पाकिस्तान के एक अखबार ने शनिवार को कहा है कि अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ का जाना या नहीं जाना मुद्दा नहीं है, बल्कि पाकिस्तानियों के लिए मोदी के इरादे को राजनीतिक वास्तविकताओं के नजरिए से भांपना जरूरी है। द नेशन ने कहा कहा है, "पाकिस्तानी जटिल भाषा से आगे जाकर मूल्यांकन करें और उनके (मोदी) इरादे को राजनीतिक वास्तविकता से भांपे।"
पाकिस्तानी सेना से सेवानिवृत्त अधिकारी और राजनीतिक अर्थशास्त्री एवं टीवी एंकर सैमसन सिमोन शेरा ने अपने लेख में कहा है, "असली खेल पार्टी लाइन से कहीं आगे छिपा हुआ हो सकता है और उसका प्रभाव पाकिस्तान पर स्थायी हो सकता है। कई लोगों द्वारा निंदित मोदी आज शिखर पर बैठे हुए व्यक्ति हैं। (नवाज शरीफ का) भारत जाना या नहीं जाना मुद्दा नहीं है। हां स्क्रिप्ट पढ़ने में विफलता अक्षम्य है। हर गलत या सही कदम का स्थायी असर होगा।"
लेखक ने कहा है, "प्रधानमंत्री मोदी का लक्ष्य आतंकवाद, कश्मीर का समाधान करना और सुरक्षा एवं विकास के लिए भारत के चारों ओर सहयोगियों का हार तैयार करना है।" लेखक ने आगे जोड़ा है कि मोदी ने संघ की विचारधारा को छिपाने में व्यावहारिकता दिखाई है।
लेखक ने कहा है, "अपनी असीम ऊर्जा और प्रेरणा से वे एक कमजोर केंद्रीय सरकार के बाद जैसे व्यक्ति की जरूरत भारत को थी उस रूप में वे उभरे। जहां पाकिस्तान की राजनीतिक पार्टियां चाटुकारिता से अपंग हैं, वहीं भाजपा 'भारत फर्स्ट' जैसे सिद्धांत पर दुनिया के सबसे बेहतर विचार से सत्ता में आती है।"
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