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बुधवार, 12 फ़रवरी 2014

केजी बेसिन मामले में एफआईआर दर्ज, अंबानी और मोइली का नाम नहीं

कृष्णा गोदावरी (केजी) बेसिन घोटाले मामले में दिल्‍ली मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल की शिकायत पर दिल्‍ली की एंटी करप्‍शन ब्रांच ने आज एफआईआर दर्ज कर ली है। सूत्रों के अनुसार, बताया जा रहा है एफआईआर में रिलायंस इंटस्‍ट्रीज के मालिक मुकेश अंबानी का नाम नहीं है। एफआईआर में पेट्रोलियम मंत्री वीरप्‍पा मोइली का नाम भी शामिल नहीं है। आपको बता दें कि एफआईआर किसी भी मामले में प्राथमिक कार्रवाई होती है। सूत्रों के अनुसार, यह एफआईआर आईपीसी की धारा 420 (धोखाधड़ी) व 120 बी और भ्रष्टाचार निरोधक कानून की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई है। मुख्‍यमंत्री केजरीवाल का नाम एफआईआर में शिकायतकर्ता के रूप में हैं।

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को रिलाइंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी, केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली, पूर्व पेट्रोलियम मंत्री मुरली देवड़ा और हाइड्रोकार्बन के पूर्व महानिदेशक वीके सिब्बल पर भ्रष्टाचार निरोधक कानून की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज करने के आदेश दिए थे। केजरीवाल का कहना था कि सरकार को रिलायंस के खिलाफ गैस की झूठी कमी पैदा करने और केंद्र के साथ मिलीभगत करके गैस की कीमत बढ़ाने के घपले की शिकायत मिली थी।

केजरीवाल ने बताया कि उन्हें पूर्व केंद्रीय कैबिनेट सचिव टीएसआर सुब्रमण्यम, पूर्व केंद्रीय सचिव ईएएस सरमा, पूर्व नेवी चीफ एडमिरल आरएच ताहिलियानी और सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ अधिवक्ता कामिनी जायसवाल की ओर से संयुक्त रूप से एक शिकायत मिली थी। इस शिकायत में आरोप लगाया गया था कि रिलायंस इंडस्ट्रीज और केंद्रीय मंत्रियों की मिलीभगत से आने वाली एक अप्रैल से गैस की कीमतें दोगुनी हो जाएगी। यदि ये कीमतें बढ़ेंगी तो उसका परिवहन, घरेलू गैस, बिजली की दरों और खाद व गेंहू, चावल, सब्जियों के दाम पर भी बुरा असर पड़ेगा जिससे आम लोगों का जीना मुहाल हो जाएगा। कीमतें बढ़ाए जाने से रिलाइंस को सालाना 54 हजार करोड़ रुपए का मुनाफा होगा।

शिकायत में कहा गया था कि गैस की मौजूदा कीमत 4.2 डॉलर (262.25 रुपए) प्रति यूनिट (वन मिलियन ब्रिटिश थर्मल यूनिट) से बढ़ाकर 8.4 डॉलर (524.20 रुपए) प्रति यूनिट की दर दुनिया में सबसे अधिक होगी। गैस की कीमतों में केवल रिलाइंस को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाते हुए सवाल किया गया है कि जब गैस का उत्पादन व इस्तेमाल पूरी तरह से घरेलू है तो इसकी कीमत अमेरिकी डॉलर के हिसाब से क्यों तय की जाती है? सरकार ने सोलिसिटर जनरल आर नरीमन की राय और सीएजी रिपोर्ट को नजरअंदाज कर कोई कार्रवाई नहीं की और उलटे कीमतें दोगुना करने का फैसला किया गया।

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