पदोन्नति के लिए न हो लिखित परीक्षा : शिवराज - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 31 मई 2013

पदोन्नति के लिए न हो लिखित परीक्षा : शिवराज


मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखकर राज्य सेवा के अधिकारियों को भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा तथा भारतीय वन सेवा में पदोन्नत करने के लिए किए गए बदलाव पर आपत्ति दर्ज कराते हुए मांग की कि इसके लिए प्रस्तावित लिखित परीक्षा व्यवस्था लागू न की जाए, बल्कि पूर्व व्यवस्था कायम रखी जाए। मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में कहा कि सेवा में प्रवेश के समय तो लिखित परीक्षा लिया जाना सही है, लेकिन सेवा के दौरान निर्धारित दायित्व का निर्वहन करते हुए किसी अधिकारी को वार्षिक रूप से लिखित प्रतियोगी परीक्षा देना पड़े तो इससे उसका ध्यान काम से हटकर परीक्षा उत्तीर्ण करने में लगा रहेगा। वर्तमान में अधिकारियों को सेवा के दौरान राज्य के लिए उनके द्वारा किए जाने वाले कार्य के आधार पर पदोन्नत किया जाता है। ऐसी स्थिति उत्पन्न नहीं की जानी चाहिए कि वे लिखित परीक्षा से पास होने पर ही पदोन्नत होने के उद्देश्य से अपने काम की कीमत पर खुदगर्ज हो जाएं।

मुख्यमंत्री ने गुरुवार को प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा कि शासकीय कर्मचारी व अधिकारियों की सेवा शर्तो में एकतरफा बदलाव नहीं किया जा सकता। कर्मचारियों एवं अधिकारियों से बिना विमर्श के ऐसा परिवर्तन किया जाना वैधानिक नहीं माना जा सकता। यह शासकीय अधिकारियों में राज्य के विकास की कीमत पर खुद के प्रति चिंता को बढ़ावा देने जैसा है। ऐसा करने से उनका एकमात्र उद्देश्य पदोन्नति पाने के लिए हर साल प्रतियोगी परीक्षा देने की तैयारी करना रह जाएगा।

चौहान का मानना है कि प्रस्तावित लिखित परीक्षा व्यवस्था से गलाकाट प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी और राज्य के अधिकारियों में आपसी सद्भाव भी कम होगा। प्रस्तावित व्यवस्था में 20-25 वर्ष तक सेवा दे चुके अधिकारियों को सिर्फ आठ साल सेवा देने वाले अधिकारियों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी होगी। आम तौर पर लिखित परीक्षाएं तब उचित होती हैं, जब भर्ती के लिए प्रत्याशियों की संख्या बहुत अधिक हो। लेकिन जब संख्या कम हो, जैसा कि राज्य सेवाओं में है, तो लिखित परीक्षा लिया जाना औचित्यपूर्ण नहीं होता।

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