जनजाति उप योजना अनुसूचित जनजाति पर केन्द्रीय कानून बनाने की मांग - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 30 अप्रैल 2013

जनजाति उप योजना अनुसूचित जनजाति पर केन्द्रीय कानून बनाने की मांग


विशेष घटक योजना की व्यवस्था करें


गया। कई संस्थाओं को मिलाकर अनुसूचित जाति-जनजाति विशेष घटक योजना राष्ट्रीय गठबंधन तैयार किया गया है। इसके द्वारा आजकल राष्ट्रव्यापी हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है। वंचित समुदाय और अन्य लोगों के द्वारा किये गये लाखों हस्ताक्षर को प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपा जाएगा। 

संपूर्ण देश की कई संस्थाओं से मिलकर बने अनुसूचित जाति-जनजाति विशेष घटक योजना राष्ट्रीय गठबंधन अनुसूचित जाति उप योजना (एससीएसपी)पर न्यायोचित हक प्राप्त करने के लिए कटिबद्ध है। इस राष्ट्रीय गठबंधन की ओर अनुसूचित जाति उप योजना (एससीएसपी)एवं जनजाति उप योजना (टीएसपी) से संबंधित कुछ तथ्य एवं आकड़े आपके समक्ष रखना चाहते हैं।

वर्तमान वित्तीय वर्ष 2013-14 के बजट में,अनुसूचित जाति उप योजना (एससीएसपी) और जनजाति उप योजना(टीएसपी) के तहत 41,561 करोड़ रू. और 24,598 करोड़ रू. आवंटित किये गये है जिसकी प्रतिशत मात्रा 9.92 (एससीएसपी) और 5.8 (टीएसपी) है। एससी और एसटी और सामान्य के बीच की विकासात्मक अन्तर को भरने के लिए कुल योजना में से (एससीएसपी) के लिए कम से कम 16.2 प्रतिशत और (टीएसपी) के लिए 8.2 प्रतिशत का विधिवत आवंटन होना चाहिए। 2013-14 के बजट में एससीएसपी में 26,327 करोड़ और टीएसपी में 9,765 करोड़ का बजटीय आवंटन नहीं किया है। नीतिगत दिशानिर्देशों के अनुपात एससीएसपी और टीएस को कम से कम एसी और एसटी जनसंख्या के प्रतिशत के अनुपात (एससीएसपी के लिए 16.2 और टीएसपी के लिए 8.2 ) में होना चाहिए। एसी और एसटी के लिए योजनाओं की प्रकृति पर किये गये शोध के आधार पर , एक बहुत बड़ा हिस्सा केवल कागज पर और ‘ सांकेतिक’ है। लगभग 70 प्रतिशत आवंटन उत्तरजीविता के लिए है और केवल 20 प्रतिशत विकास के लिए है जिससे पता चलता है कि एससी और एसटी के आर्थिक विकास की ओर सरकार सबसे कम ध्यान दे रही है।

प्रधानमंत्री से आग्रह किया गया है कि आठ सूत्री सलाह को जल्द से जल्द मानकर केन्द्रीय कानून बना दें। इससे देश के एससी और एसटी को काफी फायदा हो सकेगा। सलाह यह है कि 1.राष्ट्रीय और राज्य दोनों स्तर पर एससीएसपी और टीएसपी को क्रियान्वित करने के लिए आवश्यक अधिकारों के साथ एससीपी और टीएसपी प्राधिकार का गठन करें। 2.प्राधिकार के पास केन्द्रीय और राज्य स्तर पर समर्पित संस्थागत ढांचा होनी चाहिए जो एससी और एसटी की विकासात्मक अधिकारों के साथ राष्ट्रीय और राज्य स्तीय एससीएसपी और टीएसपी प्राधिकार का गठन करें। जरूरतों को विधिवत रूप से ध्यान में रखते हुए मंत्रालयों या विभागों को एससीएसपी एवं टीएसपी फंड आवंटित करेगा। इससे मंत्रालयों या विभागों को एक अलग बजट शीर्षक के अंतर्गत एससी और एसटी के विकास के लिए योजनाओं को स्पष्ट रूप से बनाने में सहायता मिलेगी। 3.विभागों और मंत्रालयों को आवंटित करने से पहले ही उनके विभाग के लिए राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर एससी या एसटी की जनसंख्या के अनुपात के समतुल्य केन्द्र और राज्यों के कुल योजना खर्च का एक हिस्सा स्पष्ट रूप से अलग से रख दें। 4.योजनाओं को तैयार करने , उन्हें लागू करने और उनका मूल्यांकन करने में संबंधित समुदायों,सीएसओ और विशेषज्ञों की भागीदारी को प्रोत्साहित एवं सुनिश्चित करें। 5.योजनाओं को आधौगिक समय से तैयार करना चाहिए,जो किसी भी तरह से आवंटित राशि न तो किसी दूसरे मद में खर्च होनी चाहिए और ना ही समाप्त होनी चाहिए एवं व्यक्ति , परिवार एवं बस्ति विकास उन्मुखी हो। 6.वहां किसी भी आवंटन की अनुमति नहीं दी जानी जहां योजनाएं स्वभाव से सामान्य हो और एससी या एसटी और आम जनसंख्या के बीच के विकास के अन्तर को भरने में असमर्थ हो। 7.जहां आवंटन और खर्च दिशानिर्देशों के अनुरूप नहीं होते हैं वहां अधिकारी को उस फंड को अन्य विभागों या अन्य योजनाओं या विभागों को फिर से आवंटित करने का अधिकार होना चाहिए। 8.लाभान्वितों का विवरण प्रदान करने वाला दस्तावेजों को एवं खर्च किये बजट के विवरण को प्रति वर्ष प्रकाशित एवं सार्वजनिक किया जाना चाहिए।

अन्त में आशा व्यक्त की गयी है हम अनुसूचित जाति-जनजाति विशेष घटक योजना राष्ट्रीय गठबंधन की ओर से यूपीए सरकार से सकारात्मक एवं निर्णायक कारवाई की उम्मीद की गयी। सामाजिक कार्यकर्ता अजय मांझी ने कहा कि बिहार के 38 जिलों में जोरशोर से हस्ताक्षर अभियान चलाया जा रहा है।



---अलोक कुमार---
पटना 

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