है आम जरूरतों के हिसाब से उपभोक्ता जानकारियों को देख और डाउनलोड कर सकता है, एक दूसरे से सूचनाओं का आदान-प्रदान कर सकता हैं। मौसम, विज्ञान, कृषि, उद्योग, बाजार, तकनीक और सूचना आदि के क्षेत्र में वेबसाइट ने बहुत अहम किरदार निभाया है। जहां सम्पूर्ण जानकारी बस आपके एक क्लिक के इषारे पर दिख जाती है वहीं मोबाईल पर भी आसानी से कहीं भी देखी जा सकती हैं, ऐसा लगता है जैसे सम्पूर्ण संसार सिमट कर हाथ में समा गया हो।
शिक्षा में अहम किरदार: इसका षिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत बड़ा योगदान है विभिन्न प्रकार के परीक्षाओं से जुड़ी सूचनाएं, फाॅर्म एवं रिजल्ट तथा तैयारियों से जुड़ी जानकारियां विद्यार्थियों के लिए फ्री उपलब्ध रहती है, नये प्रकार की वेबसाइटों में सब्सक्राइब करने की सुविधाएं रहती हैं जिनमें यूजर को अपना ई-मेल आईडी रजिस्टर करने की जरूरत होती है बस फिर जैसे ही वेबसाइट को नयी जानकारी से अपने यूजर्स को अपडेट करना होता है सभी के पास ई-मेल के जरिए महत्वपूर्ण सूचना पंहुच जाती है। काॅलेज जैसी षिक्षण संस्थाओं में अब फाॅर्म लेने के लिए विद्यार्थियों को लाइन नहीं लगानी पड़ती, फाॅर्म आॅनलाइन ही भरे जा रहे है जिससे कागज का इस्तेमाल कम हुआ है और समय की महत्वपूर्ण बचत हुई है साथ ही साथ इस प्रकार की तकनीकी सेवा के कारण अब षिक्षा के क्षेत्र में त्वरित एवं पारदर्षी परीक्षा परिणाम बनाने में बहुत सहयोग मिल रहा है।
विद्यार्थी हुए एकजुट: समान षिक्षा की नीति को अपनाते हुए विद्यार्थियों ने भी सीमाओं के दायरे को खत्म करते हुए कई फाॅरम बना लिये हैं जिनमें विभिन्न संस्थानों से जुड़े विद्यार्थी ज्ञान को साझा कर रहे हैं और साथ ही अनुभव की जाने वाली दिक्कतों का भी अनुसंधान किया जा रहा है, शोध से जुड़े विद्यार्थियों में ऐसी वेबसाईटों का प्रचलन ज्यादा है जिससे उन्हें जरूरत पड़ने पर पुराने शोध को पढ़ने में खासी मदद मिल रही है।
संरक्षित ज्ञान: किताबें व्यक्ति की मित्र होती हैं और ज्ञान का भण्डार भी लेकिन देखरेख के अभाव में किताबों को पुराने पुस्तकालयों में अधिक समय तक सहेज कर नहीं रखा जा सकता, कई बार महत्वपूर्ण जानकारी किताबों के सही चुनाव न हो पाने के कारण भी अधूरी रह जाती है और असमय चाही गई सूचना के लिए भी दिक्कत आती है ऐसे में कई स्थानों पर पुराने और अमूल्य ग्रंथों तथा इतिहास से जुड़ी सूचनाओं का डिजीटलाइजेषन किया जा रहा है कह सकते हैं कि ई-लाइब्रेरी का विचार काम में लिया जा रहा है, कई वेबसाइट इस दिषा में कदम उठा चुकी हैं और कई किताबें ई-बुक्स के भेष में आपकों ईंटरनेट पर उपलब्ध हो जाती है मामूली सी कीमत देकर आप उसे डाउनलोड कर सकते हैं या फिर सूचनाओं को आॅनलाइन ही पढ़ कर जानकारी जुटा सकते हैं।
एक एसएमएस पर जानकारी: इस क्षेत्र में क्रांति पूर्ण कदम उठते दिख रहे हैं जिसमें एसएमएस सुविधा के जुड़ जाने से विकास दु्रत गति पकड़ रहा है जिसमें कई सूचनाएं आपकों एसएमएस के जरिए भी उपलब्ध करवाई जा रही हैं यदि आप कोई भी रजिस्टर उपभोक्ता के आधार पर फाॅर्म भर रहे हैं या किसी भी प्रकार की आॅनलाइन खरीद कर रहे हैं तो आॅर्डर की सम्पूर्ण जानकारी आपको एसएमएस के ¬द्वारा दे दी जाती है। एसएमएस के द्वारा आपके मोबाइल नं. को डेटाबेस में सेव कर कई वेबसाइटें आपके वास्तविक एवं सही एकाउंट की पहचान करती हैं और यदि आपको अपने एकाउंट संबंधी किसी भी प्रकार की समस्या जैसे हैकिंग आदि की षिकायत होती है तो भी मोबाइल नं. बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इस प्रकार की वेबसाइटों में फेसबुक, याहु, एवं जीमेल आदि प्रमुख हैं।
दुर्घटनाओं के दौरान कई बार ऐसी स्थितियां भी आती हैं कि किसी विषेष प्रकार के रक्त समूह का रक्त मरीज को नहीं मिल पाता इससे भी निजात पाने में कई संस्थाएं काम कर रही हैं जिनमें रक्तदान करने वाले दानदाताओं की सूचनाएं संग्रहीत की जाती हैं और स्थान,जिला और राज्यवार जरूरत पड़ने पर दानदाताओं की सूची आॅनलाइन उपलब्ध करवाई जाती है जिससे समय पर जानें बचाने में वेबसाईट कारगर साबित हुई हैं।
व्यापार से जुड़े लोगों के लिए भी हर पल के उतार चढ़ाव को दर्ज करती हुई वेबसाइटों ने भारत में अहम किरदार निभाया है और व्यापार में अभूतपूर्व बदलाव आये हैं।
रास्ता नहीं भटकते: मोबाइल हो गये हैं पुराने अब जमाना है नये और स्मार्ट मोबाईल फोन का जिनमें सम्पूर्ण सुविधाएं हैं बस जरूरत रहती है इस्तेमाल की, जिसमें जीपीएस (ग्राउंड पोजिषनिंग सिस्टम) की मदद से इस्तेमाल करने वाले की सही सही लोकेषन नक्षे पर दिख जाती है और अपनी लोकेषन से जाने वाले रास्तों, नजदीकी एटीएम, रेस्टोरेंट और बेहद जरूरी सेवाएं जैसे अस्पताल, पोलिष स्टेषनों की सूचनाएं दिख जाती हैं। खास तौर पर सैलानियों के लिए ये तकनीक बहुुत ही कारगर साबित हो रही है।
सूचना तंत्र को मिला बल: भारत त्यौंहारोें वाला देष है हर दिन यहां त्यौंहार जैसा होता है इनमें से प्रमुख त्यौंहारों को यहां ही नहीं अपितु सुदूर विदेष में बैठे भारतीयों के द्वारा भी मनाया जाता है इसकी एक पल में जानकारी सुलभ होना किसी अचरज से कम नहीं है और ये सब संभव हुआ है तकनीक के विकास और वेबसाइ्ट्स के योगदान से। सूचना तंत्र की भी तकनीकी प्रतिस्पर्धाएं दिनों-दिन बढ़ती जा रही हैं कोई आपकों मोबाइल पर अखबार देखने की सुविधा दे रहा है तो कोई आपकों न्युज चैनल को लाइव देखने की सुविधा, तकनीक इतनी विकसित हो गई है कि एक पल में खबर सम्पूर्ण विष्व में फैल जाती है और जिसमें फेसबुक जैसी वेबसाइटों का विषेष योगदान हो गया है। अखबार आप एक दिन दो दिन नहीं कई पुराने दिनों के भी आॅनलाइन पढ़ सकते हैं कई सामाजिक उत्प्रेरक व्यक्ति “मैं भी पत्रकार“ की तर्ज पर अपने आस पास घटित किसी भी प्रकार की घटना से फेसबुक और ट्वीटर जैसी साॅषल वेबसाइट्स से जोड़कर सूचना तंत्र को और मजबूती दे रहे हैं। यही कारण है कि “दामिनी“ को इंसाफ दिलाने के लिए हजारों लोगों ने अपनी संवेदनाएं प्रकट की और सड़कों पर उतर आये। केवल इतना ही नहीं प्रमुख समाचार पत्रों एवं न्युज चैनलों की वेबसाइटों पर समाचारों को सभी जगह देखा जाता है यही कारण है कि आज आपकों अपने न्युज चैनल और समाचार पत्र में किसी स्थान विषेष की न होकर सम्पूर्ण जगत की खबरें पढ़ने और देखने को मिलती हैं। कहना न होगा कि सूचना क्रांति के युग में वेबसाइट्स ने ज्ञान चक्षु खोलने बल्कि सामाजिक, राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकतंत्र की रक्षा तथा अन्याय के खिलाफ जंग में अपना विषेष योगदान दिया है।
