मोदी की कानपुर रैली से पहले फतवा, मुसलमानों को रैली में न जाने की ताकीद. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 3 अक्तूबर 2013

मोदी की कानपुर रैली से पहले फतवा, मुसलमानों को रैली में न जाने की ताकीद.

नरेंद्र मोदी की कानपुर रैली के लिए प्रशासन से फूलबाग मैदान की मंजूरी मिलने के साथ ही विवाद शुरू हो गया है। कानपुर के मदरसा अहसान-उल-मदारिस के मुफ्ती हनीफ बरकाती ने मोदी का नाम लिए बिना मुसलमानों को उनकी रैली में न जाने के लिए ताकीद की है।

मुफ्ती बरकाती ने एक मुसलमान की ओर से पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, 'जुल्म पर किसी की मदद नहीं करनी चाहिए। कोई भी शख्स जो जालिम हो, शरीयत की रोशनी में उसकी मदद का हुक्म नहीं है। जालिम की मदद उस हालात में ही की जा सकती है, जब जुल्म को रोका जा सके। अच्छे इंसान की पहचान है कि वह जुल्म को रोके।'

बरकाती का कहना है कि उनसे साधारण तौर पर सवाल किया गया था और बतौर इस्लाम के जानकार उन्होंने इसका जवाब दिया। उन्होंने किसी का नाम नहीं लिया। फतवा जारी करने के सवाल पर मुफ्ती ने कहा कि इसके लिए तहरीर पर सवाल और तहरीर पर ही जवाब होता है। साथ ही मुफ्ती की मुहर भी लगी होती है। इस मामले में सुन्नी मसलक के कानपुर के शहर काजी मौलाना आलम रजा नूरी का कहना है कि उनकी इस मसले पर मौलाना हनीफ बरकाती से बात हुई थी। उन्होंने कोई फतवा जारी नहीं किया है। उन्होंने पूछे गए सवाल का जवाब दिया है। मोदी के विरोध के सवाल पर उन्होंने कहा कि हर सियासी पार्टी अपना काम कर रही है। अच्छे काम पर तारीफ की जाती है और बुरे काम पर बुराई की जाती है। 19 अक्टूबर को कानपुर में मोदी के भाषण के बाद ही कोई टिप्पणी की जाएगी।

बीजेपी अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ ने मुफ्ती के इस कथित फतवे का विरोध जताया है। प्रकोष्ठ के कानपुर अध्यक्ष रईस अहमद के अनुसार, हम पार्टी के निष्ठावान कार्यकर्ता हैं और हमारी कोशिश होगी कि रैली में ज्यादा से ज्यादा भीड़ पहुंचे। हम अपना दायित्व निभाएंगे। काफी मुस्लिम बीजेपी से जुड़ना चाहते हैं।

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