केन्द्रीय ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने कहा है कि नए भूमि अधिग्रहण कानून से नक्सलियों द्वारा उठाए जाने वाले जंगल जमीन से जुड़े मुद्दे असरहीन होंगे, जिससे नक्सलवाद का प्रभाव भी धीरे-धीरे कम होगा। रमेश ने शनिवार को यहां संसद में हाल ही में पारित भूमि अधिग्रहण कानून की जानकारी देने के लिए आहूत प्रेस कान्फ्रेंस में कहा कि जंगल जमीन मुद्दे को लेकर आदिवासी इलाकों में नक्सली अपना प्रभाव बनाने में सफल हुए हैं।
राज्य सरकारों द्वारा इस कानून को सही ढंग से लागू किए जाने पर नक्सलियों के जंगल जमीन से जुड़े मुद्दे प्रभावहीन होंगे। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण पुनर्वासन तथा पुनर्व्यवस्थापन विधेयक के नियम अगले दो माह में तैयार हो जायेंगे और इसके बाद ही यह प्रभावी हो जायेगा। उन्होंने कहा कि अधिग्रहण कानून संविधान की समवर्ती सूची में रखा गया है। राज्य सरकारें इसमें किए गए प्रावधानों में कमी नहीं कर सकती है, लेकिन मुआवजे एवं पुनर्वासन के प्रावधानों में इजाफा करने की उन्हें छूट है।
केन्द्र कानून के अनुपालन पर निगरानी भी रख सकती है। उन्होंने कहा कि नया कानून छत्तीसगढ़ के लिए काफी अहम है। इसमें जिन क्षेत्रों में पांचवी अनुसूची लागू है वहां पर बगैर ग्रामसभा की लिखित अनुमति के कोई अधिग्रहण नहीं होगा। इसके साथ ही मुआवजे में ग्रामीण क्षेत्रों में चार गुना तथा शहरी क्षेत्रों में मुआवजे में दोगुना का इजाफा किया गया है। रमेश ने कहा कि पुराने कानून में आपात कारणों का उल्लेख कर भूमि अधिग्रहण के प्रावधान का बहुत दुरूपयोग हुआ और किसानों की भूमि अधिग्रहित कर निजी लोगों, बिल्डरों को आवासीय कालोनी एवं तथा माल आदि के निर्माण के लिए दे दी गई।
आपात कारणों को नए कानून में बहुत सीमित कर दिया गया है। अब केवल राष्ट्रीय सुरक्षा एवं प्राकृतिक आपदा में ही आपात प्रावधान लागू होंगे। उन्होंने कहा कि भूमि अधिग्रहण के कई पुराने मामलों में भी नए कानून के प्रावधानों का किसानों को लाभ मिलेगा। पुराने कानून के तहत जिन भूमि अधिग्रहण के मामलों में अवार्ड घोषित नहीं हुआ है या जहां अवार्ड पांच वर्ष पूर्व घोषित हुआ पर कब्जा नहीं लिया गया एवं राशि का भुगतान नहीं हुआ या फिर जहां बहुमत के आधार पर पिछले पांच वर्षो से किसानों ने मुआवजा नहीं लिया है वहां अब नए कानून के अनुसार मुआवजा लागू होगा। उन्होंने कहा कि पूर्व कानून के तहत जमीन अधिग्रहण के बाद भी जिस उद्देश्य से भूमि अधिग्रहित हुई थी, काम नहीं होता था। नए कानून में पांच वर्ष तक काम नहीं होने पर जमीन को किसानों को लौटाने का प्रावधान किया गया है।
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