सुप्रीम कोर्ट रांची की विशेष अदालत में चारा घोटाले से संबंधित मुकदमे की सुनवाई कर रहे जज को बदलने की लालू प्रसाद की याचिका खारिज कर दी है. झारखंड की अदालत में चल रहे इस मुकदमे में लालू प्रसाद यादव भी आरोपी हैं.
प्रधान न्यायाधीश पी सदाशिवम की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने लालू प्रसाद यादव की याचिका पर नौ जुलाई को सीबीआई की विशेष अदालत को इस मामले में फैसला सुनाने से रोक दिया था.
लालू प्रसाद यादव ने अपनी याचिका में विशेष अदालत के न्यायाधीश पी के सिंह पर पक्षपात का आरोप लगाया था क्योंकि वह नीतीश सरकार में शिक्षा मंत्री पी के शाही के रिश्तेदार हैं. राजद सुप्रीमो ने नीतीश कुमार को अपना सबसे बड़ा राजनीतिक प्रतिद्वन्द्वी बताया है.झारखंड उच्च न्यायालय में एक जुलाई को याचिका खारिज होने के बाद लालू प्रसाद यादव ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की थी. यह मामला 1990 के दौरान चाईंबासा की ट्रेजरी से कथित रूप से धोखाधड़ी करके 37.7 करोड़ रूपए निकाले जाने से संबंधित है. इस मामले में बिहार सरकार ने फरवरी 1996 में प्राथमिकी दर्ज की थी, लेकिन एक महीने बाद ही यह प्रकरण सीबीआई को सौंप दिया गया था.
जांच ब्यूरो ने करीब एक साल तक इसकी जांच की और फिर 1997 में अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया. इस मामले में 2000 में अभियोग निर्धारित किये गये और इसके बाद विशेष अदालत में लालू यादव तथा 44 अन्य आरोपियों पर मुकदमा शुरू किया गया था.राजद सुप्रीमो की याचिका का जद यू नेता राजीव रंजन ने जोरदार विरोध किया और कहा कि मुकदमे के अंतिम चरण में न्यायाधीश का तबादला करना तो न्याय के साथ खिलवाड़ होगा. उनका तर्क है कि न्यायाधीश का तबादला किये जाने से देश में गलत संदेश जायेगा. उन्होंने यह याचिका दायर करने की लालू यादव की मंशा पर भी सवाल उठाया और कहा कि यह न्यायाधीश 2011 से मुकदमे की सुनवाई कर रहे हैं.
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