लालीवाव में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव में झूमे श्रद्धालु - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


बुधवार, 9 जुलाई 2014

लालीवाव में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव में झूमे श्रद्धालु


  • कान्हा की लीलाओं में भाव विभोर हुए भक्तगण

aastha or bhakti
बांसवाड़ा, 8 जुलाई/ सदियों से लोक आस्था के केन्द्र ऎतिहासिक लालीवाव मठ में मंगलवार को श्रीमद्भागवत कथा के अन्तर्गत श्रीकृष्ण जन्मोत्सव एवं बाल लीलाओं ने श्रद्धालुओं को आनंद रसों की बारिश से नहला दिया। बड़ी संख्या में उमड़े श्रद्धालु नर-नारी कान्हा की लीलाओं पर मंत्र मुग्ध हो उठे। श्री कृष्ण जन्मोत्सव के उल्लास में श्रद्धालुओं ने जमकर भजन-कीर्तनों पर झूमते हुए नृत्य का आनंद लिया। घण्टे भर से अधिक समय तक श्री कृष्ण जन्मोल्लास में बधाइयां गायी गई और महिलाओं ने मंगल गीतों के साथ भगवान के अवतरण पर हर्षातिरेक में भर उल्लास का ज्वार उमड़ा दिया।  इस दौरान् श्री अभिरामदास, मांगीलाल धाकड़ आदि ने रुद्राभिषेक पूजन, श्रीमद्भागवत का पूजन किया और आरती उतारी। व्यास पीठ पर विराजित महन्तश्री का पुष्पहारों से स्वागत श्रद्धालुओं की ओर से, विमल भट्ट, लोकेन्द्र भट्ट, सुखलालजी तेली, दीपक तेली, शंकरलाल पंचाल, सुभाष अग्रवाल, शांतिलाल भावसार, सत्यनारायण  दोसी, बलदेव बरोड़िया, राजेश भाई, गोपाल भाई आदि ने किया। जैसे ही श्रीकृष्ण जन्म की कथा आरंभ हुई, जन्मोत्सव की बाल लीलाएं साकार हो उठी और पूरा पाण्डाल ‘‘नंद के आनंद भयो, जय कन्हैयालाल की, हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैयालाल की।’’ से गूंज उठा।

आराधना से सब कुछ संभव
गुरुपूर्णिमा महोत्सव के अन्तर्गत चल रही भागवत कथा के चौथे दिन श्रीमद्भागवतमर्मज्ञ संत श्री हरिओमशरणदास महाराज ने श्रीकृष्ण जन्म आख्यान का परिचय दिया और भगवान श्रीकृष्ण को जगत का गुरु तथा भगवान श्री शिव को जगत का नाथ कहा गया है।  इनके आराधन-भजन से वह सब कुछ प्राप्त हो सकता है जो एक मनुष्य पाना चाहता है। उन्होंने कहा कि प्रभु की प्राप्ति किसी भी अवस्था में हो सकती है। इसके लिए जात-पात, नर-नारी, उम्र आदि का कोई भेद नहीं है। उमर इसमें कहीं आड़े नहीं आती। इसके लिए कथा और सत्संग सहज सुलभ मार्ग हैं। कथा का उद्देश्य हमेशा प्रभु को प्राप्त करना होता है। भगवान को पाने के लिए आसक्ति के परित्याग पर जोर देते हुए महंतश्री ने कहा कि आसक्ति छोड़कर परमात्मा में मन लगाना चाहिए।

कर्मों का क्षय जरूरी
लालीवाव पीठाधीश्वर महंत हरिओमशरणदास महाराज ने जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति के लिए कमोर्ं के क्षय को अनिवार्य शर्त बताते हुए कहा कि जब तक कर्म है, तब तक आवागमन का चक्र बना रहता है। कर्म को समाप्त करने पर ही जन्म-मरण का बंधन समाप्त हो सकता है। महंतश्री ने कहा कि ईश्वरीय विधान को नहीं मानने वाले, उल्लंघन व विरोध करने वाले लोग दूसरे जन्म में कष्ट पाते हैं और नरक की योनि भुगतनी पड़ती है।  पूजा करने वक्त क्रोध नहीं करना चाहिए क्रोध से नैतिक मूल्य नष्ट हो जाते है। अजामिल का हृदय परिवर्तन संतों के समागम से उसके पुत्र का नाम नारायण रखकर अंतिम समय में उसका उद्धार हुआ। गुरु के मार्गदर्शन से ही देवताओं ने नारायण कवच धारण कर वापस अपना राज्य स्थापित किया । गुरु आज्ञा का पालन प्रत्येक प्राणी को अपने जीवन में करना चाहिए । भक्त प्रह्लाद का उदाहरण देते हुए महंतश्री हरिओमशरणदास महाराज ने कहा कि उसे माँ के गर्भ से ही ईश्वरीय संस्कारों का बोध था और इसीलिये उसने पिता को भी सर्वव्यापी प्रभु के बारे में बताया। यही सर्वव्यापी ईश्वर पत्थर के खंभे से प्रकट हुआ। समुद्र मंथन के दौरान विष का पान भगवान ने शंकर ने अपना मुंह खोल ‘रा’ शब्दा का उच्चारण कर जहर को मुंह में डाला एवं ‘म’ बोलकर मुंह को बंद कर दिया अर्थात राम की अपने हृदय में आस्था को धारण कर जहर पी लिया एवं नीलकण्ठेश्वर महादेव कहलाए। कृष्ण जन्मोत्सव में नन्दबाबा की भूमिका स्थानीय संत अभिरामदासजी महाराज ने निभायी । लालीवाव पीठाधीश्वर ने व्यास पीठ से अपने उद्बोधन में कहा कि संसार भर में भारतभूमि सर्वश्रेष्ठ है। यह धर्म भूमि, कर्मभूमि है जहाँ ऋषि-मुनियों ने जन्म लेकर अपनी तपस्या, सद्कमोर्ं, जन एवं ईश्वर स्मरण कर मोक्ष प्राप्त किया। इसी भूमि पर अवतरण के लिए देवता भी लालालित रहते हैं। संचालन शांतिलाल भावसार ने किया।

कोई टिप्पणी नहीं: