सुब्रत रॉय चार मार्च तक यूपी पुलिस की कस्टडी में रहेंगे - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2014

सुब्रत रॉय चार मार्च तक यूपी पुलिस की कस्टडी में रहेंगे

पेशी में देर होने पर सीजेएम आनंद कुमार के फटकार के बाद सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय पुलिस कस्टडी में कोर्ट पेश हुए। जज ने देर से पेशी होने पर बहुत नाराजगी जताई। लखनऊ पुलिस ने सुब्रत रॉय की पुलिस कस्टडी मांगी। इसके बाद कोर्ट सुब्रत रॉय को चार मार्च तक के लिए पुलिस कस्टडी में भेज दिया। कोर्ट ने पुलिस को निर्देश दिया है कि वह इस बात को सुनिश्चित करे कि सुब्रत रॉय चार मार्च को हर हाल में सुप्रीम कोर्ट में पेश किया जाए। इससे पहले सुब्रत रॉय की पेशी में देरी होने पर सीजेएम भड़क उठे। उन्‍होंने पुलिस से पूछा कि दस मिनट की दूरी तय करने में इतना वक्‍त क्‍यों लग रहा है? जज ने कहा, 'कोर्ट दो घंटे से बैठी है और न तो पुलिस सुब्रत रॉय को लेकर आई है और न ही उनका कोई वकील आया है।'

जज के तल्‍ख रुख के बाद एसपी (ट्रांस गोमती) हबीबुल हसन दल-बल के साथ सहारा शहर पहुंचे। फिर, सुब्रत रॉय के वकील भी कोर्ट पहुंचे। इसी बीच कोर्ट परिसर में अचानक मुख्य अभियोजन अधिकारी लल्लन यादव की तबियत खराब। आनन-फानन में उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है। खुद को सहारा इंडिया परिवार का प्रबंध कार्यकर्ता और मुख्य अभिभावक कहने वाले समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय शुक्रवार को आखिरकार पुलिस की गिरफ्त में आ ही गए। लेकिन, अब वह किसी भी तरह 'हाउस अरेस्‍ट' होकर घर में ही रहना चाहते थे। इसके लिए उन्‍होंने बीमारी का दांव चला। सहारा अस्‍पताल के प्रमुख डॉ. एसपी कुमार के नेतृत्‍व में डॉक्‍टरों का एक दल उन्‍होंने अपने घर पर ही बुलवा लिया। डॉक्‍टर उनका मेडिकल परीक्षण करेंगे। सूत्र बताते हैं कि रॉय मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर घर में ही नजरबंद किए जाने का अदालती आदेश पारित करवाना चाहते हैं। उन्‍होंने सुप्रीम कोर्ट से पूछा भी है कि क्‍या वह घर में नजरबंद रहते हुए अपनी बीमार मां के साथ रह सकते हैं?

पुलिस का कहना है कि उन्‍हें गिरफ्तार किया गया है, जबकि रॉय की ओर से सरेंडर किए जाने की बात कही जा रही है।सुप्रीम कोर्ट के सामने पेश नहीं होने पर सुब्रत रॉय के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया था। इसे रद्द करने के लिए रॉय ने याचिका भी दी। लेकिन, शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने गैर जमानती वारंट रद्द करने की रॉय की याचिका पर सुनवाई नहीं की। गुरुवार को यूपी पुलिस भी उनकी गिरफ्तारी के लिए लखनऊ स्थित उनके घर पहुंची थी। ऐसे में उन पर काफी दबाव था।

रहस्यमय कारोबारी समूह के प्रमुख सुब्रत रॉय के बेटे सीमांतो रॉय ने दिल्‍ली के एक फाइव स्‍टार होटल में प्रेस कॉन्‍फ्रेंस कर तारीखवार पूरा घटनाक्रम बताया। उन्‍होंने कहा कि उनके पिता सु्प्रीम कोर्ट के निर्देशों के मुताबिक यूपी पुलिस को सहयोग कर रहे हैं। सहारा परिवार के बारे में कुछ लोगों द्वारा गलतफहमियां फैलाई जा रही हैं। उन्होंने बताया कि सुब्रत रॉय ने स्वेच्छा से लखनऊ पुलिस के सामने सरेंडर किया है। सहारा परिवार ने हमेशा ही देश की प्रतिष्ठा को कंपनी से ऊपर रखा है। उन्‍होंने कहा, सुब्रत रॉय सहारा परिवार के 12 लाख कर्मचारियों के पिता समान हैं। इस पूरे प्रकरण से सहारा परिवार पर कोई असर नहीं पड़ेगा। सुब्रत रॉय कानून का पालन करने वाले व्यक्ति हैं और हमें देश के कानून व्यवस्था पर पूरा भरोसा है।

सीमांतो ने बताया कि उनके पिता दिल्‍ली आए थे और वकीलों से मिले थे। लेकिन, उसी शाम उन्‍हें उनकी मां की तबीयत काफी खराब होने की जानकारी मिली। इसके बाद उन्‍हें लखनऊ लौटना पड़ा। उन्‍होंने इस बात की जानकारी सुप्रीम कोर्ट को भी दी थी। इसके बावजूद कोर्ट से गैर जमानती वारंट जारी कर दिया गया। गुरुवार की रात जब वह घर पहुंचे तो उन्‍हें घर पर पुलिस के पहुंचने की जानकारी मिली। तब शुक्रवार सुबह उन्‍होंने सरेंडर कर दिया। लेकिन, एसएसपी प्रवीण कुमार के अनुसार सुप्रीम कोर्ट में वारंट रद्द करने की अर्जी मंजूर नहीं होने के बाद लखनऊ पुलिस ने सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय को गिरफ्तार कर लिया।

गुरुवार को यूपी पुलिस की टीम के सर्च ऑपरेशन के बाद सुब्रत रॉय ने प्रेस विज्ञप्ति के जरिए सफाई दी। इसमें उन्‍होंने कहा कि गुरुवार की शाम को मैं सहारा शहर में नहीं था। मां की बीमारी के संबंध में डॉक्टरों के एक पैनल से सलाह लेने के बाद अपने वकील से मिलने गया था। उन्होंने बताया कि मुझे पारिवारिक सदस्यों द्वारा पता चला कि पुलिस घर आई थी और उन्होंने मीडिया से कुछ कहा, जिसके बाद देश भर का मीडिया मुझे भगोड़ा घोषित करने पर तुला हुआ था। उन्‍होंने लिखा, 'क्या मैं भगोड़ा हू्ं? मुझे खुद से घृणा हो रही है। मैं इस तरह की नफरत और बेइज्जती सहन नहीं कर सकता, मुझे काफी शर्मिंदगी महसूस हो रही है। कुछ नेगेटिव मानसिकता वाले लोग हैं जो लगातार मेरे खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं। इनमें से कुछ वे मीडियाकर्मी हैं जिनको पहले सहारा से निकाला जा चुका है। वे एक ऐसे बेटे के व्यक्तित्व को गलत तरीके से पेश कर रहे हैं, जो अपनी बीमार मां से भावानात्मक रूप से जुड़ा है। भगवान न करे कि मेरी अनुपस्थिति में मेरी मां को कुछ हो जाए तो मैं आजीवन ऐसे लोगों को माफ नहीं कर पाऊंगा।' उन्‍होंने कहा- मैं भागने वालों में से नहीं हूं, कानून का पालन करने वाला देश का सच्चा नागरिक हूं। मैं ऐसी चीजों को कभी पसंद नहीं करता।

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