2जी मामले में नीरा राडिया ने गवाही दी. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 28 मई 2013

2जी मामले में नीरा राडिया ने गवाही दी.

 उद्यमी नीरा राडिया 2जी मामले की सुनवाई करने वाली दिल्ली की विशेष अदालत में मंगलवार को अभियोजन पक्ष के गवाह के तौर पर पेश हुईं। उन्होंने अदालत में पहली बार पेश होकर कहा कि उन्हें लगता है कि स्वान टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस पाने की पात्र नहीं थी, क्योंकि यह कंपनी कथित तौर पर यह रिलायंस एडीएजी समूह की कंपनी रिलायंस कम्युनिकेशंस से जुड़ी थी।

राडिया ने अपनी गवाही के दौरान कहा कि 2008 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन के समय एक मजबूत आम धारणा थी कि स्वान टेलीकाम प्राइवेट लिमिटेड (एसटीपीएल) स्पेक्ट्रम आवंटन की पात्रता नहीं रखती। एसटीपीएल के प्रवर्तक शाहिद उस्मान बलवा और विनोद गोयंका पर इस मामले में अभियुक्त है और उन पर इसी अदालत में मुकदमा चल रहा है।

राडिया ने विशेष सीबीआई अदालत के न्यायाधीश ओपी सैनी से कहा कि स्पेक्ट्रम आवंटन के समय मीडिया ने पात्रता और अपात्रता के बारे में आम लोगों के मन में एक दृढ़ भावना पैदा कर दी थी। आम धारणा और टाटा समूह के वकीलों की सलाह के जरिए मुझे पता चला कि यह कंपनी (स्वान टेलीकाम) पात्र नहीं है। गवाहों के बयान दर्ज किए जाने की प्रक्रिया के दौरान उन्होंने सीबीआई के वकील के पूछने पर अदालत में कहा कि लाइसेंस आवंटन के समय ऐसी सूचनाएं फैली हुई थीं कि स्वान टेलीकॉम प्राइवेट लिमिटेड रिलायंस कम्युनिकेशंस से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि हालांकि इसके बारे में मेरे पास कोई पुख्ता या व्यक्तिगत जानकारी नहीं थी।

राडिया ने कहा कि उनकी जनसंपर्क कंपनी टाटा समूह को दूरसंचार मामले में सलाह देती थी और टाटा टेलीसर्विसेज लिमिटेड (टीटीएसएल) ने 2007 में दोहरी प्रौद्योगिकी लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। राडिया ने अदालत से कहा कि टीटीएसएल को 2008 में दोहरी प्रौद्योगिकी के लिए लाइसेंस प्रदान किया गया था, लेकिन उसे स्पेक्ट्रम नहीं मिला।

राडिया टीटीएसएल को सलाह दी गई थी कि वे कतार में हैं और उपलब्ध होने पर उन्हें स्पेक्ट्रम दिया जाएगा। मैं टाटा समूह के दूरसंचार मामले में समन्वय का काम कर रही थी पर मैं इस काम को अकेले नहीं कर रही थी। टीटीएसएल ने दोहरी प्रौद्योगिकी के लिए दिल्ली सेवा क्षेत्र में भी आवेदन किया था। इस मामले में सीबीआई के वकील ने राडिया से कहा कि क्या आप अदालत को बात सकती हैं कि दिल्ली सेवा क्षेत्र में दोहरी प्रौद्योगिकी वाले स्पेक्ट्रम प्राप्त करने के मामले में टीटीएसएल कतार में कौन से नंबर पर थी। इस सवाल के जवाब में राडिया ने कहा कि मुझे यह नहीं पता कि दिल्ली सेवा क्षेत्र में दोहरी प्रौद्योगिकी के स्पेक्ट्रम प्राप्त करने के मामले में वह किस नंबर पर थी। हालांकि टाटा समूह और दूरसंचार विभाग के बीच पर्याप्त पत्राचार हुआ था जिसमें कहा गया था कि दोहरी प्रौद्योगकी के लाइसेंस हासिल होने के कारण कंपनी कतार में आगे है। कंपनी उस वक्त सीडीएमए सेवा का परिचालन पहले से कर रही थी।

सीबीआई के प्रवक्ता ने राडिया से यह बताने के लिए कहा कि अन्य आवेदकों से आगे होने के बावजूद टीटीएसएल को दिल्ली सेवा क्षेत्र में 2जी स्पेक्ट्रम क्यों नहीं मिला। उन्होंने कहा कि टीटीएसएल को पहले स्पेक्ट्रम नहीं मिला, क्योंकि दूरसंचार विभाग ने कहा कि वह अन्य कंपनियों से आगे नहीं थी। टीटीएसएल को यह बात दूरसंचार विभाग ने मौखिक तौर पर बताई थी। स्वान टेलीकाम को दिल्ली सेवा क्षेत्र में स्पेक्ट्रम मिला। रिलायंस कम्युनिकेशंस को भी स्पेक्ट्रम मिला था।

