संसद के उच्च सदन राज्यसभा ने बुधवार को बहु प्रतीक्षित भूमि अधिग्रहण विधेयक को पारित कर दिया। 'उचित मुआवजा और भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनस्र्थापन में पारदर्शिता का अधिकार विधेयक, 2012' को लोकसभा ने 29 अगस्त को ही मंजूरी दे दी थी। राज्यसभा से पारित होने के बाद यह राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ब्रिटिश हुकूमत के समय 1894 के करीब 120 वर्ष पुराने भूमि अधिग्रहण कानून की जगह लेगा। विधेयक के पक्ष में 131 और विरोध में 10 सदस्यों ने मतदान किया और एक सदस्य ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया।
राज्यसभा में हुई चर्चा के दौरान विभिन्न दलों के सदस्यों ने कानून के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से अपना पक्ष रखा। सदस्यों ने विधेयक के कुछ महत्वपूर्ण प्रावधानों को लेकर आशंका जाहिर की। बसपा और सपा ने इसे चुनावी विधेयक बताया।
सरकार की तरफ से सदस्यों की चर्चा का जवाब देते हुए केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने चुनाव को ध्यान में रखकर विधेयक लाए जाने के आरोपों का खंडन किया और कहा कि यह दो वर्षो से संसद में विचाराधीन है इसलिए इसे चुनावी मंशा के तहत लाया गया नहीं कहा जा सकता। रमेश ने सदस्यों द्वारा उठाई गई आपत्तियों और आशंकाओं का उत्तर दिया।

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