राम भक्तोंके सम्मान के भाव विभोर हुए सुदर्शन जी महाराज कहा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 10 फ़रवरी 2014

राम भक्तोंके सम्मान के भाव विभोर हुए सुदर्शन जी महाराज कहा

  • -- सम्मान देंने कि कला हमें भरत जी से सीखनी चाहिए। 


sudarshan jee maharaj
राम कथा के अंतिम दिन कथा समाप्ति के बाद कथा वाचक आचार्य   सुदर्शन जी महाराज को  पुष्पगुच्छ द्वारा सम्मानित करने के लिए प्रभु श्रीराम के भक्तो की  लम्बी कतार लग गई।  भक्तजानो के द्वारा सम्मानित आचार्य जी भाव विभोर हो गये।  पुष्पगुछद्वारा सम्मान करने वालों में आयोजक  चंद्रशेखर शुक्ल , बिहारफाउंडेशन मुम्बई के प्रवक्ता एवं प्रतिभा जननी सेवा संस्थान  के  चेयरमैन मनोज सिंह राजपूत , वेस्टर्न रेलवे के चीफ पर्सनल ऑफिसर डॉ  ए. के. सिन्हा , उनकी धर्म पत्नी श्रीमती जाया सिन्हा के आलावा सैकड़ो राम भक्त शामिल थे।  

उन्होंने भक्त जानो को सम्बोधित करते हुए कहा कि सम्मान देने कि कला हमें भरत जी से सीखनी चाहिए।  भारत जी के ह्रदय में अपने अग्रज  श्रीराम जी के प्रति आपार सम्मान था उन्होंने राज सिंहासन का त्याग करके सेवक की भांति सेवा ।  उन्होंने राम जी की चरणपादुका राज सिहासन पर रखकर चौदह वर्ष तक पूजा की।  कैकेइ द्वारा राम के वनवास की मांग करने के बाद भी राम के हृदय में माता के प्रति सम्मान था। महाराज दशरथ का वचन पूरा करने के लिए राम चन्द्र जी वैन गए यह उनका पिता के प्रति सामान था।  आप सभी को भी अपने माता पिता का सामान करना छाये।  उनकी हर आज्ञा का सम्मान करना चाहिए।  इसकी शुरुआत आप आज से एरिये।  सुबह उठकर माता पिता के चरण छूकर दिन कि शुरुआत करिये आपका दिन अच्छा होगा और यही आदत पड़  गई तो पूरी ज़िन्दगी अच्छी होजायेगी। .

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