पर्यटन में विषिष्ट योगदान: वेबसाइटों पर सम्पूर्ण जानकारियों को एक व्यवस्थित क्रम एवं उपभोक्ता के नजरिए और पसंद के हिसाब से बनाया जाता है जिससे कम समय में महत्वपूर्ण जानकारियों से रूबरू होने में मदद मिलती है पर्यटन और इससे जुड़े कई कार्य वेबसाइटों की मदद से आसान हो गये हैं। हाॅटल-रेस्टोरेंट और उनमें मिलने वाली सुविधाएं, रेलवे एवं निजी बस-ट्रक-कार का रिजर्वेषन अब वेबसाइटों के जरिए होने लगा है टूर आॅपरेटर आॅनलाइन जुड़े रहते हैं जिससे सैलानियों को भी एक स्थान से दूसरे स्थान जाने और वहां रहने खाने में असुविधा से मुखातिब नहीं होना पड़ता। वेबसाइटों पर भ्रमण करने लायक स्थानों और वहां होने वाले खर्च का पूर्वानुमान अब वेबसाइटें पहले से ही उपलब्ध करवा रही हैं वहीं कई सेवाएं ऐसी भी दी जा रही हैं जिससे उपभोक्ता की जेब के हिसाब से आॅफर उपलब्ध करवाये जा रहे हैं ऐसे में कहना न होगा कि न सिर्फ पर्यटन बल्कि उससे जुड़े हर छोटे-बड़े व्यापार को बढ़ावा देने में वेबसाइटों ने कमाल का योगदान दिया है। सात समंदर पार टटोले मरीज की नब्ज: चिकित्सा क्षेत्र भी तकनीक से अब अछूता नहीं है जिसमें विडियों कांफ्रेंसिंग एवं रोबोटिक्स का बहुत इस्तेमाल हो रहा है, विडियों कांफ्रेंसिंग के जरिए न केवल देष-विदेष के डाॅक्टर अपने अनुभव साझा कर रहे हैं बल्कि वे उन मरीजों तक भी अपनी पंहुच बना रहे हैं जहां दूरियां बहुत है। अपने मरीज की विडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए मिलकर इस क्षेत्र में वेबसाइट ने महत्वपूर्ण उपलब्धियां दी हैं। वहीं सरकारी तथा गैर सरकारी संगठन जिनके प्रमुख केंन्द्रों के बीच की दूरियां पाटने का काम भी आसान हो गया है जिनमें समय-समय पर फेस-टू-फेस बातचीत कर विभिन्न मसलों को समाधान एवं प्रगति रिपोर्ट की समीक्षा के जरिए आसान बनाया जा रहा है।
नजर रहती हे हरदम: अपराध और दुर्घटनाओं को रोकने तथा आकस्मिक स्थितियों से निपटने के लिए आज सीसीटीवी केमरों एवं ओडियो डिवाइस का चलन बढ़ता जा रहा है शहर के प्रमुख चैराहों, सेवा संस्थाओं एवं प्रमुख सार्वजनिक स्थलों तथा कई बड़े प्रतिष्ठानों पर अब रहती है पैनी निगाह जिससे बहुत हद तक अपराधों से निपटने और उनके बढ़ते ग्राफ को कम करने में मदद मिली है जहां देखा जा सकता है कि चैबीसों घंटे मानवीय नजर नहीं रखी जा सकती वहां इनका इस्तेमाल किया जा रहा है, कैमरे सीधे तौर पर वेबसर्वर से वेब-एप्लीकेषंस की मदद से जुडे़ रहते हैं और हर क्षण को कैद करके डेटाबेस में सुरक्षित करते जाते हैं जिनका समय आने पर इस्तेमाल कर जानकारियां जुटाई जा सकती हैं। अभी हाल ही के वर्षों में ऐसी वारदातों का खुलासा करने में पुलिस को काफी मदद मिली जब स्वर्ण आभूषणों और मोबाईल की दुकानों तथा एटीएम मषीन और महंगे शाॅरूमों में चोरों को संेध लगाकर चोरी करते देखा गया। पुलिस के द्वारा अपराधियों का रिकाॅर्ड आॅनलाइन किया जाना भी इस दिषा में एक महत्वपूर्ण कदम है जिससे अन्तर्राज्यीय पुलिस को कार्य में एक दूसरे की मदद मिल रही है। अंतरराज्यीय स्तर पर पानी और तेल तथा के गैस के आदान प्रदान पर भी उपकरणों को वेबसाइट से जोड़कर सुरक्षात्मक रवैया अपनाया जा रहा है और चोरी की घटना का सटीक पता तुरंत लगाया जाकर समाधान किया जा रहा है जिससे किसी भी बड़ी क्षति से बचाव भी हो रहा है।
किसानों का साथी: किसानांे के लिए खास षिक्षा और जानकारियों के कार्यक्रम तो दूरदर्षन एवं रेडियों प्रसारित करता ही रहता है लेकिन साथ ही किसी स्थान विषेष की जानकारी वहां की जलवायु, मिट्टी के प्रकार एवं वर्षा तथा भूमिगत जल की निर्भरता को ध्यान में रखते हुए कृषि से जुड़े हुए संस्थान वेबसाइटों के माध्यम से जानकारी सुलभ करवा रहे हैं, किसान मौसम का पूर्वानुमान लगा सकते हैं उस हिसाब से अपनी फसल बो सकते हैं, कृषि विषेषज्ञों के टेलिफोन नं. अंकित होने और विभिन्न विडियों ट्युटोरियल की मदद से आज के किसान को वेबसाइट ने अपना साथी बना लिया है और किसानों का काम काफी हद तक आसान बनाने में सहयोगी साबित हुआ हैं। ऐसी वेबसाइटों पर बीज, खाद एवं उर्वरक की भी जानकारी उपलब्ध रहती है।
अपनों से मिलाया: आज कई वेबसाइट्स बिना किसी शुल्क के अपने उपभोक्ताओं को अन्य उपभोक्ताओं के मध्य संवाद स्थापित करने फाइल ट्रांसफर करने और विडियों काॅलिंग जैसी सुविधा दे रहे हैं जिनमें जीमेल,याहू,फेसबुक,स्काइप आदि प्रमुख हैं । रोजगार की तलाष और अध्ययन के लिए अपनों से दूर बैठे लोगों के लिए अपने प्रियजनों से रूबरू होने में वेबसाइट्स ने अपना बहुत सहयोग किया है जिससे खुषियों का संचार हुआ है, सीमाओं की दूरियां कम हुईं हैं। कई बार देखा गया है कि बिछड़ों को मिलाने में साॅषल वेबसाइट्स ने अपनी भूमिका भी निभाई है।
ई-गवर्नेंस का सपना हुआ सच: कई सरकारी विभागों मंे भी अब वेबसाइट के प्रति रूझान बढ़ गया है और उन्होंने जनता के लिए मदद और जानकारियों को सुलभ करवाने में और आसानी दे दी हैं , जहां एक और सम्पूर्ण जानकारियां आंकड़ों के साथ सरकारी विभागों की वेबसाइटों पर उपलब्ध रहती हैं वहीं कार्य एवं उनके स्तर को दर्ज करके ये पारदर्षिता बरतने का एक अच्छा उदाहरण पेष कर रही हैं। आम जन को आवेदन और जानकारी से जुड़े हर पहलु को पंचायत समिति स्तर पर लागू करके वेबसाइटों ने ई-गवर्नेंस की तरफ ही अपने कदम रख दिये हैं। पूरे संसार को जहां वेबसाइट और इंटरनेट के जाल ने समेट कर एक सूत्र में बांध दिया है वहीं कहना न होगा कि जागरूकता के अभाव और गलत दी गई जानकारियों का स्तर भी बदस्तूर जारी है कई विभागों में उपलब्ध जानकारियां लालफीताषाही और सरकारी लेटलतीफी के चलते समय पर नहीं बदली जाती जिससे आमजन को परेषानी झेलनी पड़ती है। आॅनलाइन षिकायत और एक एसएमएस से सेवा का दावा करने वाले कई विभाग इस बात का उदाहरण है कि उनमें षिकायतें ही सही ढंग से दर्ज नहीं की जाती तो निस्तारण की बात दूर की है, इस बात को बहुत अच्छे रूप में लिया जाना चाहिए कि मोबाइल क्रांति और तकनीक के मिले जुले रूप ने बंैकिंग सैक्टर में बहुत सहायता दी है एटीएम मषीन में लगी वेब एप्लीकेसन्स वेबपोर्टल के साथ जुड़ी होती है उपभोक्ताओं की कतारों को बैंकों में कम करने आमजनता में पैसा आसानी से कहीं भी कभी भी सुलभ करवाने में यह बहुत ही कारगर सिद्ध हुई हैं।
देखा जाए तो संभावनाएं अपार हैं और कार्य करने के लिए बहुत, बस जरूरत हैं आपसी सहयोग, कर्मठता समाज के विकास की भावना को साकार करने की तभी भारत का विकास संभव है।
---आनन्द हर्ष---
815, नानक मार्ग गांधी काॅलोनी जैसलमेर(राज.) 345001
9414469362
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