दिल्ली उच्च न्यायालय ने देश के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के रूप में शशिकांत शर्मा की नियुक्ति को चुनौती देने वाली दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बुधवार को केंद्र सरकार से जवाब मांगा। याचिकाकर्ताओं ने सीएजी के रूप में शर्मा की नियुक्ति को हितों का संघर्ष करार देते हुए न्यायालय से इसे रद्द करने का अनुरोध किया है। न्यायमूर्ति बी. डी. अहमद तथा न्यायमूर्ति विभु बाखरु ने इस मुद्दे की जांच पर सहमति जताते हुए केंद्र सरकार से आठ अगस्त तक जवाब मांगा है।
याचिकाओं में कहा गया है कि सरकारी अंकेक्षक के रूप में शर्मा कई ऐसे रक्षा सौदों पर निर्णय लेंगे, जो उनके रक्षा सचिव रहते हुए संपन्न हुए, अथवा जिन्हें उन्होंने इस पद पर रहते हुए मंजूरी दी। ऐसे में उनके निर्णय की निष्पक्षता प्रभावित हो सकती है।

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें