महाराष्ट्र में पुणे शहर के जर्मन बेकरी में हुए विस्फोट मामले में वर्ष 2010 में निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराये गये हिमायत बेग ने बम्बई हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए कहा कि निचली अदालत में उसका बचाव सही तरीके से नहीं हो सका, इसलिए जब तक राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) अपनी जांच समाप्त नहीं कर लेती, तब तक उसके खिलाफ मृत्युदंड पर सुनवाई स्थगित कर दी जाये।
बेग के वकील महमूद प्राचा ने खंडपीठ के न्यायमूर्ति वी केताहिलरमानी और न्यायमूर्ति मृदुला भाटकर के समक्ष मंगलवार को कहा कि उसके मुवक्किल ने कहा कि पुणे के सत्र न्यायालय में उसका बचाव सही तरीके से नहीं हो सका जिससे उन्हें दोषी ठहराया गया और मृत्युदंड की सजा दी गयी। अदालत ने बेग की याचिका पर सुनवाई के लिए स्वीकृति दे दी।
आर्थर रोड जेल में बंद बेग के मामले की सुनवाई सुबह वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये की गयी, लेकिन वकील ने उन्हें प्रत्यक्ष अदालत में पेश करने की मांग की जिसे अदालत ने स्वीकार करते हुए कहा कि अपराह्न में बेग को अदालत में पेश किया जाय। वकील ने कहा कि बेग ने उन्हें बताया है कि पुणे बार एसोसिएशन ने एक प्रस्ताव पारित किया था कि उसका मामला कोई वकील नहीं लेगा। उन्होंने कहा कि विशेष कार्रवाई बल (एटीएस) ने शुरू में मामले की जांच की और बाद में इस मामले को एनआईए को सौंप दिया गया तथा इसके अलावा अन्य कुछ बम विस्फोट के मामले भी एनआईए जांच कर रही थी। उन्होंने कहा कि वर्ष 2006 में मालेगांव में हुए बम विस्फोट मामलेमें गिरफ्तार लोगों को एनआईए की जांच के बाद आरोपियों को बेगुनाह बताये जाने पर उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया।
इसलिए वकील ने अदालत से मांग करते हुए कहा कि जब तक एनआईए अपनी जांच पूरी नहीं कर लेती तब तक मृत्युदंड की सुनवाई रोक दी जाय। उन्होंने कहा कि यदि एनआईए कल कहती है कि बेग इस मामले में संलिप्त नहीं तो फिर क्या होगा। बेग ने नजर की कमजोरी से सिर दर्द और गले की समस्या भीबतायी। अदालत ने जेल अधीक्षक को आदेश दिया कि बेग की डॉक्टर से जांच करायी जाय और उचित इलाज उपलब्ध कराया जाये।
.jpg)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें