कुडनकुलम परियोजना पर रूस से समझौता प्रधानमंत्री के रूस यात्रा के दौरान संभव. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 19 अक्टूबर 2013

कुडनकुलम परियोजना पर रूस से समझौता प्रधानमंत्री के रूस यात्रा के दौरान संभव.

भारत ने कहा कि रूस के सहयोग से तमिलनाडु स्थित कुडनकुलम परमाणु बिजली परियोजना की तीसरी और चौथी इकाइयों की स्थापना का समझौता निकट भविष्य में होने की संभावना है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अगले सप्ताह मास्को यात्रा के दौरान इस संभावना का भारत ने संकेत दिया है.

रविवार से शुरू हो रही प्रधानमंत्री की रूस और चीन की पांच दिवसीय यात्रा के बारे में मीडिया को जानकारी देते हुए विदेश सचिव सुजाता सिंह ने किसी समझौते का ब्यौरा देने से इंकार किया. साथ ही उन्होंने रिएक्टर जैसे उपकरण के आपूर्तिकर्ताओं के लिए परमाणु उत्तरदायित्व के मुद्दे पर सवालों का जवाब देने से इंकार किया.

जब सवाल किया गया कि परियोजना के लिए दो नये रिएक्टर बनाने के समझौते पर मनमोहन सिंह की यात्रा के दौरान क्या दस्तखत होंगे और क्या परमाणु उत्तरदायित्व के मुद्दों पर रूस की चिन्ताओं का समाधान कर लिया गया है, सुजाता ने कहा कि हमें निकट भविष्य में विशिष्ट करार करने की उम्मीद है. निकट भविष्य का आशय निकट भविष्य है. देखते हैं. कंपनियां तकनीकी, कानूनी और वित्तीय मुद्दों पर चर्चा कर रही हैं.

सरकारी सूत्रों ने कहा कि भारत ने करार पक्का करने के लिए रूसी आपूर्तिकर्ताओं के लिए जोखिम का परिमाण जैसे बीमा मानकों और अन्य मुद्दों का खाका बनाया है. रूस और भारत के बीच कुडनकुलम परियोजना को लेकर अंतर-सरकार समझौता है और रूस तथा उसकी कंपनियों की भारत में परमाणु उत्तरदायित्व कानून में उत्तरदायित्व के उपबंध को लेकर चिन्ताएं हैं.

भारत-रूस वार्षिक शिखर बैठक में शामिल होने के लिए पांचवी बार मास्को जा रहे मनमोहन सिंह 21 अक्तूबर को रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से मुलाकात कर दोनों देशों के बीच सामरिक संबंधों को और गहरा करने के लिहाज से व्यापक चर्चा करेंगे. सुजाता सिंह ने कहा कि रूस रक्षा, अंतरिक्ष, उच्च प्रौद्योगिकी और अन्य क्षेत्रों में संबंधों को लेकर दीर्घकालिक और समय पर खरा उतरने वाला साझीदार रहा है. भारत की विदेश नीति के लिए रूस तरजीही वाला राष्ट्र है.उन्होंने कहा कि कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में नजदीकी सहयोग का प्रतीक है. प्रधानमंत्री की यात्रा के दौरान विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, ऊर्जा क्षमता और मानक सहित विभिन्न क्षेत्रों में समझौतों पर दस्तखत होंगे.

प्रधानमंत्री की सोमवार को राष्ट्रपति पुतिन से पहले आमने- सामने बात होगी. उसके बाद प्रतिनिधि स्तर की वार्ता होगी. यात्रा के अंत में संयुक्त बयान जारी किया जाएगा. सिंह को मास्को के इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल रिलेशन्स की ओर से मानद डाक्टरेट की उपाधि से सम्मानित किया जाएगा. विदेश सचिव ने इन सवालों को टाल दिया कि क्या भारत रूस से दूसरी परमाणु पनडुब्बी हासिल करेगा. उन्होंने कहा कि रक्षा सहयोग अच्छा चल रहा है और हम इसे जारी रखने की उम्मीद करते हैं.

अफगानिस्तान के बारे में उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों के सुनियोजित ढंग से हटने के बाद जो भी होगा, उसे लेकर परस्पर हित जुडे होने के कारण रूस और भारत अफगानिस्तान समस्या के सभी पहलुओं पर एक दूसरे से सलाह मशविरा करते आये हैं. शांगहाए सहयोग संगठन (एससीओ) का सदस्य बनने में भारत की रूचि और रूस द्वारा उसके समर्थन के बारे में पूछने पर सुजाता ने कहा कि भारत एससीओ का पर्यवेक्षक रहा है और वह इस बारे में पहले से कुछ अंदाजा नहीं लगाना चाहेंगी कि चर्चा में क्या होगा.

आर्थिक संबंधों पर सुजाता ने कहा कि पिछले एक साल में रूस के साथ द्विपक्षीय कारोबार में 24 प्रतिशत की वृद्धि दर रही है और 2013 में आंकडा 11.04 अरब अमेरिकी डॉलर को छू गया. 2015 तक इसके 20 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि भारत की हाइड्रोकार्बन क्षेत्र में गहरी रूचि है. तेल एवं प्राकृतिक गैस आयोग (ओएनजीसी) की विदेशी सहायक कंपनी ओवीएल का सखालिन और तोम्स्क तेल क्षेत्र में निवेश है. कंपनी सुदूर पूर्व और आर्कटिक क्षेत्र में भी मौके चाहती है.

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