पटना । ईसा मसीह के दुःखभोग के अवधि शुरू हो गया। इसे धर्मावलम्बी चालीसा भी कहते हैं। ईसा मसीह को तथाकथित शैतानों ने 40 दिनों तक प्रलोभन देकर परीक्षा लेते रहे और काफी कष्ट पहुंचाए। इसके बाद एक साजिश के तहत ईसा मसीह को सलीब पर चढ़ाकर मार दिया गया। इसका स्मरण चालीसा के रूप में किया जाता है।
पवित्र राख बुधवार 5 मार्च को मनायाः ईसाई धर्मावलम्बियों ने 4 मार्च को गोस्त और भूजा खाकर गोस्त-भूजा का पर्व मनाया। 5 मार्च को सुबह चर्च गए।चर्च परिसर में रहने वाले पल्ली पुरोहित ने धार्मिक अनुष्ठान अर्पित किए। धार्मिक अनुष्ठान के बीच में ही पल्ली पुरोहित ने परमप्रसाद वितरण किए।इसके बाद चर्च में आने वाले श्रद्धालुओं के ललाट पर पवित्र राख को लगाकर स्मरण दिलाते हैं कि आप मिट्टी हो और मिट्टी में मिल जाओंगे। इतना होने के बाद 18 से 60 साल के लोग उपवास करना शुरू कर देते हैं। एक भी शाम में श्रद्धालु चर्च जाते हैं। बड़ी शिद्दत से ईसा मसीह के दुःखभरी दास्तानों में शिरकत करते हैं। इसे चौदह मुकाम भी कहा जाता है। चौदह तरह की निर्मित झांकी रहती है। इसके सामने खड़ा होकर प्रार्थना करते और इस तरह की दास्तानों से मुक्ति के लिए भगवान से दुआ मांगते हैं। चर्च के आने के बाद उपवास तोड़े। धर्मावलम्बी प्रथम दिन पवित्र राख बुधवार 5 मार्च 2014 को अंतिम दिन 18 अप्रैल को निश्चित ही उपवास रखते हैं। इस साल 18 अप्रैल को गुड फ्राइडे हैं। गुड फ्राइडे के ही दिन ईसा मसीह को सलीब पर लटकाया गया। सलीब पर ही ईसा मसीह की मौत हुई थी।
आलोक कुमार
बिहार

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