मध्यवर्गीय सोच से नहीं निकल पाए उपभोक्ता : सीआईआई - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 10 नवंबर 2013

मध्यवर्गीय सोच से नहीं निकल पाए उपभोक्ता : सीआईआई


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 देश में ऐसे उपभोक्ताओं का एक बड़ा वर्ग उभर रहा है, जो दुनिया की सबसे समृद्ध आय वर्ग में शामिल होने के बाद भी मध्यवर्गीय मानसिकता से बाहर नहीं निकल पाए हैं। रविवार को यह बात भारतीय उद्योग संघ (सीआईआई) और विपणन शोध कंपनी आईएमआरबी इंटरनेशनल द्वारा संयुक्त रूप से जारी एक रिपोर्ट में कही गई। 'द चेंजिंग फेस ऑफ लग्जरी इन इंडिया' रिपोर्ट में सीआईआई ने कहा, "नई अमीरी के बाद भी भारत में एक अंतर्निहित मध्यवर्गीय सोच है, ऐसे लोगों में भी जिसे उनकी आय के आधार पर अब मध्यवर्गीय नहीं कहा जा सकता है।"

सीआईआई ने कहा कि इस रिपोर्ट में देश के लग्जरी बाजार की झलक मिलती है, जिसका पिछले तीन साल में 15 फीसदी की दर से विस्तार हुआ है और जिसके 2012 में 7.58 अरब डॉलर तक पहुंच जाने का अनुमान है। इस विकास में परिधान, एक्सेसरी, परफ्यूम, फाइन डाइनिंग और वाहन ने मुख्य भूमिका निभाई है।

ये ऐसे उपभोक्ता हैं, जो महंगे सामान खरीदते वक्त पैसे-पैसे की कीमत वसूलना चाहते हैं। सीआईआई ने एक बयान में कहा, "भारत में लग्जरी नई चीज नहीं है। हमारी संस्कृति में अध्यात्म और पदार्थवाद को अलग-अलग कर नहीं देखा गया है।" यहां 19 नवंबर को लग्जरी सम्मेलन के ऊपर एक सीआईआई-ईटी वार्ता आयोजित होगी।

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