राडिया ने अदालत से यह भी कहा कि टीटीएसएल ने स्वान टेलीकाम और रिलायंस कम्युनिकेशंस को स्पेक्ट्रम के आवंटन का विरोध किया था, लेकिन उसे सलाह दी गई कि कतार में बनी रहे और जब भी स्पेक्ट्रम उपलब्ध होगा उन्हें मिल जाएगा। अदालत ने अब उनके बयान को रिकार्ड करने की तारीख दो जुलाई तय की है। सीबीआई ने दो अप्रैल 2011 को दूरंसचार मंत्री ए राजा और अन्य के खिलाफ दायर आरोपपत्र में इस मामले में राडिया का नाम अभियोजन पक्ष के गवाह तौर पर दर्ज किया था।

राडिया से दो दिसंबर को सीबीआई के गवाह के तौर पर पेश होने के लिए कहा गया था और वह तीन महीने बाद अदालत में पेश हुईं। उन्होंने स्नायविक बीमारी की वजह से हुई शल्य चिकित्सा के आधार पर तीन महीने का वक्त मांगा था। राडिया का बयान इसलिए भी महत्वपूर्ण है कि उन्होंने सीबीआई के सामने आपराधिक दंड संहित की धारा 161 के तहत जांच के दौरान रिकार्ड कराए गए अपने बयान में कहा था कि स्वान टेलीकाम प्राइवेट लिमिटेड जिस अभी मुकदमा चल रहा है, वह एकीकृत सेवा का लाइसेंस प्राप्त करने की पात्र नहीं थी।
राडिया ने कहा कि स्वान टेलीकाम, जो दिल्ली सर्कल में स्पेक्ट्रम के लिए इकलौती आवेदक थी, के बारे मैं कहना चाहूंगी कि सभी तरह प्रावधानों के मुताबिक आवेदक के तौर पर स्वान टेलीकाम एकीकृत सेवा (यूएएस) लाइसेंस प्राप्त करने की पात्र नहीं थी। उन्होंने 21 दिसंबर 2010 को रिकार्ड बयान में सीबीआई  से कहा था जहां तब मेरी समझ है इसका पूरा नियंत्रण रिलायंस कम्युनिकेशंस के पास था।

सीबीआई ने अपने आरोपपत्र में आरोप लगाया था कि इस मामले में आरोपी रिलायंस टेलीकाम लिमिटेड ने लाइसेंस और मंहगे स्पेक्ट्रम प्राप्त करने के लिए अपात्र कंपनी स्वान टेलीकाम का उपयोग अपनी मुखौटा कंपनी की तरह किया था। स्वान टेलीकाम और इसके प्रवर्तक शाहिद उस्मान बलवा और विनोद गोयंका, आरटीएल और रिलायंस एडीएजी के तीन शीर्ष कार्यकारी गौतम दोषी, सुरेंद्र पिपारा और हरि नायर पर अन्य आरोपियों के साथ इस मामले में मुकदमा चल रहा है।

इस मामले की जांच के दौरान राडिया ने सीबीआई से कहा था कि उन्होंने 2009 आम चुनाव के बाद द्रमुक सांसद कनीमोई से बात की थी जो 2जी मामले में आरोपी भी हैं। सीबीआई द्वारा 29 जनवरी 2011 को दर्ज बयान में राडिया ने इस आरोप को खारिज किया था कि उन्होंने मंत्रिमंडल में राजा को दूरसंचार मंत्रालय दिलाने के लिए कनिमोई से संपर्क किया था।

राडिया ने कहा था कनिमोई से दिल्ली में हुई चर्चा के दौरान हमने मंत्रिमंडल में द्रमुक के संभावित उम्मीदवारों पर चर्चा की। जहां तक मुझे याद है कि ए राजा की रुचि दूरसंचार मंत्रालय में नहीं थी। उन्होंने सीबीआई को बताया था कि न मैंने ए राजा को दूरसंचार मंत्रालय दिलाने के लिए कनिमोई से संपर्क किया था न ही मैं इतने बड़े जिम्मे के लायक थी। उन्होंने सीबीआई से कहा था कि कि पूर्व दूरसंचार मंत्री दयानिधि मारन ने टाटा समूह के लिए बड़ी दिक्कतें पैदा की थीं इसलिए वह उनके विभाग के बारे में चिंतित थीं, क्योंकि टाटा समूह उनकी जनसंपर्क कंपनी वैष्णवी कार्पोरेट कम्युनिकेशंस प्राइवेट लिमिटेड की ग्राहक थी।

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