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मंगलवार, 11 फ़रवरी 2014

निफ्ट में यौन उत्पीड़न मामले में सभी लिप्त : खन्ना


Charu Wali Khanna
मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित राष्ट्रीय फैशन टेक्नोलॉजी संस्थान (निफ्ट) में छात्राओं के यौन उत्पीड़न की जांच करने आई राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य चारुवाली खन्ना का कहना है कि इस संस्था में यौन उत्पीड़न के मामले में सभी लिप्त हैं, और इसी कारण संस्थान इस मामले को दबाने में लगा है। जबकि यहां पढ़ने वाली छात्राएं अपने भविष्य को लेकर सहमी हुई हैं। पीड़ित छात्राओं से बातचीत के बाद खन्ना ने संवाददाताओं से कहा कि संस्थान में हुए यौन उत्पीड़न की शिकायत की जांच के लिए पांच समितियां बन चुकी हैं, लिहाजा इन स्थितियों के बीच छात्राएं डरी हुई हैं। इतना ही नहीं यह भी संभव है कि कहीं पीड़ित छात्राएं अपने बयान से ही न मुकर जाएं।

खन्ना ने आगे कहा कि जांच के नाम पर छात्राओं को बार-बार बयान देने के लिए बुलाया जाना न्याय के अनुकूल नहीं है। जांच के लिए जो पांच समितियां बनी हैं वे भी नियम के अनुरूप नहीं हैं। अब जरूरी है कि इन छात्राओं के अनुविभागीय अधिकारी (एसडीएम) की मौजूदगी में बयान दर्ज किए जाएं। 

खन्ना का आरोप है कि संस्थान द्वारा काफी कुछ छुपाया जा रहा है और दस्तावेज भी उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हैं। संस्थान की ओर से प्रकरण को दबाने की हर संभव कोशिश हो रही है। मालूम हो निफ्ट के तत्कालीन संयुक्त निदेशक बसंत कोठारी पर पिछले वर्ष दिसम्बर माह में छात्राओं और संस्थान की प्रोफेसर ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। छात्राओं और प्रोफेसर का आरेाप था कि उन्हें कोठारी अपने चेंबर में बुलाते और अकेला पाकर उनसे अश्लील बातें कर उन्हें छूने की कोशिश करते थे। शुरू में उन्होंने इसे नजरअंदाज किया मगर उनकी हरकतें बंद नहीं हुईं।

पीड़ितों ने इसकी शिकायत संस्थान के वरिष्ठ अधिकारी से की थी, मगर उन्होंने आरोपी के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय पीड़ितों को ही चुप रहने को कहा। बाद में शिकायत दिल्ली के कार्यालय तक की गई। वहां से भी पीड़ितों को निराशा हाथ लगी। हर तरफ से निराश होने पर पीड़ितों ने राज्य महिला आयोग से शिकायत की थी। इस पर राज्य महिला आयोग ने संस्थान के दिल्ली स्थित कार्यालय के अफसरों को अवगत कराया था। 

राष्ट्रीय महिला आयोग की सदस्य चारुवाली खन्ना ने इस मामले में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष उपमा राय से भी चर्चा की। राय ने बताया कि उनकी ओर से दो बार सुनवाई की गई और अपना प्रतिवेदन संस्थान के निदेशक को भी भेजा, मगर अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है। 

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