फिर से भाप के इंजन 'अकबर' पर रोमांचक यात्रा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 5 नवंबर 2013

फिर से भाप के इंजन 'अकबर' पर रोमांचक यात्रा


stemed akbar
एक बार फिर से भाप के इंजन से चलने वाली दो डिब्बों की पर्यटक रेल दिल्ली से अलवर के बीच शुरू की गई है। यह रेल कुउं-कुउं और सीटी की आवाज से बीते दिनों की याद ताजा कराएगी और इससे भी बढ़कर भाप के इंजन से निकलता काला धुआं और छुक-छुक की ध्वनि रोमांच पैदा करेगी। यह रेल सेवा दिल्ली छावनी स्टेशन से शुरू होकर रेवाड़ी से होते हुए 138 किलोमीटर की दूरी तय कर राजस्थान में अलवर तक जाती है। इसके यात्रा पैकेज में अलवर के निकट सरिस्का राष्ट्रीय पार्क की यात्रा भी शामिल है। 

इस सीजन में यह सेवा इस महीने से अप्रैल 2014 तक प्रत्येक माह के दूसरे और चौथे शनिवार को उपलब्ध होगी। यात्रा के दौरान रेल में आईआरसीटीसी और विश्राम स्थलों पर राजस्थान पर्यटन विकास निगम के सहयोग से आतिथ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। 48 वर्ष पुरानी यह लोकोमोटिव रेल 'अकबर' चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्‍स (बाद में अमृतसर रेलवे वर्कशॉप) की भाप से चलने वाली अंतिम गाड़ियों में से एक है। इसका नामकरण महान मुगल शासक अकबर के नाम पर किया गया है। हाल ही में प्रसिद्ध धावक मिल्खा सिंह के जीवन पर बनी फिल्म में इस्तेमाल होने के कारण भी यह इंजन खबरों में था। 

48 वर्ष पुरानी यह लोकोमोटिव रेल 'अकबर' चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्‍स (बाद में अमृतसर रेलवे वकेशॉप) की भाप से चलने वाली अंतिम गाड़ियों में से एक है। इसका नामकरण महान मुगल शासक अकबर के नाम पर किया गया है। अकबर इंजन को अक्टूबर 2012 में उत्तर रेलवे की अमृतसर वर्कशॉप में मरम्मत कर सुधारा गया था। यह वर्कशॉप भाप के इंजनों के नवीनीकरण में खास विशेषज्ञता रखती है। भाप इंजनों को बेहद कम समय में काम में लाए जाने के लिए तैयार करने के लिए यह वर्कशॉप अनूठी है। स्टील लोकोमोटिव के एक केंद्र के रूप में यह रेवाड़ी के नजदीक विकसित की गई है। इस केंद्र पर केसी-520, अकबर, शेर-ए-पंजाब और अंगद स्टीम लोको का नवीनीकरण किया जा चुका है।

रेवाड़ी स्टीम लोकोमोटिव का अक्टूबर 2010 में उत्तर रेलवे के एक विरासत शेड के रूप में स्थापित किया गया। बहुत ही कम समय में 120 वर्ष पुराने इस शेड को विश्व के बेहतरीन वाष्प शक्ति केंद्र के रूप में बदल दिया गया जो कि पर्यटकों और दुनियाभर से स्टीम के बारे में जिज्ञासुओं को आकर्षित करता है। इस शेड को तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटील ने 29 फरवरी, 2012 को नवीन पर्यटन उत्पाद श्रेणी में राष्ट्रीय पर्यटन पुरस्कार से सम्मानित किया। रेवाड़ी लोको को कुछ हिंदी फिल्मों- गुरु, गांधी माई फादर, रंग दे बसंती, गदर और भाग मिल्खा भाग में चित्रित किया गया है।

वर्तमान में भारतीय रेलवे का रेवाड़ी एकमात्र वाष्प शक्ति इंजन केंद्र है जहां ब्रॉड और मीटर गेज दोनों की अलग-अलग नौ इंजन कार्यशालाएं हैं। इस शेड में प्रदर्शनी स्थल, जलपान स्तर, प्रतीक्षालय, अधिकारी विश्राम स्थल और एडवर्ड-8 सैलून भी यहां विकसित किए गए हैं। रेवाड़ी में इस समय इंजनों के बेड़े में उभरी हुई नाक और तारे (स्टार) से सज्जित प्रतिष्ठा प्राप्त डब्ल्यूपी-7161 अकबर इंजन है। 1947 के बाद भारतीय रेल के सवारी इंजन का यह एक मानक उदाहरण है। यह एक पेसिफिक क्लास का ब्रॉड गेज का इंजन 110 किलोमीटर प्रति घंटा की अधिकतम गति से चल सकता है और एक्सप्रेस रेल को चलाने में इसका उपयोग किया जाता रहा है। 

चितरंजन लोको वर्क्‍स में निर्मित यह इंजन 1965 में पहली बार सेवा में लिया गया और अब भी पर्यटन वाष्प एक्सप्रेस रेल को चलाने के लिए सेवा में है।

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