आलेख : बुनियादी सुविधाओं से वंचित सरहदी इलाके - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 24 फ़रवरी 2014

आलेख : बुनियादी सुविधाओं से वंचित सरहदी इलाके

जम्मू एवं कष्मीर के जि़ला पुंछ के मेंढर का सरहदी गांव बनलोई कुदरती हुस्न से मालामाल है। यह गांव पहाड़ों के दामन में बसा हुआ है। मेंढर से तकरीबन 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह गांव कुदरत के अनमोल तोहफों की एक जीती जागती मिसाल है।  साल 2013 में मेंढर का यह इलाका सरहद पर गोलाबारी होने की वजह से सुर्खियों में रहा। इस इलाके के लोगों को हर वक्त गोलाबारी होने का खतरा सताए रहता है। इस इलाके के लोग मौत के साए में अपनी जिंदगी जीने को मजबूर हैं।  । यहां हर ओर कुदरत की रंगीनियां नज़र आती है। यहां के कुदरती मंज़र देखने के काबिल हैं।  लेकिन यहां आकर देखा जाए, इन लोगों से मिला जाए तो इनकी  परेषानियां जानने के बाद आप सोचने पर मजबूर हो जाएंगे कि किस तरह यह लोग अपनी जिंदगी गुज़र बसर करतेेे हैं। इसी जन्नतनुमा इलाके के लोग इक्कीसवीं सदी में बुनियादी सुविधाओं बिजली, पानी, स्वास्थ्य और षिक्षा आदि से महरूम हैं। 
         
अफसोस की बात तो यह है कि इस इलाके में पानी की आज भी कोई उचित सुविधा नहीं हैं। इस इलाके में पानी का केवल एक ही स्रोत है। इस स्रोत से ही महिलाएं एक कतार में खड़ी होकर पानी हासिल करती हैं। रहमत बी (28) कहती हैं कि यह हमारे लिए नया नहीं हैै, हम लोग इसी तरह कतार में खड़े होकर पानी हासिल करके अपने सरों पर पानी के मटके उठाकर तकरीबन आधा किलोमीटर का सफर तय करके अपने घरों को पहुंचते हैं।  इस बारे में रहमत बी आगे बताती हुए कहती हैं कि हम लोग बारिष, बर्फबारी और चिलचिलाती हुई धूप में भी इसी तरह पानी ढोकर लाते हैं। इस इलाके के प्रति सरकार की बेतवज्जोही सफर नज़र आती है। महिलाएं घर परिवार संभालें या फिर भी पानी लादकर लाएं समझ से परे है। इस इलाके को देखकर कहा जा सकता है कि इस इलाके के लोग आज भी पुराने ज़माने जैसी जिंदगी गुज़र बसर कर रहे हैं। इस इलाके की जनता का कहना है कि हमें यकीन नही हो रहा है कि हम दूनिया के सबसे बढ़े लोकतंत्र का हिस्सा हैं। 
         
इस इलाके में अगर षिक्षा की बात की जाए तो यहां सिर्फ एक हाईस्कूल है और तीन मीडिल स्कूल हैं। गांव वाले मेहनत व मषक्कत करके अपने बच्चों को पढ़ना लिखाना चाहते हैं। मगर इलाके में षिक्षा की स्थिति अत्यंत दयनीय है। अध्यापकों की कमी की वजह से बच्चों का भविश्य अंधकारमय हो रहा है। इस इलाके की स्थानीय निवासी फिरदौस अंजुम (18)  कहती हैं,’’ हमारे इलाके में कोई भी लड़की एमए बीएड नहीं है। यहां के लड़के लड़कियां दसवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ देते हैं। इसकी वजह यह है कि इलाके में कोई हायर सेंकेंडरी स्कूल नहीं है।’’ तीन हज़ार की आबादी वाले इस इलाके में हायर सेकेंडरी स्कूल का न होना इंतेहाई अफसोसनाक है। ज़रूरत इस बात की है कि सरकार इस इलाके में जल्द जल्द हायर सेकेंडरी को मंज़ूरी दे ताकि यहां के बच्चे और बच्चियां उच्च षिक्षा हासिल करके देष के विकास में एक अहम योगदान दे सकें। 
        
सरकार को समस्याओं से भरे इस इलाके की ओर जल्द से जल्द ध्यान देने की ज़रूरत है। अगर देष को तेज़ी से तरक्की करना है तो देष में तालीमी निज़ाम के ढ़ाचे को बेहतर बनाना होगा। बिना षिक्षा के निज़ाम को बेहतर बनाए हम विकास की राह पर गामज़न नहीं हो सकते। सिंचाई विभाग ने जो कदम पानी के बचाओ के लिए उठाए हंै। उनका इस्तेमाल हमारे इलाके में बिल्कुल नहीं हो रहा है। फरवरी, मार्च, जून और जुलाई में इस इलाके में इतना पानी होता है कि यह पानी दूसरे इलाकों में सैलाब लाता है। अगर सिंचाई विभाग पानी को इकठ्ा करने के लिए कुछ बंदोबस्त कर दे तो इस पानी का इस्तेमाल दूसरे इलाकों में भी हो सकता है। हिंदुस्तान का सबसे बड़ा सरमाया यही ग्रामीण इलाके हैं और मुल्क की तरक्की में भी इन्हीं ग्रामीण इलाकों से जुड़ी हुई है। अगर सरकार ने इन ग्रामीण इलाकों की ओर ध्यान देना छोड़ दिया तो हम यह कैसे कह सकते हैं कि हम दूनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का हिस्सा हैं। अगर देष को तरक्की करना है तो ग्रामीण इलाकों को छोड़कर हम तरक्की की राह पर गामज़न नहीं हो सकते। लिहाज़ा हुकूमत को चाहिए कि जल्द से जल्द ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के लिए ज़रूरी कदम उठाए।




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हामिद शाह हाशमी
(चरखा फीचर्स)  

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