न्यूयार्क में भारत की एक वरिष्ठ राजनयिक को गिरफ्तार किया गया और उन पर मैनहैट्न की भारतवंशी अधिवक्ता प्रीत भरारा ने वीजा धोखाधड़ी और घरेलू नौकरानी का शोषण करने का आरोप लगाया है। यह इस तरह की दूसरी घटना है। भारतीय उप महावाणिज्यदूत देव्यानी खोब्रागेड (39) को वीजा धोखाधड़ी और झूठा बयान देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। आरोप साबित हो जाने पर उन्हें दोनों मामलों में क्रमश: 10 और पांच साल कारावास की सजा हो सकती है। भारतीय दूतावास ने मीडिया के सवालों का जवाब देते हुए कहा, "भारतीय दूतावास ने इस कार्रवाई के संबंध में अमेरिकी सरकार से गहरी चिंता जताई है। भारत में एक लंबित मामले और खोब्रागेड के राजनयिक पद को देखते हुए अमेरिका से इस मसले को संवेदनशीलता के साथ सुलझाने की मांग की गई है।"
राजनायिक को पुलिसकर्मियों ने गुरुवार को उस वक्त हिरासत में लिया जब वह अपनी बेटी को स्कूल छोड़ने गई थीं। वाणिज्य दूतावास में राजनीतिक, आर्थिक, वाणिज्यिक एवं महिलाओं से संबंधित मामले देखने वाले खोब्रागेड ने कहा कि वह दोषी नहीं हैं। मैनहैटन फेडरल कोर्ट उनको 250,000 डॉलर की जमानत पर रिहा कर दिया गया। उनके वकील डेनियल आर्शैक ने दंडाधिकारी से कहा कि उनकी मुवक्किल दंड से सुरक्षित हैं और वह इस आधार पर गिरफ्तारी को चुनौती देंगी। खोब्रागेड ने जमानत की शर्त पर अपना पासपोर्ट सौंप दिया और किसी भी अनजान घरेलू नौकर से संपर्क न रखने को राजी हुईं।
जून 2011 में एक पूर्व घरेलू नौकरानी ने भारतीय महावाणिज्यादूत प्रभु दयाल पर आरोप लगाया था कि उन्होंने एक साल तक उस पर जबरन काम करने का दबाव डाला था। एक साल पहले इस मामले का निपटारा हो गया था। भरारा ने इस गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए कहा कि उन्होंने भारतीय महिला को बच्चे की देखभाल करने और घर की देखरेख करने के लिए लाने में दिए गए आवेदन में झूठा बयान दिया था।
प्रीत ने कहा, "विदेश से लाए गए नौकर शोषण के विरुद्ध वैसी ही सुरक्षा के अधिकारी हैं, जैसा अधिकार अमेरिकी नौकरों को प्राप्त है। झूठे बयान और धोखाधड़ी इस तरह की सुरक्षा में गतिरोध पैदा करने के लिए किए गए लगते हैं, इसलिए घरेलू नौकर के लिए वीजा जारी किया जाएगा, जिसे कम वेतन पर रखा गया था। अमेरिका में इस तरह की धोखाधड़ी और किसी का शोषण बर्दास्त नहीं किया जाएगा।" लेकिन भारतीय दूतावास का कहना है कि यह कार्रवाई तब की गई जब उनकी पूर्व भारतीय नौकरानी संगीता रिचर्ड ने उन पर यह आरोप लगाए थे जो खुद जून महीने से फरार थी।
दूतावास ने कहा, "दिल्ली उच्च न्यायालय ने रिचर्ड्स की नौकरी के शर्त के आधार पर खोब्रागेड के खिलाफ देश के बाहर किसी भी तरह की कार्रवाई से रोकने के लिए सितंबर महीने में एक अंतरिम आदेश जारी किया था।" इसके मुताबिक, "अमेरिकी सरकार से रिचर्ड का पता लगाने तथा दिल्ली के दक्षिण जिला अदालत के मेट्रोपोलिटन दंडाधिकारी द्वारा भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 387, 420 और 120बी के तहत जारी वारंट के अनुसार उसकी गिरफ्तारी का अनुरोध किया गया था।"

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें