नहीं मिला इंसाफ तो होगा पटना में मुख्यमंत्री का घेराव
नरकटियागंज, सरकार 700 ग्रामीणों व थारूओं पर दर्ज मुकदमा वापस ले, नौरंगीया गोली काण्ड के दोषियों के स्थानान्तरण से काम नहीं चलने वाला, उन्हे बर्खास्त कर उनपर भारतीय दण्ड विधान की धारा 302 के तहत मुकदमा दर्ज कर कार्रवाई की जाए। तिरहुत प्रक्षेत्र के पुलिस महानिरिक्षक पंकज दराद के जिला बदर का आदेश हो या सभी पुलिस कर्मियों का स्थानान्तरण इससे थारू समुदाय संतुष्ट नहीं है। थरूहट युवा मंच के बैनर तले सहोदरा धर्मशाला में सम्पन्न हुई, एक बैठक में मंच के अध्यक्ष मधुरेन्द्र कुमार गौरव ने रविवार को कहा कि थारूओ को नीतीश कुमार व पुलिस ने मूर्ख बनाया है। मनीष राज ने कहा कि नौरंगीया की वास्तविकता यह है कि पुलिस ने एक सोची समझी रणनीति के तहत नरसंहार को अंजाम दिया है। इंजीनियरिंग के छात्र की हत्या का मतलब है, देश के एक होनहार अभियन्ता की हत्या! उपाध्यक्ष कृष्णदेव महतो ने बताया कि पुलिस नौरंगीया की घटना की पुनरावृति नहीं करे, इसके लिए आवश्यकता पड़ी तो युवा थारू मुख्यमंत्री का घेराव पटना में करेंगे, यदि इंसाफ नहीं मिला तो! बैठक की अध्यक्षता एम के गौरव और संचालन इन्द्रनील कुमार ने की। जिसमें जय नारायण गुरौ, मधुरेन्द्र, राजेश गढवाल, प्रकाश महतो, सुषमा देवी(मुखिया), निरंजन पंजियार, राजेश पंजियार, शिवकुमार, सुरज कुमार, सुरेन्द्र महतो ने अपने विचार व्यक्त किया। ई.शैलेन्द्र गढवाल ने कहा कि जाँच के नाम पर सरकार भोली-भाली थारूओं को छलना बन्द करे।
दो भाइयों की उम्र में करीब छव माह का अन्तर
गौनाहा, गौनाहा प्रखण्ड के लछनौता पंचायत में ऐसे दो शिक्षक है जिनके उम्र में महज छव माह का अन्तर है। इस बाबत लछनोता के गेन्दू राम ने अनुमण्डल पदाधिकारी नरकटियागंज को 23 अगस्त 2012 को एक आवेदन देकर जाँच की गुहार लगायी थी अलबत्ता दस माह बाद भी कोई कार्रवाई नहींे हुई। गौरतलब है कि म.सगीर अहमद की उम्र 10 नवम्बर 1960 है जबकि जफीर अहमद की उम्र 03 मई 1961 है। गंेदू राम का कहना है कि दोनो के माता-पिता क्रमशः तहमीना और अबुल हसन है।
सहायिकाओ का बन्द मानदेय भुगतान की मांग
नरकटियागंज, स्थानीय पाण्डेय टोला स्थित रामजानकी मंदिर परिसर में बिहार राज्य आंगनबाड़ी कार्यकर्ता युनियन की एक बैठक सम्पन्न हुई। बैठक की अध्यक्षता स्नेहलता कुमारी ने की, उन्होंने कहा कि नरकटियागंज की 28 सहायिकाओं का मानदेय रूका हुआ है, विभाग उनका सामन्जन करे। बैठक में यह कहा गया कि सेविका तो सुपरवाइजर हो गयी, जबकि सहायिका को मानदेय से रोक दिया गया, यह नाइन्साफी है। राज्य की जाँच टीम ने छव माह पूर्व आंगनबाड़ी केन्द्रो की जाँज की थी और उसपर छव माह बाद कार्रवाई की जा रही है, इसमें भ्रष्टाचार की गुंजाईस बढ गयी है। आईसीडीएस कार्यालय में पुलिस दफ्तर की तरह किसी प्रकार के आवेदन की प्राप्ती रसीद नहीं दी जाती है, जो नियमानुकूल नहीं है। उक्त बैठक में अधिकांश सेविका सदस्या शामिल हुई, उन्होने मांग किया कि कार्यालय में सभी प्रकार के कागजातों की रिसिविंग मिलनी चाहिए।
(अवधेश कुमार शर्मा)
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