दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली पुलिस आयुक्त नीरज कुमार की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी। नीरज कुमार के खिलाफ पद एवं अधिकारों के कथित दुरुपयोग को लेकर याचिका दायर की गई थी। मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति डी. मुरुगेसन तथा न्यायमूर्ति जयंत नाथ की पीठ ने दिल्ली के उपराज्यपाल की इन अनुशंसाओं को स्वीकार कर लिया कि पूरे करियर के दौरान नीरज कुमार का एसीआर (एनुअल कांफिडेंशियल रिपोर्ट) रिकॉर्ड 'बेहतरीन' है। पीठ ने केंद्रीय गृह मंत्रालय के आदेश को भी स्वीकार किया, जिसमें उसने नीरज कुमार की नियुक्ति रद्द करने के संबंध में याचिकाकर्ता के आवेदन को 28 मई को खारिज कर दिया था। याचिकाकर्ता चेन्नई से भारतीय प्रशासनिक सेवा के सेवानिवृत्त अधिकारी एम. एस. देवस्याम हैं।
उपराज्यपाल की अनुशंसाओं को स्वीकार करते हुए न्यायालय ने कहा, "उपराज्यपाल ने नियमों के अनुसार दिल्ली पुलिस की नियुक्ति के लिए वरीयता क्रम में तीन नामों का पैनल भेजा था। नीरज कुमार का एसीआर रिकॉर्ड उनके पूरे करियर के दौरान बेहतरीन रहा और इसलिए उपराज्यपाल की अनुशंसा स्वीकार की गई। वह वरिष्ठ अधिकारी भी थे।" पीठ ने कहा, "केंद्रीय गृह मंत्रालय के 28 मई के आदेश को देखते हुए हमें इस याचिका पर कोई भी आदेश देने का कारण नहीं मालूम पड़ता, इसलिए इसे खारिज किया जाता है।"
इससे पहले अतिरिक्त महाधिवक्ता राजीव मेहरा ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से न्यायालय को बताया कि मंत्रालय ने 28 मई को याचिकाकर्ता का आवेदन खारिज कर दिया था। न्यायालय ने याचिकाकर्ता को केंद्रीय गृह मंत्रालय के समक्ष आवेदन करने और मंत्रालय को उस पर फैसला लेने के लिए कहा था। महाधिवक्ता ने न्यायालय से यह भी कहा कि पुलिस आयुक्त के खिलाफ आरोप पुष्ट नहीं हैं। मंत्रालय ने कहा, "नीरज कुमार के कार्यकाल में अव्यवस्था की स्थिति नहीं रही, बल्कि उनके कार्यकाल में दिल्ली में डकैती, हत्या, अपहरण जैसे मामले कम हुए।"
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