बीएसएनएल: करोड़ों खर्च नतीजा सिफर ! - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 30 जून 2013

बीएसएनएल: करोड़ों खर्च नतीजा सिफर !

  • - निगम अधिकारियों की लचर व्यवस्था व कर्मियों के अभाव के कारण इस वित्तीय वर्ष में सहरसा एसएसए के अंतर्गत सहरसा, सुपौल व मधेपुरा जिले में महज 90 वाईमैक्स उपभोक्ता ही जोड़े जा सके हैंै जबकि लक्ष्य 1600 उपभोक्ताओं को जोड़ने का निर्धारित किया गया है


कुमार गौरव, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा: बीएसएनएल जहां वाई फाई से भी एडवांस मानी जाने वाली तकनीक कैष नहीं कर सका है वहीं निगम के ढीले रुख की वजह से कोसी क्षेत्र के लोग न्यूनतम समय में बिना किसी वायर के डाटा टांसफर की सबसे गतिमान सेवा का लाभ नहीं ले पा रहे हैं। नई तकनीक की लांचिंग में कुछ देरी और लांचिंग के बाद भी आमजनों के बीच इसकी खूबियां गिनाकर प्रचार भी नहीं किया गया। इसके चलते इस अवधि में आए फास्ट ब्राडबैंड सेवा, डाटा कार्ड, थ्री-जी सरीखे संचार निगम व निजी आपरेटर्स के अन्य विकल्प उपभोक्ता के दिमाग में घर कर गए। नतीजतन, वाईमैक्स के लिए कोसी इलाके में करोड़ों खर्चने के बाद 24 वाईमैक्स बीटीएस इंस्टाल तो किए गए, लेकिन लचर कार्यप्रणाली की वजह से पूरा नेटवर्क महज षो-पीस बनकर रह गया है। 30,000 कनेक्षन की क्षमता वाले इस नेटवर्क के सापेक्ष बिहार परिमंडल, पटना अब तक महज 2300 उपभोक्ता ही जोड़ पाया है। यह आलम तब है जब निगम द्वारा षुल्क को न्यूनतम दर पर लागू किया गया है। यही नहीं औसतन 2300 कनेक्षन लेने वाले ये उपभोक्ता भी इसका इस्तेमाल नाम मात्र ही कर रहे हैं और संचार निगम अपेक्षित आमद भी नहीं जुटा पा रहा है। जिसके कारण बीटीएस को संचालित करने में आने वाला खर्च भी नहीं निकाल पा रहा है। गत दिनों सहरसा एसएसए दौरे पर आए सीजीएमटी ने अच्छी सर्विसेज को लेकर अपने पदाधिकारियों की क्लास भी लगाई थी, लेकिन बावजूद इसके अब तक कोसी क्षेत्र में निगम की सेवाएं गति नहीं पकड़ पाई है।  

19 टावर्स किए गए डायवर्ट: उपेंद्र पाठक, डीजीएम, बीएसएनएल, पटना कहते हैं कि 64 करोड़ खर्च कर सूबे के हरेक जिले में 512 वाईमैक्स बीटीएस इंस्टाल किए जाने की योजना है। तकनीकी कारणों से 19 टावर्स मध्यप्रदेष परिमंडल डायवर्ट किए गए हैं। वहीं कोसी क्षेत्र के बारे उन्होंने कहा कि कुल 24 टावर्स के सहारे सहरसा, सुपौल व मधेपुरा में वाईमैक्स की सेवाएं दी जा रही हैं। बता दें कि निगम अधिकारियों की लचर व्यवस्था व कर्मियों के अभाव के कारण इस वित्तीय वर्श में सहरसा एसएसए के अंतर्गत महज 90 वाईमैक्स उपभोक्ता ही जोड़े जा सके हैंै जबकि लक्ष्य 1600 उपभोक्ताओं को जोड़ने का निर्धारित किया गया है। उन्होंने माना कि कुछेक क्षेत्रों में लापरवाही की वजह से सूबे में वाईमैक्स व ब्राडबैंड की रफ्तार तेज नहीं हो पाई है। 

वाईमैक्स की खूबियां: इसमें यूजर्स को ब्राडबैंड एक्सेस के लिए 256 केबीपीएस से लेकर 08 एमबीपीएस तक की स्पीड मिलती है। मसलन अच्छी स्पीड पर ब्राउजिंग का लाभ भी। इसको कहीं भी बिना वायर के इस्तेमाल कर सकते हैं। अपने कस्टमर प्रीमाइज इक्विपमेंट के साथ घर या दफ्तर में कहीं भी घूमते हुए इंटरनेट एक्सेस कर सकते हैंै। घर तथा कार्यालय के लिए केवल एक ही कनेक्षन का ही उपयोग कर सकते हैं। अलग से फोन कनेक्षन या लाइन की जरुरत नहीं होती है। वाई-फाई की तुलना में अगली पीढ़ी का वायरलेस ब्राडबैंड होने के कारण वाईमैक्स अधिक तेज स्पीड पर इंटरनेट से जुड़ता है। वाई-फाई से तेज व व्यापक कवरेज उपलब्ध कराता है। लिहाजा, बाढ़ प्रभावित कोसी क्षेत्र में जहां केबल कट होने के कारण अक्सर जहां ंिलंक फेल होने की समस्या आड़े आती है वहीं वाईमैक्स जैसी वायरलेस सेवाएं बेषक क्षेत्र के लोगों के लिए यह संचार सेवा राहत देने वाली साबित हो सकती है। 

इंटरनेट प्रेमियों की बढ़ रही तादाद: विकासषील देषों में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। पूरी दुनिया में इंटरनेट प्रेमियों में से दो तिहाई लोग विकासषील देषों के हैं। संयुक्त राश्ट महासचिव द्वारा जारी सहस्त्राब्दी जांच रिपोर्ट के अनुसार वर्श 2011 तक दुनिया की एक तिहाई से अधिक आबादी यानी करीब 35 फीसदी लोग आनलाइन हो चुके हैं। विकासषील देषों में इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों की संख्या में तेजी से वृद्धि हुई है। रिपोर्ट के अनुसार वर्श 06 में जब दुनिया की आबादी छह अरब 60 करोड़ थी तो मात्र 18 प्रतिषत आबादी आनलाइन थी। इसमें 44 फीसदी लोग विकासषील देषों के थे। अब जब दुनिया की आबादी सात अरब है तो 35 फीसदी लोग आनलाइन हो चुके हैं। इसमें विकासषील देषों के 63 फीसदी लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं। रिपोर्ट के अनुसार पूरी दुनिया में फिक्स्ड और मोबाइल ब्राडबैंड कनेक्षन की संख्या भी बढ़ रही है। विकासषील देषों में वर्श 11 तक 8.5 फीसदी मोबाइल ब्राडबैंड कनेक्षन थे जबकि फिक्स्ड ब्राडबैंड कनेक्षन 4.8 फीसदी थे। लेकिन रिपोर्ट के अनुसार वर्श 11 तक पूरी दुनिया में करीब छह अरब मोबाइल फोन की बिक्री हो चुकी है। इनमें एक अरब 20 करोड़ सक्रिय मोबाइल ब्राडबैंड कनेक्षन हैं। इस तरह पूरी दुनिया में अब 87 फीसदी मोबाइल धारक हैं। जिनमें 79 फीसदी विकासषील देषों में हैं। वर्श 11 तक दुनिया के 160 से अधिक देषों ने थ्री-जी सेवा षुरु की है और पूरी दुनिया की 45 फीसदी आबादी हाई स्पीड मोबाइल ब्राडबैंड सेवा प्राप्त कर रही हैं। अनुमान लगाया जा सकता है कि किस तरह लगातार इंटरनेट उपभोक्ताओं की संख्या तो बढ़ रही है लेकिन अच्छी सर्विसेज के नाम पर बिहार परिमंडल में महज लीपापोती ही की जा रही है।  

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