झारखंड। आप स्वयं सहज ढंग से अनुमान लगा लें। शिशु को नौ महीने गर्भ में रखने वाली गर्भवर्ती महिला को प्रसव पीड़ा होने लगा। तो स्वाभाविक है कि घर के लोग प्रसव वेदना से गुजरने वाली को उठा कर अस्पताल ले जाएंगे। जब आप अस्पताल में पहुंचते हैं। तो वहां पर कोई हाल पूछने वाले चिकित्सक नहीं मिले। अस्पताल के सीएमओ और स्त्री रोग चिकित्सक नदारद रहे। दोनों को निहारने में एक नहीं पूरे तीन घंटे लग गये। अधिक समय जाया न करके अंत में परिवार वालों ने नाखुश होकर निजी क्लिनिक में जाने को तैयार हो जाए। परन्तु दुर्भाग्य देखे कि मौके पर एम्बुलेंस भी नहीं मिला। इसके कारण समय पर निजी क्लिनिक में प्रसुति को नहीं पहुंचाया जा सका। अगर समय पर चिकित्सक और एम्बुलेंस मिल जाता तो एक मासूम शिशु को मौत के मुंह से बचाया जा सकता था।
यह मामला पड़ोसी प्रदेश झारखंड का है। यहां के देवगढ़ जिले के मधुपुर में अनुमंडल अस्पताल है। सरकारी अस्पताल है तो लापरवाही होना लाजिमी है। दोनों का संबंध चोली-दामन से है। जिसका नसीब खराब होता है। वे ही सरकारी अस्पताल में जाते है। कुछ इसी तरह गर्भवर्ती महिला के साथ हुआ। प्रसव वेदना झेलने वाली को अनुमंडल अस्पताल में भर्ती किया गया। उस समय इस अस्पताल में सीएमओ नहीं मिले। इनके अलावे अन्य कोई चिकित्सक भी नहीं मिले। घर से संस्थागत प्रसव करवाने आयी गर्भवर्ती महिला प्रसव वेदना से छटपटाते रही। दुर्भाग्य यह भी है कि उक्त विकट अवस्था में स्वास्थ्यकर्मियों के द्वारा भी किसी तरह की सुविधा नहीं पहुंचायी गयी।
किसी तरह से वह अस्पताल के बेड पर राम के सहारे सही सलामत रहीं। चिकित्सकों को निहारते हुए एक नहीं पूरे तीन घंटे गुजर गये। मगर महिला चिकित्सक अथवा अन्य चिकित्सक नहीं पहुंचे। हारकर परिजनों ने वेदना सहने वाली को निजी क्लिनिक में ले जाने के लिए एम्बुलेंस की खोज करने लगी। परन्तु मौके पर एम्बुलेंस भी नहीं मिला। जाए। जबतक एम्बुलेंस मिला और निजी क्लिनिक में पहुंचे कि गर्भवर्ती के गर्भ में शिशु की मौत हो गयी। इसे मेडिकल टर्म में स्टीलबर्थ कहते हैं। लड़का शिशु था। इसको लेकर मोहम्मद यूनुस नामक परिजनों में काफी आक्रोश व्याप्त है। 12 नवंबर, 2013 को स्टीलबर्थ हुआ। परिजनों का कहना है कि घर से जाने वक्त गर्भस्थ शिशु जीर्वित था। मोहम्मद युनूस का भतीजा मरने वाला शिशु था।
जब देश प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जन्मदिवस 14 नवम्बर को मना रहे थे। तब चाचा नेहरू के भतीजे को न्याय दिलवाने के लिए फरियाद पत्र लिखकर प्रेषित किया जा रहा था। श्री राहुल पवार, जिला मजिस्ट्रेट, देवगढ़,डा. अशोक कुमार,सिविल सर्जन,मधुपुर, श्री नंद लाल कुमार,उप मंडल अधिकारी , मधुपुर आदि को भेजा गया। लेकिन अभी तक जिम्मेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। हालांकि देवघर के जिलाधिकारी राहुल पवार ने तत्काल सख्त कदम उठाने का आश्वासन दिये थे। अगर आवेदन पर कार्रवाई नहीं किया गया तो हंगामा निश्चित है। ऐसा करने से देवगढ़ के साथ देशभर में लापरवाह बने चिकित्सकों को लगाम लगेगा। यह केवल देवगढ़ की समस्या नहीं है अपितु देशभर में लापरवाही करने के अनेक मामले हैं। इसी कारण हजारों की संख्या में नवजात शिशुओं की मौत हो जाती है। इस तरह की हरकत को तत्काल रोकने की जरूरत है।
आलोक कुमार
बिहार
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