उत्तराखंड की विस्तृत खबर (31 जनवरी ) - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 31 जनवरी 2014

उत्तराखंड की विस्तृत खबर (31 जनवरी )

बहुगुणा का उत्तराखण्ड के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा
  • राज्यपाल ने किया इस्तीफा स्वीकार, बहुगुणा नए नेता के चुनाव तक बने रहेंगे कार्यवाहक मुख्यमंत्री
  • नए मुख्यमंत्री की शपथ शनिवार को!

vijay bahuguna resignation
देहरादून, 31 जनवरी। लंबी ऊहापोह के बाद प्रदेश के मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने अपने पद से त्यागपत्र राज्यपाल को सौंप दिया। मुख्यमंत्री के साथ उनके सभी निकट सहयोगी अंतिम समय में भी शक्ति प्रदर्शन करते हुए राजभवन तक गए, जहां मुख्यमंत्री ने राज्यपाल डा. अजीज कुरैशी को अपना इस्तीफा सौंपा। इस्तीफा सौंपने के बाद वापस लौटते हुए मीडिया से बातचीत में बहुगुणा ने कहा कि कल (शनिवार) को नए मुख्यमंत्री को पद की शपथ दिलाई जाएगी। उन्होेंने राज्य के भावी मुख्यमंत्री को शुभकामनाएं भी दीं। बीते दिनों से ही राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की कयासबाजी तेज होने लगी थी, बीते दिन स्पष्ट हो गया कि अब मुख्यमंत्री पद से बहुगुणा की विदाई तय हो गई है। बीते रोज ही सभी समाचार माध्यमों से बहुगुणा के इस्तीफे की चर्चा आम हो गई थी। शाम बीतते-बीतते यह खबर पुष्ट हो गई कि मुख्यमंत्री शुक्रवार को दोपहर अपना इस्तीफा राज्यपाल को सौंपकर आलाकमान की इच्छा के अनुसार दिल्ली रवाना हो जाएंगे। शुक्रवार सुबह से ही बहुगुणा खासे व्यस्त दिखे, लंबित फाइलों पर उन्होंने त्वरित निर्णय लिया। इस बीच उनके समर्थक विधायक और पार्टी पदाधिकारी मुख्यमंत्री आवास में जमा होते गए। मीडिया भी सुबह से इस खबर की पुष्टि के लिए मुख्यमंत्री आवास पर डटा रहा। यह भी पता लगा कि बहुगुणा ने जाते-जाते अपने खास समर्थकों को दायित्व देने में कोई कंजूसी नहीं बरती। बीते रोज छह लोगों को दायित्व से उपकृत करने के बाद आज भी बहुगुणा ने विजय सारस्वत, धीरेन्द्र प्रताप, संजय पालीवाल सहित कई के दायित्व की फाइल पर अपनी मंजूरी दी। मुख्यमंत्री आवास में मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने कहा कि आलाकमान के निर्देश पर वे राज्यपाल को इस्तीफा देने जा रहे हैं। उन्होेंने कांग्रेस पार्टी के सभी विधायकों से अपील भी की कि वे शनिवार को होने वाली विधायक दल की बैठक में नेता का चुनाव आलाकमान की मंशा के अनुरूप सर्वसम्मति से करें। उन्होंने आलाकमान का आभार भी जताया कि उन्हे उत्तराखण्ड जैसे राज्य में सेवा का अवसर प्रदान किया गया। शुक्रवार को लगभग डेढ़ बजे मुख्यमंत्री आवास से लगभग सौ मीटर की दूरी पर स्थित राजभवन में उन्होंने गाड़ियों में समर्थकों के काफिले के साथ प्रवेश किया और सीधे राज्यपाल को इस्तीफा देने चले गए। करीब पन्द्रह मिनट वे राज्यपाल के साथ राजभवन में रहे और उसके बाद मीडिया से संक्षिप्त बातचीत में मुख्यमंत्री आवास में दिए बयान को ही दोहराया। बहुगुणा, राजभवन 1000 नम्बर की सरकारी गाड़ी में बैठकर आए और वहां से 2000 नम्बर की निजी कार में बैठकर लौट गए। इसे भी संयोग ही कहा जाएगा कि विजय बहुगुणा ने दो वर्ष पूर्व 13 मार्च को मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी और 31 जनवरी को इस्तीफा दिया। अंकों का खेल यहां भी लगभग एक जैसा ही रहा। मुख्यमंत्री के निजी गाड़ी में बैठने के बाद राज्यपाल किसी तरह भीड़ को चीरकर उनके पास विदाई देने पहुंचे, लेकिन बहुगुणा गाड़ी में बैठे रहे और राज्यपाल खड़े होकर उनको विदा कर रहे थे। बहुगुणा के इस व्यवहार पर लोगों में खासी चर्चा रही कि जब एक बुजुर्ग राज्यपाल उन्हें गाड़ी तक विदा करने आए तो उन्हें कम से कम गाड़ी का दरवाजा खोल राज्यपाल के सम्मान में गाड़ी से बाहर उतरे होकर मीडिया से बातचीत में राज्यपाल डा. अजीज कुरैशी ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री पद से बहुगुणा का इस्तीफा स्वीकार कर लिया है और नए मुख्यमंत्री के चयन तक उन्हें कार्यवाहक रूप से इस पद को संभालने के लिए कहा है। इस दौरान बहुगुणा के साथ काबिना मंत्री यशपाल आर्य, हरक सिंह रावत, प्रीतम सिंह, विधायक सुबोध उनियाल, विजयपाल सजवाण, उमेश शर्मा काऊ, राजकुमार के साथ संजय पालीवाल, सूर्यकांत धस्माना सहित बड़ी संख्या में समर्थक मौजूद थे। 

नए सीएम पर दबाव की राजनीति 

देहरादून, 31 जनवरी। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने जाते-जाते भी आने वाले मुख्यमंत्री के लिए दबाव की रणनीति बनाकर छोड़ी। बीते कुछ दिनों से ताबड़तोड़ दायित्वधारियों के एलान ने नए मुख्यमंत्री के लिए मुश्किलें खड़ी कर दी, जबकि संवैधानिक दायित्व के पदों को छोड़कर अन्य पद मुख्यमंत्री के इस्तीफे के साथ ही समाप्त हो जाते हैं। बहुगुणा का जाते-जाते यह फैसला नए मुख्यमंत्री को बहुत कुछ सोचने पर विवश कर देगा। 13 मार्च 2012 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेकर राज्य की बागडोर संभालने वाले बहुगुणा के आते ही हरीश रावत समर्थक गुट ने जिस तरह दबाव की राजनीति बनाई थी, तभी लगने लगा था कि बहुगुणा के लिए आने वाला समय आसान नहीं रहेगा। हरीश खेमे की नाराजगी के साथ शुरू हुआ बहुगुणा का सफर लगातार हिचकौले खाता रहा। सरकार में शामिल सभी गुटों को संतुष्ट करने के लिए मुख्यमंत्री के पास लाल बत्ती बांटने के अलावा कोई चारा नहीं था। हरीश गुट के मयूख महर को योजना आयोग का उपाध्यक्ष बनाकर बहुगुणा ने संतुलन साधने की जो कोशिश की वह सिरे नहीं चढ़ सकी। मयूख ने आज तक योजना आयोग के उपाध्यक्ष का कार्यभार ग्रहण ही नहीं किया। इसके बाद से ही बहुगुणा पर लालबत्ती बांटने का भारी दबाव रहा है, जिसको बहुगुणा ने सिरे नहीं चढ़ने दिया। जब भी सरकार में शामिल गुटों द्वारा दबाव की राजनीति की गई, तो बहुगुणा ने इक्का दुक्का पद बांटकर विरोध पर पानी डालने का प्रयास किया, मगर बहुगुणा के जाने की चर्चा तेज होने के बाद जिस तरह विभिन्न पदों पर आनन-फानन पदों की रेवड़ियां बांटी गईं वह नए मुख्यमंत्री के लिए दबाव की ही राजनीति अधिक कहलाई। बीते चार दिनों में बहुगुणा ने लगभग 25 पदों पर अपने समर्थकों का मनोनयन कर दिया। यहां यह स्पष्ट करना है कि संवैधानिक पदों को छोड़कर शेष पद मुख्यमंत्री के रहने तक ही बने रहते हैंं। अब जबकि शनिवार को नए मुख्यमंत्री ने शपथ ग्रहण करनी है तो इस्तीपफे वाले दिन भी पदों की घोषणा करना समझ से परे है। 

14 साल और 8 मुख्यमंत्री 

देहरादून, 31 जनवरी। शनिवार को उत्तराखण्ड के आठवें मुख्यमंत्री की शपथ होगी। 14 साल का इतिहास और आठ मुख्यमंत्री। देश के नवोदित राज्यों में शुमार उत्तराखण्ड धीरे-धीरे ऐसे राज्यों की श्रेणी में आता जा रहा है जो राजनीतिक रूप से अस्थिर हैं। 9 नवंबर 2000 को अस्तित्व में आए तीन नए राज्यों में उत्तराखण्ड भी शामिल रहा। उत्तर प्रदेश से अलग होकर अस्तित्व में आए इस राज्य को भारतीय जनता पार्टी की अंतरिम सरकार के रूप में पहली सरकार मिली। तब वरिष्ठ एवं वयोवृद्ध नित्यानंद स्वामी को कमान सौंपी गई, किन्तु पहले ही दिन से स्वामी को अपनी ही पार्टी के दिग्गजों के विरोध का सामना करना पड़ा और राज्य के पहले निर्वाचन से लगभग चार माह पहले ही कोश्यारी को नए मुख्यमंत्री के रूप में दायित्व दिया गया। मुख्यमंत्री को बदलने का असर यह हुआ कि राज्य बनाने का श्रेय लेने वाली भाजपा चुनाव हार गई और देश के वरिष्ठतम राजनीतिक नारायण दत्त तिवारी के रूप में सरकार को कांग्रेसी मुख्यमंत्री मिला। तिवारी के पांच साल राज्य के विकास में मील का पत्थर साबित हुए, किन्तु उन्हें भी संगठन के विरोध का लगातार सामना करना पड़ा। यह और बात है कि उन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया। राज्य के दूसरे निर्वाचन में भाजपा की सरकार बनी और केंद्र में भूतल परिवहन मंत्री के रूप में अपनी छाप छोड़ चुके मेजर जनरल भुवन चन्द्र खण्डूड़ी को सूबे का मुख्यमंत्री बनाया गया। सवा दो साल के बाद अपने ही दल के नेताओं के विरोध् के चलते उन्हें भी इस पद से जाना पड़ा। इसके बाद खण्डूड़ी की सहमति से ही आलाकमान ने डा. रमेश पोखरियाल निशंक को सूबे की कमान सौंपी। सवा दो साल बाद फिर वक्त ने करवट बदली और विधानसभा चुनाव से कुछ माह पूर्व ही फिर से खण्डूड़ी को कमान सौंपी गई। भाजपा शासनकाल का इतिहास एक बार फिर से अपने को दोहरा रहा है। माना यह जाता था कि कांग्रेस के शासनकाल में मुख्यमंत्रियों को बदलने की परंपरा नहीं थी, किन्तु लगातार बढ़ते असंतोष व आगामी लोकसभा चुनाव में हारने की संभावना को देखते हुए कांग्रेस ने भी बहुगुणा को इस्तीफा देने को कह ही दिया। अब शनिवार को चौदह साल पुराने इस राज्य में आठवां मुख्यमंत्री शपथ लेगा। अब तक हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे बताते हैं कि अन्य पहाड़ी राज्यों जैसे यहां भी एक बार कांग्रेस की व एक बार भाजपा की सरकार को जनता मौका देती है, किन्तु 2012 में हुए चुनाव में जनता ने किसी को भी स्पष्ट बहुमत नहीं दिया। कांग्रेस को 32 व भाजपा को 31 सीटें देकर निर्दलीयों को भाव बढ़ाने का मौका दे दिया। बहुगुणा ने भाजपा के एक विधायक को अपने लिए सीट खाली करने को राजी कर संख्याबल में जहां एक का इजाफा किया, वहीं भाजपा की एक सीट घटा दी। अब आने वाले मुख्यमंत्री को भी छह माह के भीतर चुनाव जीतकर विधानसभा में पहुंचने की चुनौती है। देश की अस्थिर राजनीतिक परिस्थिति से यह राज्य भी अछूता नहीं बचा है। 

प्रदेश अध्यक्ष की रस्साकसी

देहरादून, 31 जनवरी। आलाकमान के निर्देश के बाद मुख्यमंत्री पद से बहुगुणा ने भले ही इस्तीफा दे दिया हो, किन्तु अपने समर्थक को मुख्यमंत्री बनाने की मुहिम नहीं छोड़ी है। राज्यपाल को इस्तीफा देने के बाद मुख्यमंत्री अपने सहयोगी काबिना मंत्रियों और विधायकों के साथ दिल्ली कूच कर गए हैं। इसे प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर अपने आदमी की दावेदारी के रूप में भी देखा जा रहा है। आगामी लोकसभा चुनाव को देखकर राज्य में मुख्यमंत्री के साथ ही प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का चयन भी होना है। ऐसे मंे अगर हरीश रावत गुट के हाथ मुख्यमंत्री की कुर्सी लगती है तो प्रदेश अध्यक्ष पद पर बहुगुणा अपने आदमी की ताजपोशी करने का पुरजोर प्रयास कर रहे हैं। दिल्ली के सूत्र बताते हैं कि मुख्यमंत्री पद पर हरीश रावत की ताजपोशी तय है। हरीश रावत कुमाऊं के ठाकुर हैं, ऐसे में अध्यक्ष पद पर गढ़वाल से ब्राहम्ण का आना तय है। दिल्ली में अध्यक्ष पद पर राष्ट्रीय सचिव प्रकाश जोशी, पूर्व काबिना मंत्री नवप्रभात व पूर्व राज्य मंत्री किशोर उपाध्याय का नाम चर्चा में है। प्रकाश जोशी कुमाऊं मण्डल से ताल्लुक रखते हैं, ऐसे में उनका दावा कमजोर हो जाता है। किशोर व नवप्रभात गढ़वाल से हैं। किशोर हरीश गुट से ही ताल्लुक रखते हैं और यह गुट सरकार व संगठन के तालमेल को आगे रख अपने गुट के ही व्यक्ति को अध्यक्ष पद पर आसीन कराने की पुरजोर कोशिश कर रहा है। नवप्रभात पूर्व मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी के खास रिश्तेदार भी हैं, किन्तु बहुगुणा ने अपनी सरकार में उन्हें उपेक्षित किया हुआ था। 

बदमाशों ने प्रॉपर्टी डीलर को किया गोलिया से छलनी कर मौत के घाट उतारा

देहरादून, 31 जनवरी (राजेन्द्र जोशी)। बदमाशों ने दिन दहाड़े राजधानी देहरादून के रायपुर के आनंदग्राम क्षेत्र प्रॉपटी डीलर संजय को गोलियों से छलनी कर मौत के घाट उतार दिया। घटना को शुक्रवार की सुबह लगभग पौने दस बजे अंजाम दिया गया। पुलिस द्वारा मिली जानकारी के अनुसार संजय दिल्ली के वजीराबाद का रहने वाला है और देहरादून में ससुरालियों के साथ रहता था। संजय आंनदग्राम में ससुरालियों द्वारा दी गई जमीन पर घर बनवा रहा था। शुक्रवार को सुबह घर बनवा रहा था तभी बदमाश आए और उस पर गोलियों से वार कर दिया। जिससे मौके पर ही संजय की मौत हो गई। संजय के परिवार से जब इस बारे में पूछताछ की गई तो पता चला कि संजय की शादी को दो साल हुए हैं और उसकी तीन दिन की बेटी भी है। मृतक की पत्नी ने बताया कि संजय कुछ दिन से परेशान चल रहा था। पुलिस मामले की जांच में जुट गई है। पुलिस का अनुमान है कि लगभग तीन बदमाश थे और मौक पर पैदल आए थे। बदमाशों ने पिस्तॉल से संजय पर हमला किया। बदमाशों को पकड़ने के लिए पुलिस ने पूरे शहर में तलाशी अभियान तेज कर दिया है। एसपी सिटी व एसएसपी ने छानबीन तेज करने के निर्देश दिए हैं।

सरकारी अस्तालों में बंद होगी लोकल परचेज की व्यवस्था

देहरादून, 31 जनवरी (राजेन्द्र जोशी)। प्रदेश में मुक्त औषधि योजना  के तहत अब सरकारी अस्पताल में डाक्टर मरीजों को बाहर से मनमर्जी की कोई भी ब्रांडेड दवाई नही लिख पायेंगे। डाक्टरों को वही दवाई मरीजों के पर्चे पर वही दवाई लिखनी होगी जो उस समय जेनेरिक में उपलब्ध है। यह योजना अप्रैल से शुरू होने जा रही है। इस योजना को शुरू करने का उददेश्य      बीपीएल और वीआईपी मरीजों को फ्री दवाईयां दी जानी है। 
लोकल परचेज के चलते डाक्टर अपनी मनमर्जी की ब्रांडेड दवाई मरीजों के पर्चे पर लिख देते है। जिसे मरीजों को मेडिकल स्टोर से खरीदनी पड़ती है। बीआईपी के साथ-साथ बीपीएल, आंदोलनकारियों और पत्रकारों को भी लोकल परचेज व्यवस्था के तहत बाहर से दवाई खरीदनी पड़ती हैं। लेकिन सरकार ने लोकल परचेज पर अंकुश लगाने के लिए अप्रैल से यह व्यवस्था बंद करने जा रही है। जिससे कोई भी सरकारी डाक्टर मरीजों को बाहर से दवाई नही लिख पायेंगे। डाक्टरों को वही दवाई लिखनी होगी जो अस्पताल में उस समय उपलब्ध है।

हजारों की अंग्रेजी शराब सहित दो दबोचे 

देहरादून, 31 जनवरी (राजेन्द्र जोशी)। कार में शराब ढो रहे शराब तस्करों को विकासनगर पुलिस ने चेकिंग के दौरान पकड़ लिया। वाहन तलाशी में जो अंग्रेजी शराब बरामद हुई, पुलिस पूछताछ में पकड़े गए तस्करों का कहना कि हिमाचल प्रदेश से तस्करी कर लाई जा रही थी। पुलिस ने पकड़े गए युवकों के खिलाफ आबकारी अध्निियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है। दारोगा राजेन्द्र कुमार के अनुसार मौहम्मद अली पुत्र अजी अली तथा रईस पुत्र अख्तर निवासीगण फतेहपुर सहारनपुर को शराब तस्करी में पकड़ा गया है। दरअसल पुलिस ढकरानी के समीप वाहन चेकिंग कर रही थी। इस दौरान हिमाचल की ओर से आती कार संख्या एचआर02एन-6253 के चालक को चेकिंग के लिए रूकवाया गया। कार में सवार चालक और उसके साथ बैठे दूसरे युवक को उतारकर वाहन की तलाशी ली गई तो वाहन की पिछली सीट पर छिपाकर रखी दो पेटी अंग्रेजी शराब बरामद हुई। हजारों की कीमत की यह शराब हिमाचल प्रदेश से तस्करी कर क्षेत्र में पहुंचाई जा रही थी। 

कर्नल ने कराया बैंक प्रबंधक के खिलाफ मुकदमा 

देहरादून, 31 जनवरी (राजेन्द्र जोशी)। बैंक के लॉकर में रखे गहने गायब होने पर कर्नल ने बैंक में हंगामा बरपा दिया। कर्मचारियों सहित शाखा प्रबंधक सभी ने उसे काफी समझाया कि यह संभव ही नहीं कि बिना ग्राहक की अनुमति के कोई लॉकर खोल सके। तो फिर उनके गहने गायब कैसे हो गए। हालांकि कर्नल की ओर से यहां नगर कोतवाली में गांधी रोड स्थित इलाहाबाद बैंक के शाखा प्रबंधक के खिलाफ आईपीसी की धारा 409 के तहत मुकदमा दर्ज कराया गया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। विवेचना अधिकारी दारोगा मंजुल रावत ने बताया कि मामले की जांच की जा रही है। उनके अनुसार बैंक से पूछताछ की गई तो पता चला कि लॉकर खोलने के लिए दो चाबियां होती हैं, एक ग्राहक तो दूसरी बैंक के पास होती है। दोनांे चाबियां लगाकर ही लॉकर खोला जा सकता है। बैंक के लॉकर में रखे गहने एक साल पहले रखे गए थे। पौंधा निवासी कर्नल आरके सिंह की ओर से बताया गया कि उन्होंने इलाहाबाद बैंक का लॉकर किराए पर लेकर उसमें सोने के गहने और नगदी रखी थी। बीती 14 जनवरी को बैंक पहुंचे और लॉकर खोला तो उसमें से पांच सोने के नेकलेस, कान की बालियां, व अंगुठी तथा एक मोती का हार गायब मिला। बैंक से पूछे जाने पर गायब जेवर के बारे मंे जानकारी होने पर अनभिज्ञता जताई गई। पुलिस के अनुसार बैंक की ओर से लॉकर किराए पर दिए जाते हैं, जिसमें कि ग्राहक अपने कीमती सामान रखते हैं। इस बैंक के लॉकर को खोलने के लिए दो चाबियों इकट्ठी लगानी पड़ती हैं। एक चाबी से लॉकर खोलना कतई संभव नहीं है। ग्राहक लॉकर में क्या-क्या सामान रखता है, इसकी जानकारी बैंक को दी जाए, यह नियम नहीं है। वहीं कर्नल ने बैंक में कितने जेवर रखे थे, इसकी सूची न तो बैंक के पास है और न ही कर्नल के पास उस समय की सूची है, जब यह गहने लॉकर में रखे गए थे। 

शुगर मिल मालिक के मकान में चोरी 

देहरादून, 31 जनवरी (राजेन्द्र जोशी)। हरिद्वार स्थित शुगर मिल मालिक के कैंट क्षेत्र के मकान में घुसे चोरों ने लाखों की चोरी कर ली। खास बात यह रही कि कमरे में घुसे चोर मजबूत लॉकर ही उखाड़कर ले गए। जिसमें कि नगदी, गहने सहित मिल मालिक के बेटे की लाइसेंसी रिवाल्वर रखी थी। परसों देर रात की इस घटना का पता सुबह घर के केयरटेकर के वहां पहुंचने पर चला। सूचना पर पहुंची पुलिस ने मौका मुआयना के साथ ही आसपास के इलाकों में कांबिंग की। घटनास्थल से कुछ दूर जंगल के भीतर एक जगल लॉकर की इलेक्ट्रानिक प्लेट टूटी मिली। पुलिस ने इस प्लेट से हाथ के नमूने एकत्र किए हैं। कैंट पुलिस के अनुसार लक्सर शुगर मिल के मालिक सरदार हरदेव सिंह का यहां पौंध रोड के मकान में कभी कभार आना होता है। इस मकान के कुछ दूरी बने मकान में हरदेव की बुढ़ी मां रहती हैं। बंद मकान की देखरेख के लिए स्थानीय निवासी हीरा नन्द को रखा गया है। गहने, एक लाख रूपए और 32 बोर की लाइसंेसी रिवाल्वर चोरी होना बताया गया। 

बिहार डीजीपी ने राज्य की एसटीएफ के काम को सराहा

देहरादून, 31 जनवरी (राजेन्द्र जोशी)। बिहार के कुख्यात एक लाख इनामी बदमाश शंभू सिंह उर्फ संतोष मिश्रा को पकड़ने पर बिहार के डीजीपी ने राज्य की एसटीएफ के कार्य की सराहना करते हुए पचास हजार ईनाम की घोषणा की है। बता दें कि पिछले साल अप्रैल माह में जीएमएस रोड से पकड़ा गया था। जिसमें एसटीएफ की उल्लेखनीय भूमिका रही थी। उल्लेखनीय है कि वर्ष 1990 के दशक में बिहार में मुन्ना शुक्ला व प्रकाश शुक्ला गैंग हत्यायें कर रहा था तथा ठेके हथिया रहा था जिससे वे बहुत पैसा कमा रहे थे। वर्ष 1997 में अपराधी शम्भू सिंह, मुन्ना शुक्ला व प्रकाश शुक्ला के गैंग में शामिल हो गया। इसका साथी मंटू सिंह भी इसी के साथ गैंग में शामिल हो गया। वर्श 2000 तक इस गैंग ने दर्जनों हत्यायें की तथा ठेकों से पैसा कमाया। इसी दौरान वर्षे 1998 में मुन्ना  ने बिहार सरकार के मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की हत्या कर दी। शम्भू सिंह ने इस दौरान हत्याओं में ए0के0 47 राइफलों का इस्तेमाल किया था। 

विधायक ने की विधायक निधी से  4 लाख रू. देने की घोषणा

देहरादून, 31 जनवरी (राजेन्द्र जोशी)। नगर पालिका ऋषिकेश में विकास कार्यों को लेकर सर्वहारा नगर, भरत बिहार, शिवा इन्कलैव में कार्यक्रम का आयोजन कराया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि क्षेत्रीय विधायक प्रेमचन्द अग्रवाल ने कहा आज कल शहर में विकास कार्य ठप्प हो चुके है। विकास कार्यों को लेकर सभासदांे के साथ बैठक हुई थी जिसकें सभासदों ने मुझे बताया कि हमारे क्षेत्र में विकास नहीं हो पा रहा हैे। विधायक ने वार्ड न. 3 में विकास के लिए पार्क की बांउड्री वाल बनाने के लिए विधायक निधी से देने की घोषणा की और एक सड़क निर्माण के लिए विधायक निधी से 4 लाख रू. देने की घोषणा की। विधायक द्वारा दी गई विधायक निधी में होने वाले विकास कार्यों के लिए विधायक का जनता ने धन्यवाद दिया । सभासद विकास तेवतिया ने कहा कि न. पा. अध्यक्ष ईर्ष्या से कार्य कर रहे है उनकी सोच व्यक्तिवादी सोच है। तेवतिया ने विधायक की विधायक निधी से बाउंड्री वाल व सड़क का निर्माण कराने के लिए धन्यवाद दिया। कार्यक्रम का संचालन सभासद शिवकुमार गौतम ने किया, कार्यक्रम में सभासद मनीष शर्मा, तोजेन्द्र नेगी मनेाज कुमार किशन जितेन्द्र बर्थवाल राजेश कुमार आशीष मिश्रा आदि थे

चीन से आए डेढ़ सौ योग जिज्ञासुओं ने की गंगा आरती

देहरादून, 31 जनवरी (राजेन्द्र जोशी)। पड़ोसी देश चीन से आज 150 से अधिक योग जिज्ञासु परमार्थ निकेतन पहुँचे। उन्होंने परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष एवं गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता स्वामी चिदानन्द सरस्वती से मुलाकात की और परमार्थ गंगातट पर सान्ध्यकालीन गंगा आरती में भाग लिया। दल में चिकित्सक, सम्पादक, पत्रकार, फिल्मकार, आर्टिस्ट एवं शिक्षक आदि मौजूद थे। चीन की राजधानी बीजिंग स्थित ‘योगी योगा फाउंडेशन’ के वाइस प्रेसीडेन्ट  यिन यान के नेतृत्व में डेढ़ सौ योग जिज्ञासुओं का दल दोपहर बाद परमार्थ निकेतन पहुँचा। योग की पुण्यभूमि ऋषिकेश और परमार्थ निकेतन की धरती पर अपने-आपको पाकर दल के सदस्य भावविभोर थे। उन्होंने भारतीय योग विज्ञान, अध्यात्म, गंगा, हिमालय आदि विषयों पर स्वामी जी से कई सवाल पूछे, जिनके उत्तर देकर उनकी आध्यात्मिक जिज्ञासाओं को शान्त किया गया। चीनी दल के सभी सदस्यों ने सान्ध्यकालीन गंगा आरती में भाग लिया। परमार्थ परिवार ने परिसर में सभी के निवास एवं भोजन की व्यवस्था की।  स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने भारत और चीन के ऐतिहासिक सम्बन्धों की चर्चा करते हुए भविष्य में दोनों पड़ोसी देशों के अच्छे व सौहार्द्रपूर्ण सम्बन्धों की कामना की। स्वामी जी ने चीनी दल की अगुवाई कर रहे यिन यान को रुद्राक्ष का पौधा भेंटकर सभी योग जिज्ञासुओं का सम्मान किया और उन्हें नए वर्ष की शुभकामनायें दीं। उन्होंने उन्हें गंगा स्वच्छता एवं पर्यावरण संरक्षण के लिए गंगा एक्शन परिवार द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रमों की जानकारी दी तथा चीन की नदियों को निर्मल बनाने एवं हरीतिमा संवर्द्धन के लिए प्रयास करने की प्रेरणा दी। चीनी योग जिज्ञासुओं के भारत भ्रमण कार्यक्रम का समन्वयन कर रहे चीन के प्रख्यात योगाचार्य योगी मोहन भण्डारी ने बताया कि यह दल ऋषियों के देश भारतवर्ष में ऋषि प्रणीत योग विज्ञान के मर्म सीखने आया हुआ है। योग की धरती ऋषिकेश और योग विज्ञान का प्रसार वैश्विक स्तर पर करने वाले परमार्थ निकेतन आश्रम को देखने और गंगाजी का संस्पर्श करके भारतीय अध्यात्म को जानने की उनकी इच्छा का समादर करते हुए उन्हें यहाँ लाया गया है।

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