चुनाव आयोग की बुलाई बैठक में सोमवार को राजनीतिक दलों ने मुफ्त उपहारों की घोषणा पर रोक लगाने का विरोध किया. बहुजन समाज पार्टी को छोड़कर बाकी प्रमुख राजनीतिक दलों ने चुनाव घोषणा पत्रों में मतदाताओं के लिए मुफ्त उपहारों की घोषणा करने में उन पर किसी तरह का प्रतिबंध लगाने का विरोध किया और दावा किया कि यह उनका विशेषाधिकार है. चुनाव आयोग ने राजनीतिक दलों द्वारा अपने चुनाव घोषणा पत्रों में किये जाने वाले मुफ्त उपहारों के वादे पर उनकी राय जानने और इस बारे में दिशा निर्देश तैयार करने के लिए विभिन्न राष्ट्रीय और क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की बैठक बुलायी थी.
आयोग द्वारा बुलायी गई इस बैठक में पांच राष्ट्रीय और 23 क्षेत्रीय दलों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया और आयोग द्वारा चुनाव घोषणा पत्रों के बारे में दिशा-निर्देश तैयार करने के बारे में अपनी पार्टी की राय रखी.
बहुजन समाज पार्टी को छोड़कर सभी प्रमुख राष्ट्रीय दलों की यह सर्वसम्मत राय थी कि चुनाव घोषणा पत्रों के नियमन के मामले में किसी तरह का प्रतिबंध नहीं होना चाहिए.
बसपा का कहना था कि चुनाव के पहले राजनीतिक दलों द्वारा उपहारों की घोषणा करने पर प्रतिबंध होना चाहिए. उसका कहना था कि यह समान अवसर को प्रभावित करता है क्योंकि ऐसे पल्रोभनों से मतदातों को लुभाया जा सकता है, जिन घोषणाओं को बाद में लागू न किया जा सके.
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