पाकिस्तानी की मानवाधिकार कार्यकर्ता मलाला युसुफजई ने शिक्षा के अधिकार के लिए संयुक्त प्रयास किए जाने की मांग की है। शिक्षा के समर्थन में बात करने पर तालिबानी आतंकवादियों ने उन्हें गोली मार दी थी। हालांकि, चिकित्सीय उपचार में उनकी जान बच गई थी। समाचार एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक, यूनिवर्सिटी आफ एडिनबर्ग में आयोजित ग्लोबल सिटिजनशिप कमिशन की पहली बैठक में 16 वर्षीय मलाला ने यह मांग की।
मलाला ने 1000 दर्शकों के समक्ष मजबूती से कहा कि हमले के बाद भी शिक्षा के लिए उनका अभियान नहीं रूकना चाहिए। उन्होंने कहा, "हम डरे हुए नहीं है। लोगों को साथ रहना होगा, उन्हें मिलजुल कर काम करना होगा।" ब्रिटेन की महारानी से शुक्रवार को लंदन स्थित बकिंघम पैलेस में मुलाकात कर शिक्षा के महत्व पर बात करने वाली मलाला को यूनिवर्सिटी आफ एडिनबर्ग ने स्नातकोत्तर की मानद उपाधि दी।
पिछले साल अक्टूबर महीने में पाकिस्तान के खैबर पख्तून ख्वाह के मिंगोरा शहर में स्कूल से घर जाने के दौरान तालिबानियों ने उन्हें गोली मार दी थी। उनका ब्रिटेन के बर्मिघम स्थित क्वीन एलिजाबेथ अस्पताल में उपचार किया गया था। इस घटना के बाद उन्हें अंतर्राष्ट्रीय समर्थन प्राप्त हुआ है, लेकिन बावजूद इसके तालिबान ने उन्हें एवं उनके पिता को मारने की धमकी दी है।

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