प्रेम, भाईचारा, सद्भावना सिर्फ ऐतिहासिक पुस्तको में दिखता है - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


रविवार, 9 फ़रवरी 2014

प्रेम, भाईचारा, सद्भावना सिर्फ ऐतिहासिक पुस्तको में दिखता है

sunder-jiivan-kii-or
पटना। 9 फरवरी 2014।  आज भारत का समाजिक, धार्मिक, शैक्षनिक एवं राजनितक पतन निरंतर हो रहा है। इसके रोकने के बजाय हमसब एक दूसरे पर दोषारोपन कर रहे हैं। प्रेम, भाईचारा, सद्भावना सिर्फ ऐतिहासिक पुस्तको में दिखता है। हर क्षेत्र के चरित्रवान लोग अपने आपको अकेला महसूश करते हैं। पाजी - संपादक, समाजिक, धार्मिक, राजनितिक नेता बने हुए हैं और अखबारों, टेलिविजन के माध्यम से हमलोगों को दिग्भर्मित कर रहे हैं। 

ये बाते रविवार को बापू प्रतिमा गांधी मैदान में ‘देशप्रेम अभियान‘ के ’संडेसभा’ की अध्यक्षता करते हुए युवा वैज्ञानिक कुमार राजीव ने कही। श्री राजीव ने कहा कि मौजूदा गुलामी की व्यवस्था हममें इर्ष्या, द्वेश, कलेस, अज्ञान, अहंकार, आलस को बढ़ाता है। शासक वर्ग ठगना और शोषण करना अपना नैतिकता समझते हैं। आजादी के बाद भारत की कोई नैतिकता तय नहीं हुई है। यहां कोई रावण की पूजा है तो कोई राम की। कोई महिषासुर तो कोई दुर्गा की। ऐसे में हम क्या करें। उन्होंने कहा कि आर्थिक गैरबरावरी, असमानता से उत्पन्न अन्याय को खत्म करने के लिए हमें संकल्प लेना पड़ेगा। आज से समय जवान के पक्के होंगे, अपना आचरण, अहार, व्यवहार सर्वोतम करेंगे। भारत में सहयोग प्रणाली विकसित कर, सबको समान शिक्षा, चिकित्सा, यातायात और सरकारी आवास उपलब्ध करायेंगे। दुसरे के उद्देश्य से प्यार करेंगे। ‘देशप्रेम‘ दर्शन को आत्मसात् कर लोगों से दोस्ती करेंगे। अब भगवान नहीं ‘देशप्रेम’ हीं हमे बचाएगा। 65 साल से ‘राष्ट्रप्रेम‘ कर के देख लिया, अब हमलोग ‘देशप्रेम’ कर के देखेंगे।

वहीं मुख्य अतिथि पूर्व आई.ए.एस. पंचम लाल ने कहा कि भारत में राजनितिक और प्रशासनिक सेवा से जातिवाद को मिटाना होगा। सेवानिवृत नौकरशाहों को कोई संवैधानिक पद नहीं देना होगा। भष्ट्राचार को जड़ से मिटाने के लिए ‘देशप्रेम‘ दर्शन को आत्मसात् करने की जरूरत है।  कार्यक्रम में अभियान के लोककर्ता नीतेश ने कहा कि आज का बाजारू मनोरंजन का माध्यम जनमानस को गुमराह कर रहा है। राष्टीयता जागृत करने सांस्कृतिक विकास हो। सभा में दिल की बात कहते हुए अभियान के प्रशिक्षु लोककर्ता नवल कुमार ने कहा कि भारत की वर्तमान शिक्षा के सिलेबस में परिवर्तन कर ‘देशप्रेम अभियान‘ के तहत तैयार देशप्रेम, वैज्ञानिक दृष्टिकोण, नैतिकता, वनस्पति-जीव-प्रेम, करसेवा, उपकरण ज्ञान, भाषाज्ञान एवं सर्वधर्म विषयों की पढ़ाई करवाना होगा।

’संडेसभा’ का संयोजक करते हुए प्रशिक्षु लोककर्ता प्रेम ने कहा कि भारत को नौकरशाहों की नहीं, निस्वार्थ  देश सेवा करने वाले क्रांतिकारीयों की जरुरत है।, धन्नजय, सोनु एवं काफी संख्या में विभिन्न जगहो से आएं गणमान्य लोग उपस्थि थे।

कोई टिप्पणी नहीं: