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मंगलवार, 28 मई 2013

नक्सलियों ने कांग्रेस के काफिले पर हुए बर्बर हमले की जिम्मेदारी ली.



छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में कांग्रेस के काफिले पर हुए बर्बर हमले के तीन दिन बाद नक्सलियों ने इसकी जिम्मेदारी ली है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) की दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमिटी के प्रवक्ता गुड्सा उसेंडी की ओर से मीडिया को जारी बयान में कहा गया है कि 'दमन की नीतियों' को लागू करने के लिए संगठन ने कांग्रेस के बड़े नेताओं को निशाने पर लिया है। इसके साथ ही हमले में कांग्रेस के छोटे कार्यकर्ताओं और गाड़ियों के ड्राइवरों व खलासियों के मारे जाने पर खेद भी जताया गया है।

माओवादी संगठन की ओर से जारी चार पेज के प्रेस नोट में कहा गया है, 'दमन की नीतियों को लागू करने में कांग्रेस और बीजेपी समान रूप से जिम्मेदार रही हैं और इसलिए संगठन ने कांग्रेस के बड़े नेताओं पर हमला किया।'

कांग्रेस के बड़े नेताओं को मारे जाने को सही ठहराते हुए गुड्सा उसेंडी ने कहा, 'राज्य के गृहमंत्री रह चुके छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष नंदकुमार पटेल जनता पर दमनचक्र चलाने में आगे रहे थे। उन्हीं के समय में ही बस्तर इलाके में पहली बार अर्द्ध-सैनिक बलों की तैनाती की गई थी। यह भी किसी से छिपी हुई बात नहीं कि लंबे समय तक केंद्रीय मंत्रिमंडल में रहकर गृह विभाग समेत अनेक अहम मंत्रालयों को संभालने वाले विद्याचरण शुक्ल भी जनता के दुश्मन हैं, जिन्होंने साम्राज्यवादियों, दलाल पूंजीपति और जमींदारों के वफादार प्रतिनिधि के रूप में शोषणकारी नीतियों को बनाने और लागू करने में सक्रिय भागीदारी की।'

उसेंडी ने कहा कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह और महेंद्र कर्मा के बीच तालमेल का उदाहरण सिर्फ इस बात से ही समझा जा सकता है कि मीडिया में कर्मा को रमन मंत्रिमंडल का 16वां मंत्री कहा जाने लगा था। सलवा जुडूम की चर्चा करते हुए उसने कहा, 'बस्तर में जो तबाही मची, क्रूरता बरती गई, इतिहास में ऐसे उदाहरण कम ही मिलेंगे।' उसका आरोप है कि कर्मा का परिवार भूस्वामी होने के साथ-साथ आदिवासियों का अमानवीय शोषक और उत्पीड़क रहा है।

बयान में आरोप लगाया गया है कि सलवा जुडूम के दौरान सैकड़ों महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। उसेंडी का कहना है कि इस कार्रवाई के जरिए एक हजार से ज्यादा आदिवासियों की ओर से बदला लिया गया है, जिनकी सलवा जुडूम के गुंडों और सरकारी सशस्त्र बलों के हाथों हत्या हुई थी। हमले में कई गरीब और निचले स्तर के कार्यकर्ताओं की भी मौत हुई है। माओवादियों ने इन लोगों की हत्या पर खेद प्रकट किया है।

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